लक्ष्य से पिछड़ रही खरीफ की खेती

मॉनसून का सही साथ नहीं मिलने के चलते धान रोपनी का कार्य काफी पीछे चल रहा है. आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान बारिश का इंतजार कर रहे है. वहीं कुछ किसान पंप सेट के सहारे धान की रोपनी शुरू रहे हैं. लक्ष्य के अनुरूप अब तक मात्र 64 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है.

By DEEPAK MISHRA | July 30, 2025 10:25 PM

सीवान. मॉनसून का सही साथ नहीं मिलने के चलते धान रोपनी का कार्य काफी पीछे चल रहा है. आसमान की ओर टकटकी लगाए किसान बारिश का इंतजार कर रहे है. वहीं कुछ किसान पंप सेट के सहारे धान की रोपनी शुरू रहे हैं. लक्ष्य के अनुरूप अब तक मात्र 64 प्रतिशत ही धान की रोपनी हो सकी है. जिले में वर्ष खरीफ फसल का लक्ष्य 126850 हेक्टेयर निर्धारित है. वहीं खरीफ फसल का आच्छादन 84003 हेक्टेयर ही हो सका. वहीं धान के लिए 100246 हेक्टेयर लक्ष्य रखा गया है. इसके विरुद्ध 66182 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है. अधिकांश किसान धान की बुआई के लिए बारिश पर निर्भर है. जुलाई के अंत तक में 140 एमएम बारिश हुई है. जबकि इस माह में औसत वर्षापात 321 एमएम है. किसान केदारनाथ गिरी ने बताया कि प्रकृति की मार किसानों पर बरस रही है. धान की खेती पर बढ़ रहा अतिरिक्त खर्च किसानों ने बताया कि वर्तमान परिस्थिति में धान की खेती करना कठिन है. पहले धान की खेती करना आसान था. समय से पानी हो जाता था. इससे अतिरिक्त खर्च नही करना पड़ता था. विगत कुछ साल से समय पर बारिश नही हो रही है. जिसके चलते आर्थिक बोझ बढ़ गया है. कृत्रिम संसाधनों से धान की रोपनी करने से दो हजार रुपये का अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है. मजदूर,खेत की जुताई व पानी को मिलाकर एक बीघा खेत मे धान की रोपनी करने पर लगभग दस हजार रुपये का खर्च आता है.जबकि उपज की कोई गारंटी नही है.समय पर पानी नही मिला तो धान की पैदावार नही के बराबर होगी. वैकल्पिक फसलों की करें खेती कृषि विभाग के कर्मियों का कहना है कि मॉनसून की अनिश्चितता को देखते हुए किसानों को खरीफ के वैकल्पिक फसलों की खेती करनी चाहिए. जिससे उन्हें कम लागत में अच्छी पैदावार प्राप्त हो. बारिश नहीं होने की परिस्थिति में किसान दलहनी फसलों को भी लगा सकते हैं.अरहर, उड़द और मूंग की खेती में भी काफी अच्छा मुनाफा है .इसके अलावा मक्का एवं तिल की भी खेती की जा सकती है.

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