Chaibasa News : 1008 महिलाओं ने निकाली कलश यात्रा
पोड़ाहाट स्टेडियम में कथा के पहले दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी
चक्रधरपुर. कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर चक्रधरपुर में गुरुवार से सात दिवसीय श्री श्रीमद् भागवत कथा यज्ञ का शुभारंभ हो गया. यह धार्मिक अनुष्ठान 30 अक्तूबर से 5 नवंबर तक शहर के पोड़ाहाट स्टेडियम में चलेगा. गुरुवार को इसका शुभारंभ 1008 कलश यात्रा के साथ किया गया. यह कलश यात्रा शहर के थाना रोड स्थित मुक्तिनाथ घाट से निकाली गयी. इसमें हजारों की संख्या में पीले वस्त्र धारण कर महिला-पुरुष शामिल हुए. भक्तिमय ओड़िया गीतों एवं जय राधे-राधे हरिनाम जाप और संकीर्तन के साथ कलश यात्रा शहर के थाना रोड, वन विभाग चेकनाका, रांची मुख्य मार्ग एनएच 75 से होकर आयोजन स्थल पोड़ाहाट स्टेडियम पहुंची. यहां विधिवत सभी कलशों की स्थापना की गयी. इसके बाद कथा यज्ञ के लिए पूजा शुरू की गई. पूजा में दंपती के रूप में अशोक प्रधान और उनकी पत्नी शामिल हुए. प्रथय पूज्य गणपति एवं श्रीकृष्ण जी की पूजा की गयी. सरायकेला के राजा प्रताप आदित्य सिंह देव एवं अशोक षाडंगी भी मुख्य रूप से उपस्थित रहे. इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो नागेश्वर प्रधान, सचिव जय कुमार सिंहदेव, अशोक प्रधान, दिलीप प्रधान, दिलीप महतो, सरोज प्रधान, निरंजन बेहरा, प्रदीप सिंह देव, दशरथ प्रधान, प्रदीप्त दाश, कामाख्या प्रसाद साहु, भगवती प्रधान, सत्यप्रकाश कर, विभूपद ज्योतिषी, सज्जन प्रधान, सुरेश चंद्र साहु, केदार नाथ प्रधान, बलराम साहु, प्रदीप मंडल, राजीव सिंहदेव, मनोज भगेरिया, दुर्योधन प्रधान, बबलू प्रधान, चिंतामणि प्रधान, तीरथ जामुदा मौजूद थे.
श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से पापों का होता है नाश : महाराज जीतू दास
चक्रधरपुर. कथा के पहले दिन ओडिशा से पधारे कथा व्यास के सरस कथावाचक महाराज जीतू दास ने अपनी मधुरवाणी से श्रीमद् भागवत कथा के महात्म्य को बताया. उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ग्रंथ श्रीशुकदेव के श्रीमुख से उदित हुआ. यह ग्रंथ जन्म-मृत्यु के भय को नाश कर देता है. भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है. मन की शुद्धि के लिए श्रीमद् भागवत का श्रवण करें. मराराज ने कहा कि परीक्षित जी की सभा में शुकदेव ने कथामृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया. ब्रह्माजी जी सत्यलोक में तराजू में बांधकर जब सभी साधनों व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्ति पूजा को तौला तो सभी साधन हल्के पड़ गये. अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रही. अपनी लीला समाप्त कर जब श्री भगवान निज धाम पहुंचने के लिए प्रस्थान हुए तो भक्तों ने प्रार्थना की कि हम आपके बिना कैसे रहेंगे. तब श्री भगवान ने कहा कि वे श्रीमद् भागवत में समाये हैं. यह ग्रंथ शाश्वत उन्हीं का स्वरूप है. इसलिए हमें श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण अवश्य करनी चाहिये. भागवत कथा सुनने से आध्यात्मिक विकास होता है, पापों का नाश होता है. मन को शांति मिलती है. यह जीवन के उद्देश्यों को समझने में मदद करती है. मन की नकारात्मकता को दूर करती है. मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है. कलयुग में भगवान के नाम का स्मरण ही मोक्ष का एकमात्र आधार है. श्रीमद् भागवत के पावन प्रसंग को सुनने के लिये भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सूमचा इलाका भक्तिमय हो गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
