तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार को लिखा पत्र, कहा- बाढ़ के मसले पर दिल्ली चले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल

बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने एक बार फिर जा सकता है. जातीय जनगणना की तरह बाढ़ के मसले पर भी बिहार के सभी दलों के नेताओं को एकजुट होकर केंद्र से बात करने की पहल हुई है. यह पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है.

By Prabhat Khabar Print Desk | September 29, 2021 2:55 PM

पटना. बिहार का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने एक बार फिर जा सकता है. जातीय जनगणना की तरह बाढ़ के मसले पर भी बिहार के सभी दलों के नेताओं को एकजुट होकर केंद्र से बात करने की पहल हुई है. यह पहल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने की है. उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा है. तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री सेमांग की है कि बिहार के सर्वदलीय नेताओं का एक शिष्टमंडल प्रधानमंत्री से मुलाकात करे और बिहार में बाढ़ से उत्पन्न समस्याओं को पीएम के सामने रखे.

तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री से व्यापक जनहित में साथ आने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि बिहार में प्रतिवर्ष बाढ़ और सुखाड़ की विभीषिका के कारण होने वाले नुकसान एवं नदी जोड़ने की योजना के महत्व के संदर्भ में राज्यहित में उनके नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल प्रधानमंत्री से मिलकर उपर्युक्त उचित माँगों को रखे.

दो पन्ने के अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने लिखा है, “बिहार देश का एक ऐसा राज्य है जो प्रतिवर्ष बाढ़ की भयानक विभीषिका के साथ-साथ सुखाड़ की गंभीर समस्याओं को भी झेलता है, जिससे प्रतिवर्ष करोड़ो लोग प्रभावित होते हैं. हजारों लोगों की असामयिक मृत्यु होती है और अरबों रुपयों की फसल और जान-माल की क्षति होती है.”

“बिहार के कम-से-कम 20 जिले सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सीवान, मधुबनी मधेपुरा, सहरसा, भागलपुर कटिहार, वैशाली पटना आदि ऐसे हैं, जो हर साल बाढ़ से गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं. बिहार की बाढ़ समस्या के समाधान हेतु केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा सिर्फ घोषणाएँ ही की जा रही है लेकिन इस समस्या के स्थायी और ठोस समाधान की दिशा में ईमानदार कोशिश नहीं हो रही है.”

तेजस्वी ने आगे लिखा, “इन गंभीर समस्याओं के निदान हेतु कई नहरों और बराजों के निर्माण कराने के साथ-साथ राज्य की नदियों को जोड़ने की माँग पहले से की जाती रही है. साल 2011 में राज्य में नदी जोड़ों परियोजना की घोषणा की गई थी. इसमें राज्य की कई नदियों को जोड़ने के लिए अनेक योजनाओं बागमती-बूढ़ी गंडक लिंक, बूढ़ी गंडक – बाया- गंगा लिंक, कोसी- बागमती गंगा लिंक आदि की बात कही गई थी. केन्द्र सरकार ने वर्ष 2019 में इनमें से मात्र एक “कोशी-मेची” नदी को जोड़ने की योजना को मंजूरी दी थी, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस योजना का कार्यान्वयन अभी तक शुरू नहीं हुआ है.”

अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी लिखा है, “कोशी, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक, कमला बलान, घाघरा महानन्दा आदि सभी बारहमासी नदियाँ हैं और बरसात के मौसम में इन नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में बारिश होने पर पानी के बहाव की मात्रा और प्रबलता अचानक अत्यधिक हो जाती है, जो प्रभावित लोगों को संभलने का मौका ही नहीं देता. जिससे ये नदियाँ भयंकर तबाही लाती है. राज्य में बाढ़ की विभीषिका के स्थायी समाधान हेतु इन नदियों को राज्य की अन्य नदियों जिनमें कम पानी रहता है, इसे जोड़ना अति आवश्यक है.”

अपने पत्र के अंत में तेजस्वी ने कहा, “मेरा सुझाव और आग्रह है कि राज्यहित में प्रतिवर्ष बाढ़ की विभीषिका के कारण होने वाले नुकसान और नदी जोड़ने की योजना के महत्व के संदर्भ में आपके नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल माननीय प्रधानमंत्री जी से मिलकर उपर्युक्त मांगों को रखे.”

Posted by Ashish Jha

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