Deoghar News : क्षमावाणी से दशलक्षण पर्व का समापन
सोमवार को दशलक्षण पर्व का समापन क्षमावाणी महापर्व के साथ हुआ. जैन समाज ने हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया.
संवाददाता, देवघर : सोमवार को दशलक्षण पर्व का समापन क्षमावाणी महापर्व के साथ हुआ. जैन समाज ने हर्षोल्लास के साथ इस पर्व को मनाया. पंडित ज्ञानचंद्र जैन ने क्षमा पर्व के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जैन धर्म में दशलक्षण पर्यूषण पर्व का प्रारंभ उत्तम क्षमा से होता है तथा समापन क्षमावाणी से. इस प्रकार पूरे पर्व के दौरान क्षमा शब्द दो बार आता है. उन्होंने बताया कि उत्तम क्षमा का अर्थ है सामने वाले के दुर्वचन या दुर्व्यवहार को सहन करते हुए भी मन को कलुषित न होने देना और क्षमा भाव धारण करना. वहीं क्षमावाणी का अर्थ है स्वयं पहल कर क्षमा मांगना, ताकि आपसी मनमुटाव दूर हो सके और जमी हुई बर्फ पिघल सके. इस तरह पर्यूषण का पहला दिन आत्म शुद्धि का होता है और अंतिम दिन व्यवहार शुद्धि का. पंडित जैन ने कहा कि उत्तम क्षमा पहले दिन का धर्म है, अतः क्षमावाणी के अंतिम दिन हमें क्षमायाचना शब्द का प्रयोग करना चाहिए, ताकि दोनों में स्पष्ट अंतर समझा जा सके. इस मौके पर उन्होंने स्वयं भी समाज के लोगों से क्षमा याचना की. मौके पर स्थानीय जैन मंदिर के अध्यक्ष राजेश जैन, उपाध्यक्ष सुरेश जैन, मंत्री सुरेश पाटनी, कोषाध्यक्ष जुगल जैन, पवन जैन काला, ताराचंद जैन, अशोक जैन, डॉ आनंद जैन, प्रमोद जैन, अजीत जैन, विवेक जैन, राजा जैन, प्रेमचंद जैन, नमन जैन, अंशु जैन, अभिनव जैन, ज्ञानचंद्र जैन, मंजू जैन, सीमा जैन, प्रमिला जैन, इंद्रा पाटनी, चित्रा जैन, कीर्ति जैन, प्रीति जैन, सीमा मेघदूत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे.
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