अब एसआइटी जांचेगी, मारी गयी दोनों महिलाओं में कौन थी नीलम

देवघर : सारठ थाना क्षेत्र स्थित चरकमार गांव निवासी मृतका लीलावती उर्फ नीलम की हत्या की जांच के लिए ढाई साल बाद एसआइटी का गठन किया गया है. मामले में हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने देवघर एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव व मधुपुर एसडीपीओ वशिष्ठ नारायण सिंह के नेतृत्व में एसआइटी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 15, 2019 2:53 AM

देवघर : सारठ थाना क्षेत्र स्थित चरकमार गांव निवासी मृतका लीलावती उर्फ नीलम की हत्या की जांच के लिए ढाई साल बाद एसआइटी का गठन किया गया है. मामले में हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने देवघर एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव व मधुपुर एसडीपीओ वशिष्ठ नारायण सिंह के नेतृत्व में एसआइटी गठित की है.

एसआइटी में शामिल अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि सारठ व सारवां थाने में वर्ष 2017 में दर्ज किये गये दोनों मामले (दोनों में महिला के शव बरामद किये गये थे और परिजनों ने उसे नीलम का शव बताया था) की जांच पूरी कर अपने स्तर से दोषियों पर कार्रवाई करें.

एसआइटी से एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी गयी है. इस बीच, एसपी ने सारवां में दर्ज कांड (संख्या 20/17) के आइओ रहे एएसआइ राम सोहावन राम को भी सस्पेंड कर दिया है. उनसे स्पष्टीकरण की मांग करते हुए पलामू एसपी को सूचना भेजी गयी है. मामले में सारठ थाना (कांड संख्या 17/17) के आइओ एसआइ संतोष कुमार प्रसाद को पहले ही निलंबित किया जा चुका है.
सारवां थाना : एएसआइ राम सोहावन पर आरोप : सारवां थाने में दर्ज कांड संख्या 20/17 के आइओ रहे एएसआइ राम सोहावन राम को भी देवघर एसपी ने सस्पेंड कर दिया है. राम सोहावन वर्तमान में
पलामू जिले में कार्यरत हैं. आरोप है कि आइओ ने कांड के अनुसंधान में लापरवाही बरती. दुष्कर्म के बिंदु पर जांच की मांग नहीं की गयी. आइओ को सात बिंदुओं पर निर्देश दिया गया था, पर उन्होंने बिना इसका पालन किये आरोप पत्र समर्पित कर दिया. एसडीपीओ द्वारा जारी आदेश का अनुपालन भी नहीं किया गया. यह आदेश उल्लंघन, मनमानेपन व कर्तव्यहीनता का परिचायक है.
सारठ थाना : एसआइ संतोष कुमार प्रसाद पर आरोप : सारठ थाना कांड संख्या 17/17 के निलंबित आइओ एसआइ संतोष कुमार प्रसाद पर एसपी ने विभागीय कार्रवाई शुरु करा दी है. जिक्र है कि आइओ ने कांड का प्रभार पांच नवंबर 2018 को लिया था. काफी समय बीतने के बाद भी मामले में कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गयी. इससे लापरवाही व उदासीनता प्रदर्शित होती है.

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