Chaibasa News : 17 साल पहले मिला पर्यटन स्थल का दर्जा
जैंतगढ़. धार्मिक आस्था का केंद्र केशरी कुंड अब भी उपेक्षित, सरकार ने सिर्फ बोर्ड लगाकर पल्ला झाड़ा
जैंतगढ़.
झारखंड-ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्र का महत्वपूर्ण धार्मिक एवं पर्यटन स्थल केशरी कुंड अब भी उपेक्षा की मार झेल रहा है. राज्य सरकार ने वर्ष 2009 में केशरी कुंड को राजकीय पर्यटनस्थल का दर्जा दिया था. कई योजनाओं का ब्लूप्रिंट भी तैयार हुआ, लेकिन आजतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. स्थानीय ग्रामीण और ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी की पहल पर बीते वर्ष इसे पर्यटन स्थल के रूप में पहचान मिली, लेकिन विकास का काम सिर्फ एक इन्फॉर्मेशन बोर्ड लगाने तक सीमित रह गया. पर्यटन सुविधाओं के अभाव में यह ऐतिहासिक स्थल अपनी पहचान खोता जा रहा है. स्थानीय लोगों में भी नाराजगी बढ़ रही है. कुंड का इतिहास और धार्मिक महत्ता: वैतरणी नदी के किनारे स्थित यह स्थल चंपुआ जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर है. सारेई गांव मयूरभंज और क्योंझर की सीमा पर स्थित है और नदी के उद्गम स्थल पर स्थित तीन दुर्लभ पत्थरों के जुड़े हुए कुंड को केशरी कुंड कहा जाता है. माना जाता है कि मकर संक्रांति पर यहां पवित्र डुबकी लगाने से मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है. इसी कारण हर वर्ष मकर संक्रांति पर यहां विशाल धार्मिक मेला आयोजित होता है, जिसमें झारखंड और ओडिशा से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.स्थानीय लोग नाराज, कहा- विकास सिर्फ कागजों में
ग्रामीण विद्याभूषण पति के अनुसार, पर्यटन स्थल का दर्जा मिलने के बाद भी केशरी कुंड का विकास केवल सूचना बोर्ड तक सिमटकर रह गया है. सड़क, शौचालय व पिकनिक के लिए कुछ भी आधारभूत सुविधाएं व्यवस्थित नहीं है. पर्यटन विभाग की उदासीनता, राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और अधिकारियों की लापरवाही के कारण यहां विकास कार्य अटके हुए हैं. इससे पर्यटक धीरे-धीरे इस स्थल से दूरी बनाने लगे हैं, जिससे स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी असर पड़ रहा है.
जल्द शुरू होगा विकास कार्य : जिला पर्यटन अधिकारी
जिला पर्यटन अधिकारी रमेश नाइक ने कहा कि केशरी कुंड के विकास कार्य को जल्द ही शुरू किया जायेगा. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि लंबे इंतजार के बाद अब यह स्थल अपनी वास्तविक पहचान वापस पायेगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
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