Coal India Foundation Day: राष्ट्रीयकरण से पहले 70 मिलियन टन होता था उत्पादन, अब 720 मिलियन टन का लक्ष्य

आज कोल इंडिया अपना स्थापना दिवस मना रहा है. राष्ट्रीयकरण से पूर्व जहां कोल इंडिया में 70 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता था. वह वर्तमान में बढकर 720 लियन टन (2022-23) हो गया. इसमें आधा से ज्यादा उत्पादन आउटसोर्स से किया जा रहा है. आगामी 2025 तक कोल इंडिया का उत्पादन लक्ष्य 1 बिलियन टन रखा गया है.

By Rahul Kumar | November 1, 2022 2:02 PM

Coal India Foundation Day: आज कोल इंडिया अपना स्थापना दिवस मना रहा है. राष्ट्रीयकरण से पूर्व जहां कोल इंडिया में 70 मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता था. वह वर्तमान में बढकर 720 लियन टन (2022-23) हो गया. इसमें आधा से ज्यादा उत्पादन आउटसोर्स से किया जा रहा है. आगामी 2025 तक कोल इंडिया का उत्पादन लक्ष्य 1 बिलियन टन रखा गया है. पब्लिक सेक्टर के क्षेत्र में आज कोल इंडिया पूरे विश्व में सबसे ज्यादा कोयला उत्पादन करनेवाला कंपनी है.

ऊर्जा के क्षेत्र में दे रहा 81 फीसदी उत्पादन

पूरे देश में अपने उत्पादन का 81 फीसदी योगदान ऊर्जा के क्षेत्र में दे रहा है.कोल इंडिया में भारत सरकार का 90 फीसदी शेयर है तथा यह कंपनी कोयला मंत्रालय,भारत सरकार से ऑपरेट होता है.अप्रैल 2011 में भारत सरकार ने कोल इंडिया को महारत्ना कंपनी का दर्जा दिया था. भारत के आर्थिक बाजार में आज कोल इंडिया पाचवां सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कंपनी बन गया है. भारत में ऊर्जा की जरुरतों को पूरा करने के लिए 70 के दशक में कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया गया. राष्ट्रीयकरण से पूर्व प्राईवेट खानगी मालिक काफी खराब तरीके से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहे थे. राष्ट्रीयकरण के बाद काफी साइंटिफिक (वैज्ञानिक) तरीके से देश के मांग के मुताबिक कोयला खनन शुरु हुआ.

दो चरणों में हुआ था कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण

1970 के दशक में देश की प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी ने दो चरणो में पूर्व प्रधानमंत्री स्व इंदिरा गांधी जी ने कोयला उद्योग का राष्ट्रीयकरण किया था. 1972 में 226 कोकिंग कोल माइंस का (बीसीसीएल से) तथा 711 नन-कोकिंग कोल माइंस का (कोल माइंस ऑथरिटी लि.) से राष्ट्रीयकरण किया गया. 1 नवंबर 1975 को कोल इंडिया का (सीआईएल) गठन किया गया. 1975 से 2010 तक कोल इंडिया में भारत सरकार की सौ फीसदी साझेदारी हो गयी. अक्टूबर 2010 में कोल इंडिया ने प्रति शेयर 245 रुपये की दर से 10 फीसदी शेयर बेचकर 24 हजार करोड़ रुपया अर्जित किया. यह आईपीओ में भारत का दूसरा सबसे बड़ा कलेक्शन था. इसके बाद 2014-15 में और 10 फीसदी शेयर बेच कर सरकार ने करीब 20 हजार करोड रुपये अर्जित किये. अभी तक कोल इंडिया में कुल 32 फीसदी विनिवेश किया जा चुका है. कोल इंडिया का फिलहाल आठ राज्यों में 81 माइनिंग एरिया है. राष्ट्रीकरण के वक्त कोल इंडिया में 937 कोल माइंस थी. वर्तमान में लगभग 354 ओसी व यूजी माइंस है.कोल इंडिया में कुल 17 कोल वाशरी भी है. जिसमें 12 कोकिंग कोल वाशरी तथा 05 नन-कोकिंग कोल वाशरी है.इसमें 5-6 वाशरियां बंद हो गई है. कोल इंडिया में करीब 200 अन्य स्टेब्लीसमेंट है जिसमें वर्कशॉप तथा अस्पताल शामिल है.

