प्रत्याशियों के नामों पर टिकी लोगों की निगाहें
निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के साथ ही जिला में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. जिला के आठ विधानसभा में आगामी 6 नवंबर को मतदान होगा. इसको लेकर जहां प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों का दौर शुरू हो गया है. वहीं दूसरी ओर टिकट के दावेदार राजधानी व पार्टी सुप्रीमों की परिक्रमा करने में लग गए हैं.
प्रतिनिधि, सीवान. निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा के साथ ही जिला में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गयी है. जिला के आठ विधानसभा में आगामी 6 नवंबर को मतदान होगा. इसको लेकर जहां प्रशासनिक स्तर पर तैयारियों का दौर शुरू हो गया है. वहीं दूसरी ओर टिकट के दावेदार राजधानी व पार्टी सुप्रीमों की परिक्रमा करने में लग गए हैं. जिला के सीवान सदर, जीरादेई, दरौली, रघुनाथपुर, दरौंदा, बड़हरिया, गोरेयाकोठी व महराजगंज में 6 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. क्षेत्र में सबसे ज्यादा चर्चा यह हो रही है कि किस विधानसभा से प्रत्याशी कौन होगा. इस तरह की परिस्थिति विभिन्न राजनीतिक पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच की है. एनडीए गठबंधन हो या महागठबंधन किसी भी पार्टी के प्रत्याशी का अभी चेहरा साफ नहीं है. बस कयासों का दौर चल रहा है. तर्क व वितर्क के बीच एनडीए व महागठबंधन दोनों में ही यह चर्चा का विषय बना है. दोनों गठबंधन से दर्जनों संभावित उम्मीदवार मैदान में कूदे दिख रहे है. लोग अपनी अपनी दावेदारी होने की बात कह रहे हैं. उनके द्वारा अपने क्षेत्र के कुछ मतदाताओं को गोलबंद भी किया गया है और प्रचार प्रसार में अंदर ही अंदर काफी तेजी ला दी गई है. मतदाता उनके झांसे में आ नहीं रहे हैं और वह टिकट कंफर्म होने की घोषणा का इंतजार कर रहे है. कई मतदाता यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि एक सप्ताह के अंदर ही कौन प्रत्याशी होगा इसकी भी सूची जारी कर दी जाएगी. नेताओं की दौड़ राजधानी में, जिला कार्यालयों पर दिखा सन्नाटा चुनाव का एलान के साथ राजनीतिक दलों का कार्यालयों में सन्नाटा देखने को मिला. भाजपा, जदयू, लोजपा, राजद, भाकपा माले, जनसुराज समेत अन्य दलों के कार्यालयों में लोगों की भीड़ अन्य दिनों की तरह नहीं देखने का मिली. हालांकि राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गयी हैं. विभिन्न दलों से टिकट लेने की दौड़ में शामिल नेता राज्य मुख्यालय की ओर कूच कर गए है. वहीं कार्यकर्ता व समर्थक चौक चौराहों पर चर्च शुरू कर दिए हैं. वहीं पटना में भावी प्रत्याशियों के साथ ही कई विधायकों एवं मंत्रियों के समर्थकों के बीच प्रदेश चुनाव समिति की बैठक से निकली चर्चा को लेकर बेचैनी दिखी.
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