दुबारा शुरू हुई मृत घोषित किये गये जीवित व्यक्तियों की पेंशन

बंद अवधि की भी पेंशन राशि मिली कसमार : कसमार प्रखंड की टांगटोना पंचायत में मृत घोषित कर वृद्धावस्था पेंशन बंद दिये गये लोगों की पेंशन फिर से शुरू हो गयी. जिस अवधि से पेंशन बंद थी, उसे जोड़कर लाभुकों के खाते में पैसा जमा हुआ है. इससे पेंशनधारियों को काफी राहत मिली है. 29 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 20, 2019 1:24 AM

बंद अवधि की भी पेंशन राशि मिली

कसमार : कसमार प्रखंड की टांगटोना पंचायत में मृत घोषित कर वृद्धावस्था पेंशन बंद दिये गये लोगों की पेंशन फिर से शुरू हो गयी. जिस अवधि से पेंशन बंद थी, उसे जोड़कर लाभुकों के खाते में पैसा जमा हुआ है. इससे पेंशनधारियों को काफी राहत मिली है. 29 जुलाई 2019 को प्रभात खबर ने जीवित को मृत घोषित कर रोक दी वृद्धापेंशन शीर्षक से इस बाबत प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी. उसके बाद प्रशासन हरकत में आया व सभी की पेंशन दोबारा चालू कराने के साथ-साथ बंद अवधि की पेंशन राशि भी उपलब्ध कराने की दिशा में पहल की थी.
क्या है मामला : पुरनी बगियारी निवासी दुलाली देवी (पति-विशु महतो), जामकुदर निवासी गणेश रजवार (पिता-सोहराय रजवार), टांगटोना निवासी भीष्म तुरी (पिता-जीतू तुरी) व मेरामहारा निवासी एतवारी देवी (पति-मातला मांझी) को मृत घोषित कर इनकी वृद्धापेंशन बंद कर दी गयी थी. किसी की दो साल तो किसी की तीन साल से पेंशन बंद थी.
इनमें से एक लाभुक दुलाली देवी ने इसकी शिकायत उपप्रमुख ज्योत्सना झा से की थी. श्रीमती झा ने नौ जुलाई को पंचायत समिति की बैठक में मामले को उठाया. सीओ प्रदीप कुमार ने इसे गंभीरता से लिया और जांच के लिए जिला मुख्यालय को खत लिखा. मुख्यालय से जानकारी मिली कि स्थानीय मुखिया गुड़िया देवी व पंचायत सेवक ने दुलाली देवी समेत इसी पंचायत के तीन अन्य जीवित व्यक्ति को भी मृत घोषित कर दिया है.इसी कारण से इन सभी की पेंशन जुलाई 2018 से ही बंद है.
उपप्रमुख ने जनवरी 2019 की पंचायत समिति बैठक में भी इस मामले को उठाया था. उस समय इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी. मुखिया व पंचायत सेवक ने मामले को दबाये रखा. तत्कालीन सीओ के स्तर से भी इसका खुलासा नहीं किया गया. जबकि, मुखिया गुड़िया देवी ने जनवरी 2019 में सीओ को पत्र लिखकर इससे अवगत कराते हुए सभी की पेंशन पुन: चालू कराने का आग्रह किया था. मुखिया ने लिखा था कि वर्ष 2017-18 के भौतिक सत्यापन के क्रम में भूलवश चार पेंशनधारियों को मृत घोषित कर दिया गया था.

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