गढ़वा में तुलसी, नींबू के पौधे लगाकर विद्यालयों ने डकार लिये 60-60 हजार रुपए

Corruption in PM Shree Schools of Garhwa: ग्लोबल वार्मिंग के दौर में स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपनी पारंपरिक जड़ी-बूटी के बारे में जानकारी देने के उद्देश्य से सरकार ने एक योजना शुरू की. स्कूलों को इसके लिए बाकायदा 60-60 हजार रुपए दिये गये. गढ़वा जिले में अधिकतर पीएमश्री स्कूलों ने तुलसी, नींबू आदि के पौधे लगाकर पूरी राशि का गबन कर लिया. क्या-क्या खेल हुआ, यहां पढ़ें.

By Mithilesh Jha | October 5, 2025 9:49 PM

Corruption in PM Shree Schools of Garhwa| गढ़वा, पीयूष तिवारी : ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में विद्यालय स्तर से ही बच्चों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने और विद्यालय का वातावरण इको-फ्रेंडली बनाने के उद्देश्य से उपलब्ध करायी गयी 15 लाख रुपए से अधिक की सरकारी राशि का गबन कर लिया गया है. जिले के सभी 26 पीएमश्री विद्यालयों को 60-60 हजार रुपए उपलब्ध कराये गये थे. इसमें से 10-10 हजार रुपए हर्बल/मेडिकल गार्डेन व 50-50 हजार रुपए एक्टिविटी प्रमोटिंग ग्रीन स्कूल योजना के तहत मिले थे.

स्कूलों को मिले थे 15 लाख रुपए

इस प्रकार सभी विद्यालयों को करीब 15 लाख रुपए दिये गये. जांच में पाया गया कि सभी विद्यालयों में पौधे लगाने के नाम पर औपचारिकता निभायी गयी. यह खुलासा अपर समाहर्ता के नेतृत्व में गठित 3 सदस्यीय जांच टीम ने किया है. इस टीम में जिला शिक्षा अधीक्षक और कोषागार पदाधिकारी (ट्रेजरी ऑफिसर) भी शामिल थे. तीनों पदाधिकारियों ने 8 सितंबर 2025 को पत्रांक 969 के माध्यम से अपनी जांच रिपोर्ट जिले को सौंपी है.

Corruption in PM Shree Schools: क्या है पूरा मामला?

गढ़वा जिले में कुल 26 पीएमश्री से मान्यता प्राप्त सरकारी विद्यालय हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 में हर्बल/मेडिकल गार्डेन योजना के तहत विद्यालयों को राशि उपलब्ध करायी गयी थी. इस राशि से विद्यालयों में औषधीय, जड़ी-बूटी वाले, फलदार, इमारती और फूलों के पौधे लगाने थे. जांच टीम ने पाया कि कई विद्यालयों में एक भी पौधा नहीं लगाया गया. जिन विद्यालयों में पौधे लगाये गये, वहां भी औषधीय पौधों के नाम पर मात्र तुलसी, एलोवेरा और नींबू के 10-20 पौधे लगाये गये.

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20-30 पौधे लगाकर पूरा खर्च दिखा दिया

अन्य पौधों में आम, आंवला, पीपल और अमरूद जैसे 20-30 पौधे ही लगाकर सारी राशि खर्च दिखा दी गयी. योजना के तहत पौधों की घेराबंदी भी करनी थी, परंतु जांच में पाया गया कि किसी भी विद्यालय में घेराबंदी नहीं की गयी. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी विद्यालय में राशि के अनुरूप (60 हजार रुपए) पौधे उपलब्ध नहीं कराये गये.

