Giridih News: परंपरागत रिवाजों के साथ मना प्रकृति करमा पर्व
Giridih News: रक्षाबंधन में जहां भाई बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा करता है, तो वहीं करमा पर्व में बहनें भाई की रक्षा का प्रण लेती हैं. झारखंडी पर्व-त्योहारोंं और सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सवों में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व आराधना एक अनिवार्य विधान है. करमा में करम डाली और जावा की पूजा होती है.
डुमरी प्रखंड के विभिन्न स्थानों पर प्रकृति पर्व करमा पर्व बुधवार को परंपरागत मान्यताओं व रिवाजों के साथ मनाया गया. भादो की एकादशी को मनाये जानेवाले करमा पर्व की शाम को सभी करमैतियों ने करम डाली की विधिपूर्वक स्थापना की. साथ ही अपने एवं अपने भाई की खुशहाली व दीर्घायु की कामना करमदेव से की. रात भर करम डाली की परिधि में लोकगीत गाकर एवं पारंपरिक नृत्य कर पर्व की सार्थकता का निर्वहन किया. करमा पर्व भाई-बहन के प्रेम के एक अनूठे पहलू को उजागर करता है. रक्षाबंधन में जहां भाई बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा करता है, तो वहीं करमा पर्व में बहनें भाई की रक्षा का प्रण लेती हैं. झारखंडी पर्व-त्योहारोंं और सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सवों में प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व आराधना एक अनिवार्य विधान है. करमा में करम डाली और जावा की पूजा होती है. आदिवासियों में करम की पूजा गांव के पाहन कराते हैं, तो वहीं सदानों में अनुष्ठान गोसाईं या ब्राह्मण-पुरोहित संपन्न कराते हैं. करमा को लेकर सभी स्थानों में आकर्षक साज-सज्जा, लाइट व साउंड की व्यवस्था की गयी थी. करमा के सुमधुर लोकगीत व मांदर की थाप पर झूमर नाच आसपास के लोगों को बरबस ही पूजास्थल की तरफ खींच रहे थे. वहीं, करम डाली का विसर्जन चार जुलाई की सुबह जलाशयों में किया जायेगा.
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