सूख गया बोकारो के शहीद गार्डेन में लगा औषधीय पेड़ ‘बकुल’, जानें इसकी खासियत

बोकारो के शहीद उद्यान में लगे औषधीय पेड़ बकुल सूख गया है. अब इसकी जगह नये पेड़ लगाए जा रहे हैं. बताया गया कि वर्ष 1968 में सिटी पार्क में रशियन ने बकुल का पहला पेड़ लगाए थे. इसकी लकड़ी भी बहुत मूल्यवान होती है. वहीं, इसका फल भी खाया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 7, 2022 5:18 PM

Jharkhand News: 60 के दशक में बोकारो इस्पात कारखाना (Bokaro Steel Plant) की बुनियाद पड़ने के साथ ही यहां स्टील सिटी के विकसित होने का सिलसिला भी शुरू हो गया. इसी क्रम में महसूस की गयी एक ऐसे स्थल की जहां बैठकर लोग भाग-दौड़ की जिंदगी और अपने कार्य की थकावट के बाद दो पल का समय प्रकृति के सानिध्य में गुजार सके. इसी उद्देश्य से स्थापित सिटी पार्क आज बोकारो वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण मनोहारी स्थल बना हुआ है.

सूखने लगा बकुल पेड़

सिटी पार्क के शहीद उद्यान में सूखा पड़ा बकुल (मौलसरी) का पेड़ BSL के स्थापना काल के इतिहास को ताजा कर रहा है. बीएसएल की स्थापना के सिलसिले में जब रशियन बोकारो आये थे, तब उन्होंने सिटी पार्क में इसी बकुल के पेड़ का पहला पौधा लगाया था. अब यह पेड़ पूरी तरह से सूख गया है. सिटी पार्क उद्यान प्रबंधन अब इसे हटाकर इसके स्थान पर फिर से एक नया बकुल का पौधा लगाने की तैयारी में है.

आयुर्वेदिक पौधा है बकुल

बकुल एक मध्यम आकार का सदाबहार औषधीय पेड़ है. भारत में इसकी गिनती आयुर्वेदिक पौधे में होती है. हिंदी में इसे बकल, मौलसरी, मौलसिरी, मुकुर, सिंघ केसर, बकुल आदि नामों से भी जाना जाता है. इसकी लकड़ी बहुत मूल्यवान होती है. इसका फल खाया जाता है. पारंपरिक औषधियों में इसका प्रयोग किया जाता है. यह दांत एवं पेट संबंधी समस्याओं के लिए लाभप्रद माना जाता है. फूल बहुत सुगंधित होते हैं.

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कारगिल युद्ध जीत की याद में बना था शहीद उद्यान

26 जुलाई 1999 के दिन भारतीय सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान चलाये गये ‘ऑपरेशन विजय’ को सफलतापूर्वक अंजाम देकर भारत भूमि को घुसपैठियों के चंगुल से मुक्त कराया था. शहीदों को श्रद्धांजलि देने एवं ऐतिहासिक जीत की याद में सिटी पार्क में ‘शहीद उद्यान’ का निर्माण बीएसएल के हार्टिकल्चर विभाग (सिटी पार्क, जैविक उद्यान, बोकारो क्लब एवं होटल) के कर्मियों ने श्रमदान से किया था.

बीएसएल के स्ट्रक्चरल में बना है बंदूक और जय जवान…

शहीद उद्यान में लगे बंदूक एवं जय जवान जय किसान जय विज्ञान का ढांचा बीएसएल के स्ट्रक्चरल में बनाया गया है. पहले यहां का चबूतरा ईंट और सीमेंट से बनाया गया, जो जर्जर हो गया था. अब इसपर ग्रेनाइट पत्थर लगाकर मजबूत एवं आकर्षक बना दिया गया है. यह पार्क 5400 मीटर स्वायर में फैला हुआ है. उद्यान के किनारे-किनारे झाड़ीदार पौधा एवं मौसमी फूल लगाया गया है. इसमें लगभग आधा दर्जन पेड़ हैं.

145 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला है शहर का सिटी पार्क

145 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला शहर का सिटी पार्क सेक्टर-एक और सेक्टर-तीन के बीच है. नगर के बिरसा चौक से प्रशासनिक भवन होते हुए सेक्टर-एक में श्रीराम मंदिर के पास बायीं ओर पूरब दिशा में इसका मुख्य द्वार है. एक प्रवेश द्वार उत्तर दिशा में पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के सामने की तरफ भी है. साथ ही सेक्टर-तीन की ओर से भी एक प्रवेश द्वार नगर उद्यान में प्रवेश के लिए बना हुआ है.

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उद्यान में लगभग पांच सौ प्रजाति के गुलाब के पौधे

सिटी पार्क मुख्यतः दो भाग में बंटा हुआ है. दक्षिण दिशा का भाग पिकनिक स्थल के रूप में स्थापित है, जबकि उत्तर दिशा का भाग उद्यान के रूप में विकसित किया गया है. उद्यान में लगभग पांच सौ प्रजाति के गुलाब के पौधे लगाये गये हैं. उद्यान के सुपरवाइजर कार्यालय के बगल में करीब छह सौ साल पुराना हजरत मौलना सैयद शाह खुंदकार चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की प्रसिद्ध मजार है.

रिपोर्ट : सुनील तिवारी, बोकारो.

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