  • अपर समाहर्ता के नेतृत्व में गठित 3 सदस्यीय जांच टीम ने पकड़ी गड़बड़ी
  • पीएमश्री से मान्यता प्राप्त जिले के 26 विद्यालयों को दिये गये थे 60-60 हजार रुपये
  • 10 हजार हर्बल गार्डन व 50 हजार रुपये एक्टिविटी प्रमोटिंग ग्रीन स्कूल योजना के लिए दिये गये थे
  • किसी भी विद्यालय में न तो पर्याप्त मात्रा में पौधे लगाये गये और न ही घेराबंदी की गयी

2 एजेंसियों को ही मिली आपूर्ति की जिम्मेदारी

पूरे जिले में पौधों की आपूर्ति की जिम्मेदारी केवल 2 एजेंसियों युवा सदन आरोग्य, रांची व गुप्ता ट्रेडर्स, भवनाथपुर (गढ़वा) को दी गयी थी. उल्लेखनीय है कि इस राशि की निकासी वित्तीय वर्ष समाप्त होने के मात्र 4 दिन पूर्व, 25 मार्च से 30 मार्च 2025 के बीच की गयी थी.

किस विद्यालय में कितने पौधे लगाये गये

क्रमस्कूल का नामकौन-कौन से पौधे लगाये
1शालिग्राम मध्य विद्यालय, सोनपुरवा (गढ़वा)एक भी पौधा नहीं लगाया गया.
2यूपीजी रोहनियाटांड़, भंडरियाएक भी पौधा नहीं लगाया गया.
3यूपीजी उवि डोल, चिनियामात्र चार आंवला के पौधे लगाये गये.
4यूजीपी सोनेहारा, डंडईतुलसी, पपीता, अंगूर और नींबू के 15 पौधे लगाये गये.
5यूपीजी उवि खरसोता, मझिआंवनींबू, आम, अंगूर, अनार के 40 पौधे लगाये गये.
6यूपीजी अमहर, विशुनपुरातुलसी, नींबू, आम, अशोक, मोरपंखी, अंगूर, पीपल के 80 पौधे.
7यूपीजी उवि ओबरा, बरडीहातुलसी, नींबू, आम, अमरूद, यूकेलिप्टस, अंगूर के 40 पौधे.
8यूपीजी उवि तेनार, गढ़वामात्र 20 पौधे लगाये गये.
9मध्य विद्यालय, डंडईआम, अमरूद, अंगूर के 40 पौधे व 20 प्लास्टिक गमले.
10यूपीजी एमएस खपरो, रंकामात्र 80 पौधे लगाये गये.
11मध्य विद्यालय, रक्सी (रमकंडा)तुलसी, करी पत्ता, नींबू, पपीता, अंगूर, कटहल के 50 पौधे.
12मध्य विद्यालय, सिलिदाग (रमना)कुल 60 पौधे लगाये गये.
13मध्य विद्यालय, संग्रहे (गढ़वा)तुलसी, करी पत्ता और नींबू सहित 170 पौधे लगाये गये, लेकिन सभी सूख गये.
14आरके उवि चितविश्राम, नगरउंटारीनींबू, नीम, शरीफा, आंवला, पीपल, बरगद के 150 पौधे.
15यूपीजी पीएस खूरा, बड़गड़नीम, तुलसी, आंवला, नींबू, कटहल, आम के 20 पौधे व 20 गमले.
16यूपीजी मवि भूसवा, मझिआंव20 पौधे व 10 प्लास्टिक गमले.
अन्य विद्यालयों की स्थिति भी कमोबेश यही पायी गयी है.

क्या था योजना का उद्देश्य?

एक्टिविटी प्रमोटिंग ग्रीन स्कूल योजना का उद्देश्य विद्यार्थियों को पर्यावरणीय शिक्षा देना और विद्यालयों को हरित एवं स्थायी बनाना था. वहीं ‘हर्बल मेडिकल गार्डेन योजना’ के तहत विद्यालय परिसरों में औषधीय पौधों का बगीचा तैयार करना था, ताकि छात्र पारंपरिक चिकित्सा और जड़ी-बूटियों के महत्व को समझ सकें. जांच में पाया गया कि उद्देश्य से भटककर योजना की राशि का दुरुपयोग किया गया.

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