कभी हुआ करता था सात लाख मैन पावर

राष्ट्रीयकरण के वक्त कोल इंडिया का मैन पावर सात लाख हुआ करता था. आज की तारीख में मैन पावर घटकर 2.32 लाख पर आ गया है. वहीं आउटसोर्स में काम करनेवाले ठेका मजदूरों की भी संख्या लगभग पौने लीन लाख के आसपास है.

एक जुलाई तक कोल इंडिया में ठेकाकर्मियों की संख्या

कंपनी ठेकाकर्मी

इसीएल 7045

बीसीसीएल 6110

सीसीएल 6461

डब्लूसीएल 11017

एसइसीएल 14912

एमसीएल 21590

एनसीएल 20265

सीएमपीडीआई 908

एनइसी 369

कोल इंडिया मुख्यालय 312

कोल इंडिया में स्थाईकर्मियों की घटती संख्या

वर्ष मैन पावर

2010 404744

2011 390243

2012 377447

2013 364736

2014 352282

2016 326032

2017 313829

2018 302785

2019 285479

2020 272445

2021 259016

2022 248550

1774 में रानीगंज से शुरु हुआ था उत्पादन

भारत में कोयला खनन का इतिहास काफी पुराना है.ब्रिटिश इस्ट इंडिया कंपनी ने वर्ष 1774 में दामोदर नदी के पश्चिमी किनारे रानीगंज में कोयले का वाणिज्यिक खनन शुरु किया. वर्ष 1953 में भाप से चलने वाली गाडियों के शुरु होने से कोयले की मांग बढी. इसके बाद कोयला का उत्पादन लगभग एक मिलियन मैट्रिक टन सालाना हो गया. 1942 तक सालना उत्पादन मिलियन मैट्रिक टन,1946 तक 30 मिलियन मैट्रिक टन हो गया. राष्ट्रीकरण के समय 1972-73 में उत्पादन बढकर सालाना 74 मिलियन मैट्रिक टन हो गया. कोयला उद्योग के राष्ट्रीकरण के के बाद जब 01.01.1975 को पहही बार कोयला मजदूरों के लिए एनसीडब्लूए-1 का एग्रीमेट हुआ. उस समय केटेगरी वन के मजदूरों का प्रति माह का बेसिक मात्र 260 रुपये था. जबकि एनसीडब्लूए-10 के एग्रीमेट के अनुसार केटेगेरी-वन के मजदूरों का बेसिक प्रति माह 26,292 रुपये है.

पिछले पांच वर्षो में ऐसा रहा उत्पादन

वर्ष उत्पादन (करोड टन में)

2016-17 55.4

2017-18 56.7

2018-19 60.7

2019-20 60.2

2020-21 59.6

2021-22 62.2

सार्वजनिक स्वरुप को बचाये रखने का सवाल

यूनियन नेताओं का कहना है कि कोल इंडिया पुन: नीजिकरण की ओर जा रही है. कोल इंडिया का विनिवेश कमर्शियल माइनिंग जारी है.तेज गति से आउटसोर्सिंग व एमडीओ शुरु है. 162 कोल माइंस, सीएचपी व वाशरी को लीज पर नीजि मालिकों का दिये जाने की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है. आज कोल इंडिया के सार्वजनिक स्वरुप को बचाये रखने का सवाल है.वर्ष 2025 तक एक बिलियन टन उत्पादन के लिए 20 हजार हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता पडेगी.कोल इंडिया के पास उसका अपना रिजर्व लगभग 62 हजार करोड रुपया केंद्र सरकार ने ले लिया है.

रिपोर्ट: राकेश वर्मा,बेरमो

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