कहीं और नहीं केवल झारखंड के इस एकमात्र मंदिर के शिखर पर लगा है ‘पंचशूल’, लंकापति रावण से जुड़ा है इसका रहस्य

Baba Baidyanath Dham : भगवान शिव को समर्पित बाबा बैद्यनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कई रहस्य छिपे हैं. इन्हीं में से एक मंदिर के ऊपर लगा पंचशूल है. भगवान शिव को समर्पित सभी मंदिरों में त्रिशूल लगा होता है, लेकिन देवघर के बैद्यनाथ धाम मंदिर के शिखर पर त्रिशूल की जगह पंचशूल स्थापित है.

By Dipali Kumari | April 24, 2025 5:15 PM

Baba Baidyanath Dham : झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम देशभर में काफी प्रचलित है. बड़े-बड़े राजनेताओं से लेकर बॉलीवुड की जानी-मानी हस्तियां बाबा बैद्यनाथ धाम में भोले बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंचते हैं. भगवान शिव को समर्पित बाबा बैद्यना थ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. इसे शिव और शक्ति का मिलन स्थल भी कहा जाता है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कई रहस्य छिपे हैं. इन्हीं में से एक मंदिर के ऊपर लगा ‘पंचशूल’ है. भगवान शिव को समर्पित सभी मंदिरों में त्रिशूल लगा होता है, लेकिन देवघर के बैद्यनाथ धाम मंदिर के शिखर पर त्रिशूल की जगह पंचशूल स्थापित है. बाबा बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल की स्थापना को लेकर कई सारी अलग-अलग मान्यताएं हैं. इनमें लंकापति रावण से जुड़ी एक मान्यता सबसे अधिक प्रचलित है.

लंकापति रावण ने मंदिर की शिखर पर लगाया पंचशूल

धार्मिक ग्रंथ में यह उल्लेख है कि लंकापति रावण के लंका पुरी के द्वार पर पंचशूल सुरक्षा कवच के रूप में मौजूद था. रावण को पंचशूल की सुरक्षा कवच को भेदना आता था. जबकि भगवान राम के वश में यह नहीं था. विभीषण द्वारा पंचशूल को भेदने की युक्ति बताने के बाद ही भगवान राम लंका में प्रवेश कर पायें थे. ऐसी मान्यता है कि रावण ने ही बाबा धाम मंदिर के शिखर पर पंचशूल लगाया था.

झारखंड की ताजा खबरें यहां पढ़ें

क्या है पंचशूल ?

पंचशूल पांच तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश का प्रतीक होता है. इसी कारण पंचशूल को सुरक्षा कवच भी माना जाता है, जो मंदिर को प्राकृतिक आपदाओं से बचाता है. मान्यता है कि इस पंचशूल के कारण ही मंदिर को कभी किसी प्राकृतिक आपदा से नुकसान नहीं होता है.

महाशिवरात्रि पर उतारें जाते हैं पंचशूल

हर साल महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर मंदिर के शिखर पर स्थापित पंचशूल को उतारा जाता है. विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद पंचशूल को पुनः मंदिर के शिखर पर स्थापित किया जाता है. यह पंचशूल मुख्य मंदिर के अलावा परिसर के अन्य सभी 22 मंदिरों के शिखर पर भी स्थापित है. पंचशूल उतारने के दौरान शिव और पार्वती के मंदिरों के गठबंधन को भी हटा दिया जाता है. महाशिवरात्रि के दिन फिर से नया गठबंधन किया जाता है.

इसे भी पढ़ें

हजारीबाग से जीएसटी चोरी का बड़ा मामला हुआ उजागर, करोड़ों का बिजनेस करने वाला एमके एंटरप्राइजेज निकला फर्जी

दोपहर में बाहर निकलना नहीं है खतरे से खाली! हीट वेव से बचने के लिए एडवाइजरी जारी

JAC Board Result 2025: झारखंड बोर्ड 10वीं के रिजल्ट पर बड़ा अपडेट ! जानें कब होगा जारी