Bokaro News : सीसीएल में चार साल से बंद है दो लाख रुपये तक का सिविल कांट्रेक्ट, बदहाल हुए सैकड़ों कांट्रेक्टर

Bokaro News : सीसीएल में चार साल से दो लाख रुपये तक के कांट्रेक्ट बंद हैं. इससे बेरमो के भी सैकड़ों संवेदक बदहाल हो गये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | February 18, 2025 12:12 AM

राकेश वर्मा, बेरमो : सीसीएल में चार साल से दो लाख रुपये तक के कांट्रेक्ट बंद हैं. इससे बेरमो के भी सैकड़ों संवेदक बदहाल हो गये हैं. किसी ने काम बदल लिया और कई लोग पलायन कर गये. बेरमो के तीनों एरिया से लगभग 400 छोटे-छोटे संवेदक बेरोजगार हो गये. हर एरिया स्तर पर साल में 15- 20 करोड़ रुपये का काम होता है. इस मसले पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि सीसीएल प्रबंधन पर दबाव नहीं बना सके. मालूम हो कि वर्ष 2021-22 में सीसएल प्रबंधन ने हर एरिया व परियोजना में दो लाख रुपये तक के सभी सिविल वर्क को बंद कर दिया. इस निर्णय के बाद सीसीएल के संवेदकों ने कई बार मुख्यालय, एरिया व परियोजना स्तर पर धरना-प्रदर्शन भी किया. तत्कालीन सीएमडी व हर एरिया के महाप्रबंधक से मिलकर आग्रह भी किया, लेकिन इसका कोई असर प्रबंधन पर नहीं पड़ा. इस मामले को सीसीएल स्तर पर होने वाली संयुक्त सलाहकार संचालन समिति (जेसीएसी) की बैठक में मजदूर संगठन के नेताओं ने तत्कालीन सीएमडी पीएम प्रसाद के समक्ष उठाया था. इस पर प्रबंधन का तर्क था कि दो लाख रुपये तक के कांट्रेक्ट के नाम पर काफी दुरुपयोग व अनियमितता की शिकायत आने के कारण इसे बंद किया गया है.

कायाकल्प के बाद अब सीएएमसी के तहत कराये जा रहे हैं सिविल वर्क

वर्ष 2020-21 तक सीसीएल में कायाकल्प योजना के तहत मजदूरों के क्वार्टरों का एकमुश्त सिविल वर्क, पेयजल के लिए पाइप लाइन की सुविधा सहित कई कार्य कराये गये. कायाकल्प योजना में काफी अनियमितता बरती गयी. अब सीसीएल में अधिकांश सिविल वर्क सीएएमएसी (कॉपरिहेनसिव एनुएल मेटनेंस कांट्रे्क्ट) के तहत सिविल के अलावा अन्य वर्क कराये जा रहे हैं. अब हर एरिया स्तर पर चार करोड़ रुपये तक का काम का टेंडर होता है. पांच करोड़ से ऊपर तक का टेंटर सीसीएल हेडक्वार्टर में डायरेक्टर स्तर पर होता है. हर एरिया के जीएम को 2.36 करोड़ (जीएसटी के साथ) रुपये तक के काम को एप्रुवल प्रदान करने का पावर है. जबकि हर एरिया स्तर पर सिविल विभाग को 3.75 करोड़ (बिना जीएसटी का) तक का टेंडर कराने का पावर है, लेकिन इसका एप्रुवल मुख्यालय स्तर पर डायरेक्टर स्तर के अधिकारी देते हैं. सीएमसी के तहत सिविल वर्क के अलावा साल में प्रमुख त्योहार में मंदिर का काम, सड़क का काम के अलावा हर माइंस में जरूरत के अनुसार तत्काल (इमरजेंसी) काम कराया जाता है. बडे़ टेंडर में चंद बडे़ संवेदक हिस्सा लेते हैं तथा न्यूनतम दर पर काम लेते हैं. इन्हीं चंद बडे़ संवेदकों से कुछ छोटे-छोटे संवेदक पेटी में काम लेकर अपना रोजी-रोटी चलाते हैं.

पहले वेलफेयर कमेटी करती थी कार्यों का निरीक्षण

कायाकल्प योजना के समय सीसीएल स्तर पर वेलफेयर कमेटी हर एरिया में चल रहे कार्यों का निरीक्षण करती थी तथा मुख्यालय में रिपोर्ट सबमीट करती थी. प्रत्येक माह वेलफेयर तथा जेसीएसी की बैठक होती थी. इसके बाद दोनों बैठक प्रत्येक तीन माह पर होने लगी. अब प्रत्येक छह माह पर वेलफेयर व जेसीएसी की बैठक होती है. सीएएमसी के तहत चल रहे कार्यों का कमेटी निरीक्षण नहीं करती है.

क्या कहते हैं जेसीएसी सदस्य

सीसीएल के जेसीएसी सदस्य व एटक नेता लखनलाल महतो ने कहा कि दो लाख रुपये तक का कांट्रेक्ट बंद होने का मामला हमलोगों ने तत्कालीन सीएमडी पीएम प्रसाद के समक्ष उठाया था. इसके बाद कुछ दिनों तक इसे चालू रखा गया, लेकिन बाद में पूरी तरह से बंद कर दिया गया.

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