झारखंड में नयी श्रमशक्ति नीति और लेबर कोड का विरोध, सिटू ने बनायी 1 किलोमीटर लंबी मानव शृंखला
New Labour Code Protest: श्रम शक्ति नीति 2025, लेबर कोड वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के बढ़ते निजीकरण और किसान-मजदूर एकता को सुदृढ़ करने का आह्वान किया गया. सम्मेलन में 26 नवंबर को कार्यस्थलों और जिला मुख्यालयों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया.
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New Labour Code Protest: भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र (सीटू) झारखंड का 3 दिवसीय 8वां राज्य सम्मेलन शनिवार को दूसरे दिन भी जारी रहा. धनबाद के कोयला नगर स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित सम्मेलन के दौरान केंद्र सरकार की नयी श्रम शक्ति नीति 2025 और 4 श्रम संहिताओं (लेबर कोड) के खिलाफ सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन के नेतृत्व में एक किलोमीटर लंबी मानव शृंखला बनायी गयी. इसके बाद मोदी सरकार का पुतला दहन किया गया.
श्रमशक्ति नीति 2025 और लेबर कोड मजदूर विरोधी : सिटू
सीटू के राष्ट्रीय महासचिव तपन सेन ने पुतला दहन के दौरान कहा कि नयी श्रमशक्ति नीति 2025 और लेबर कोड मजदूर-विरोधी हैं. मोदी सरकार कॉरपोरेट हित में देश के श्रमिक अधिकारों को समाप्त करना चाहती है. कहा कि सीटू मजदूरों के अधिकारों पर किसी भी प्रकार का हमला बर्दाश्त नहीं करेगा. आने वाले दिनों में किसान-मजदूर एकजुट होकर व्यापक आंदोलन खड़ा करेंगे. महासचिव राम कृष्ण पासवान ने कहा कि सीटू मजदूरों के अधिकारों, सम्मान और सुरक्षा के लिए किसी भी कीमत पर संघर्ष जारी रखेगा.
New Labour Code Protest: सम्मेलन में 38 यूनियनों के प्रतिनिधियों ने की चर्चा
सम्मेलन के प्रतिनिधि सत्र की अध्यक्षता भवन सिंह, प्रकाश विप्लव, सुरेश प्रसाद गुप्ता, सुंदरलाल महतो, पूनम कुमारी और जयनारायण महतो ने की. राज्य महासचिव विश्वजीत देव द्वारा प्रस्तुत राजनीतिक-सांगठनिक प्रतिवेदन पर कुल 38 यूनियनों के प्रतिनिधियों ने विस्तार से चर्चा की. चर्चा में मीरा देवी, पुनम कुमारी, मंगली सोरेन, राजेन्द्र प्रसाद, धर्मदेव सिंह, सुभाष महतो, लखनलाल मंडल, रोहित कुमार, संजय कुमार, संदीप आइच, नकुलचंद्र महतो, कंचन महतो, सपन बनर्जी, तुलसी रवानी, पुष्पा कुमारी, अर्जुन सिंह, सुनील पासवान सहित कई प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
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26 नवंबर को कार्यस्थलों और जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन का फैसला
बहस के दौरान सरकार द्वारा लायी गयी श्रम शक्ति नीति 2025, लेबर कोड वापस लेने, सार्वजनिक क्षेत्र के बढ़ते निजीकरण और किसान-मजदूर एकता को सुदृढ़ करने का आह्वान किया गया. सम्मेलन में 26 नवंबर को कार्यस्थलों और जिला मुख्यालयों पर जुझारू विरोध प्रदर्शन करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया. सम्मेलन को सफल बनाने में एके मिश्रा, सपन बनर्जी, रामकृष्णा पासवान, कार्तिक दत्ता, हरिप्रसाद पप्पू, भारत भूषण, शिवबालक पासवान, हेमंत मिश्रा, मधुसूदन बनर्जी, रवि सिंह और अरविंदम विश्वास व अन्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी.
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