सरकारी कागज़ों में सिमटा 25 एकड़ का बीज गुणन प्रक्षेत्र : किसान लाभ से वंचित
करीब 25 एकड़ में फैला बीज गुणन प्रक्षेत्र सिर्फ सरकारी कागज़ों पर सिमट कर रह गया है.
4 करोड़ की योजना पर सवाल फोटो :- विजय सिंह, भवनाथपुर(गढ़वा): भवनाथपुर प्रखंड की बनसानी पंचायत के कचछरवा गांव में कृषि विभाग का करीब 25 एकड़ में फैला बीज गुणन प्रक्षेत्र सिर्फ सरकारी कागज़ों पर सिमट कर रह गया है. तीन दशक से विभाग इस नाम पर केवल खानापूरी कर रहा है, जिसके कारण आज तक क्षेत्र के किसानों को इस महत्वपूर्ण प्रक्षेत्र का कोई लाभ नहीं मिल सका है, जबकि इस पर लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. चार करोड़ की योजना पर सुस्त एनजीओ का काम बताया गया कि लगभग दो वर्ष पहले बीज गुणन प्रक्षेत्र सह कृषक पाठशाला बनसानी के नाम पर राज्य सरकार के कृषि विभाग ने समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना के तहत करीब चार करोड़ रुपये की लागत से एक योजना उत्तर प्रदेश के अमेठी के सीटीइडी नामक एनजीओ को स्वीकृत की थी. इस योजना के तहत एनजीओ को प्रक्षेत्र का विकास करना था, जिसमें उत्तम गुणवत्ता वाले बीज तैयार करने संबंधी मॉडल के साथ-साथ गाय शेड, बकरी शेड, सूअर शेड और कृषकों के लिए पाठशाला का निर्माण शामिल था, लेकिन करार के दो वर्ष बीत जाने के बाद भी एनजीओ द्वारा केवल अधूरी कृषक पाठशाला, गाय शेड और सूअर शेड ही बनाया गया है. इसके अलावा, एक छोटा तालाब और सात एकड़ में फलदार पौधे लगाया गया हैं. हालांकि, मजदूरों द्वारा सात एकड़ में 3500 पौधे लगाने की बात बतायी जा रही है, जबकि सरकारी मापदंड के अनुसार एक एकड़ में लगभग 115 पौधे ही लगते हैं. इस भारी विसंगति से कागजों पर हेराफेरी की आशंका जतायी जा रही है. गुणवत्तापूर्ण बीज देने का लक्ष्य अधूरा दरअसल, बीज गुणन प्रक्षेत्र का मुख्य कार्य प्रजनक बीज, आधार बीज और प्रमाणित बीज के साथ-साथ किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना है. इसके लिए यह प्रक्षेत्र भारतीय राज्य कृषि विभाग, राष्ट्रीय बीज निगम, और राज्य बीज निगम की देखरेख में प्रमाणित बीज तैयार करता है. हालांकि, कचछरवा में पिछले कई दशकों से यह प्रक्षेत्र केवल कागजों पर ही संचालित होता रहा है, और बीज गुणन का काम ठप हैं . क्या कहते हैं लोग फोटो :- बनसानी पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि राजेश्वर पासवान ने कहा कि बीज गुणन प्रक्षेत्र से किसानों को आज तक कोई लाभ नहीं मिला है, एनजीओ के लोग भी अपने काम की कोई जानकारी नहीं देते हैं. कई निर्माण अधूरे पड़े हैं फोटो ग्रामीण सुपरवाइजर ब्रजेश राम और जसवंत राम ने बताया कि काम करीब दो वर्षों से चल रहा है, लेकिन गुणवत्ता सही नहीं है, और कई निर्माण अधूरे पड़े हैं. सुलगते सवाल इस मामले में कृषि विभाग की लापरवाही और चार करोड़ रुपये की योजना पर काम कर रहे एनजीओ की सुस्ती, दोनों पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं, जिसका सीधा खमियाजा स्थानीय किसानों को भुगतना पड़ रहा है, लेकिन शासन प्रशासन के स्तर से आज तक इसे लेकर अपेक्षित कदम नहीं उठाया गया है जानकारी से इंकार एनजीओ के प्रोजेक्ट मैनेजर प्रदीप सैनी ने इस संबंध में किसी भी प्रकार की जानकारी देने से इनकार कर दिया.
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