– तीन एकड़ में लगे नींबू के बागान में लगा दी गयी आग, 500 पेड़ जलकर खाक

महुदा में तीन एकड़ जमीन पर लगी नींबू की फसल पर आग लगा दी गयी. इससे लाखों का नुकसान हुआ

By Prabhat Khabar | April 27, 2024 10:17 PM

हाथूडीह पंचायत के कुमारडीह गांव का मामला, समूह बनाकर किसानों ने लगायी थी फसलप्रतिनिधि, महुदा. जिला उद्यान विभाग की ओर से किसानों के एक समूह द्वारा कुमारडीह व छत्रुटांड़ बस्ती के बीच लगभग तीन एकड़ जमीन पर लगाये गये 500 से अधिक नींबू के पेड़ गुरुवार को आग से जलकर बर्बाद हो गये. पेड़ों के साथ-साथ उस पर लगे सारे नींबू भी नष्ट हो गये. सब्जी की सिंचाई के लिए लगी टपक प्रणाली का पूरा सिस्टम भी जल गया. आग किसने लगायी, यह तो स्पष्ट नहीं हो पायी है, लेकिन अंदाजा लगाया जा रहा है कि किसी शरारती तत्व घटना को अंजाम दिया है. आग लगने के बाद आनन-फानन में किसानों ने टैंकर से पानी से लाकर आग पर काबू पाने का प्रयास किया, परंतु आठ टैंकर पानी डालने के बाद भी सफल नहीं हो पाये. आग में किसानों को लगभग पांच से छह लाख रुपये का नुकसान हुआ है. विभाग की ओर से यदि यहां डीप बोरिंग लगायी जाती, तो इतना बड़ा नुकसान नहीं होता.

सरकार की सब्सिडी भी नहीं मिली है

किसान समूह का नेतृत्व कर रहे कुमारडीह निवासी सनत चटर्जी एवं रुदी कपुरिया निवासी ललित गोप ने बताया कि वर्ष 2019 में उन्हें जिला उद्यान विभाग द्वारा 600 नींबू का पेड़ लगाने के लिए मिला था. बताया गया था कि पेड़ लगते ही वहां विभाग की ओर से डीप बोरिंग करायी जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया. बेरोजगारी में कुछ आमदनी के लालच में काफी मेहनत कर उनलोगों ने अन्य 4-5 किसान साथियों के साथ नींबू के पेड़ लगाये. 5-6 साल काफी मेहनत मजदूरी कर पेड़ों को संभाला. टैंकर से ही पानी लाकर पेड़ों को छह साल तक पटाया. पिछले साल से नींबू फलना भी शुरू हो गया और इस वर्ष पुनः अच्छा नींबू फला था. अब बाजार में नींबू जाता, तब तक असामाजिक तत्वों की नजर पड़ गयी. सूचना पाते ही वे टैंकर के पानी से आग पर काबू पाने का प्रयास किया परंतु विफल रहे. उन्होंने कहा कि विभाग की उदासीनता के कारण वे बर्बाद हो गये. विभाग ने बताया था इसमें 50 प्रतिशत किसान लगायेंगे और 50 प्रतिशत सरकार देगी. उसका लाभ भी आज तक नहीं मिला. लगभग 6 एकड़ जमीन पर वे ओल व अन्य सब्जियां भी लगाते हैं, परंतु पीएम किसान का लाभ भी उन्हें नहीं मिलता. ऐसे में किसान टूट जाते हैं.

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