Chaibasa News : धार्मिक और ऐतिहासिक गाथाओं का साक्षी है ‘नीलकंठ संगम’

मन की शांति चाहिए, तो यहां पिकनिक मनाएं; संगम पर अलग-अलग तापमान का पानी करता है सैलानियों को आकर्षित

By AKASH | December 12, 2025 11:09 PM

जैंतगढ़.

झारखंड-ओडिशा सीमा पर स्थित नीलकंठ का संगम क्षेत्र सर्दियों में सैलानियों की पहली पसंद बन जाता है. दिसंबर से फरवरी तक यहां पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है. पवित्र वैतरणी और कांगिरा नदी के मिलन बिंदु पर बसा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था और ऐतिहासिक महत्व तीनों का अनोखा मिश्रण है. संगम पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग और शिव मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है.

दो राज्यों और तीन जिलों के संगम पर बसा शांति व श्रद्धा का धाम

नीलकंठ का यह पिकनिक स्पॉट ओडिशा के क्याेंझर और मयूरभंज जिलों के साथ-साथ झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम को भी जोड़ता है. इसलिए इसे दो राज्यों और तीन जिलों का संगम स्थल माना जाता है. शांत वातावरण के कारण इसे लोग “शांति की धरती” भी कहते हैं.

स्वयं अवतरित शिवलिंग की अनोखी कथा

स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, जैंतगढ़ बेहरासाही निवासी फातू बेहरा को तीन दिनों तक लगातार सपने में भोले बाबा के दर्शन हुए. उन्हें बताया गया कि एक स्थान पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ है और इसकी जानकारी जमीन मालिक को देनी चाहिए. सपने के अनुसार, जब फातू बेहरा उस स्थान पर पहुंचे, तो उन्होंने सचमुच वहां शिवलिंग को अवतरित होते हुए देखा. इसकी जानकारी उन्होंने जमीन मालिक निधि चरण राठौर को दी, जिन्होंने सहर्ष उस भूमि को मंदिर निर्माण के लिए दान कर दिया. स्थानीय ग्रामीणों और राठौर के सहयोग से वर्ष 1966 में शिव मंदिर का निर्माण पूरा हुआ. तभी से यह स्थान आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. श्रावण माह और विशेष अवसरों पर यहां बड़ी संख्या में भक्त पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. मकर संक्रांति पर यहां भव्य मेला भी लगता है.

संगम क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता

नीलकंठ संगम अपनी अनोखी भौगोलिक संरचना के लिए भी जाना जाता है. दूर-दूर तक फैली सफेद बालू की चादरें, संगम बिंदु पर सफेद चट्टानों से टकराता कलकल करता पानी, कांगिरा और वैतरणी के पानी के रंग व तापमान में अंतर, किनारों पर खड़े ऊंचे वृक्ष, जिनकी शाखाएं मानो नदी को नमन करती हों और पेड़ों पर चहचहाते विभिन्न प्रजातियों के पक्षी ये सब मिलकर वातावरण को और भी रमणीय व आकर्षक बनाते हैं. संगम के किनारों पर बनी सफेद बालू की मैदान-जैसी संरचना सैलानियों को खास तौर पर आकर्षित करती है.

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