तीज को लेकर गढ़वा बाजार में बढ़ी रौनक

तीज को लेकर गढ़वा बाजार में बढ़ी रौनक

By Akarsh Aniket | August 22, 2025 9:37 PM

जितेंद्र सिंह, गढ़वा सावन-भादो के संधिकाल में आने वाला हरितालिका तीज भक्ति, आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम है. यह पर्व शिव-पार्वती के दिव्य मिलन की कथा से जुड़ा हुआ है और विशेषकर विवाहित महिलाओं के लिए अत्यंत महत्व रखता है. महिलाएं निर्जला व्रत रखकर अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की मंगलकामना करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएं योग्य वर प्राप्ति की प्रार्थना करती हैं. तीज के अवसर पर सुहागिन महिलाएं पारंपरिक श्रृंगार कर व्रत-पूजन करती हैं. गीत, भजन और लोक परंपराओं से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है. अब इसकी छटा गांव-शहर से निकलकर सोशल मीडिया तक फैल चुकी है, जहां तीज की रौनक साफ दिखायी देती है. साथ ही तीज को लेकर गढ़वा शहर के बाजारों की भी रौनक बढ़ गयी. महिलाएं खरीदारी के लिए भारी संख्या में बाजारों में पहुंच रहीं हैं.

26 को है हरितालिका तीज

वाराणसी पंचांग के अनुसार इस साल हरितालिका तीज का पावन व्रत 26 अगस्त को है, जबकि पारण27 अगस्त को सूर्योदय के बाद होगा. पंचांग के मुताबिक तृतीया तिथि 25 अगस्त दोपहर 12:39 बजे से 26 अगस्त दोपहर 12:39 बजे तक रहेगी. अन्य पंचांगों के अनुसार यह तिथि 26 अगस्त दोपहर 1:54 बजे समाप्त होगी. पर्व की शुरुआत 25 अगस्त को नहाय-खाय से होगी. व्रत के उपरांत 27 अगस्त को पारण से पहले सुहाग सामग्री, अन्न, ऋतुफल, मिष्ठान्न, वस्त्र और दक्षिणा का दान करना अत्यंत शुभ व फलदायी माना गया है.

नवविवाहिताओं में उत्साह

इस बार हरितालिका तीज को लेकर नवविवाहिताओं में विशेष उत्साह देखा जा रहा है. नवविवाहिता रूबी बताती हैं कि पहला तीज उनके लिए बेहद खास है. यह न केवल पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना का अवसर है, बल्कि परंपरा से जुड़ने और सांस्कृतिक मूल्यों को आत्मसात करने का भी माध्यम है. उनका कहना है कि लोकगीत और पकवान तीज को और अधिक रोचक बना देते हैं तथा महिलाओं के बीच एकता और सौहार्द को बढ़ाते हैं.

व्रत-पूजन की विधि

मान्यता है कि व्रत का पूजन सूर्यास्त से पूर्व करना उत्तम होता है. इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित है, और यदि अनजाने में दर्शन हो जाये तो स्यमंतक मणि की कथा का श्रवण करना चाहिये. पूजन में सबसे पहले भगवान शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित कर गणेश पूजन किया जाता है. तत्पश्चात पंचोपचार, दशोपचार या षोडशोपचार विधि से आराधना होती है. मिष्ठान्न, सूखे मेवे और ऋतुफल का नैवेद्य अर्पित कर रातभर भक्ति गीत व कथाओं के साथ जागरण किया जाता है.

शिव-पार्वती मिलन की कथा से जुड़ा हरितालिका तीज

कथानुसार माता पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तप किया. भाद्रपद शुक्ल तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में उन्होंने गुफा में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा की और रातभर जागरण किया. प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. तभी से इस व्रत का विधान प्रचलित है.

मेहंदी रचाने के परंपरा आकर्षण का केंद्रतीज पर्व पर मेहंदी रचाने की परंपरा विशेष आकर्षण का केंद्र होती है. गांव-शहर में महिलाएं आपस में मिलकर हाथों पर मेहंदी सजाती हैं. इसके अलावा तीज का प्रमुख पकवान गुजिया है. महिलाएं इसे घर पर खोया, मेवा और नारियल से तैयार करती हैं. व्रत के उपरांत इसे प्रसाद रूप में ग्रहण किया जाता है.

तीज पर्व पर नये कलेक्शन की धूम : राजेश गुप्ता

गढ़वा में तीज को लेकर बाजारों में जबरदस्त रौनक है. सुमित्रा वस्त्रालय के प्रोपराइटर राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि तीज पर महिलाओं के लिए विशेष डिजाइन की साड़ियों का नया कलेक्शन लाया गया है. 500 रुपये से लेकर 10 हजार रुपये तक की साड़ियां उपलब्ध हैं.

बेहतरीन क्वालिटी के कपड़े बाजार में उपलब्ध

ग्राहक रीना देवी ने कहा कि बाजार में डिजाइन और बेहतरीन क्वालिटी के कपड़े उपलब्ध हैं. वहीं सरिता ने कहा कि नये ट्रेंड के कपड़े बाजार में मिल रहे हैं. तीज पर्व के अवसर पर पूरा बाजार उत्साह से भरा हुआ है. महिलाएं अपनी पसंद की साड़ी और शूट चुनते हुए त्योहार की तैयारियों को अंतिम रूप दे रही हैं.

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