लिफाफे में बंद ग्रीटिंग्स’ लाने वाले डाकिये के इंतजार में राेमांचित होते थे लोग
नोटिफिकेशन, स्टीकर और मीम्स के दौर में गुम हो गई ग्रीटिंग कार्ड की परंपरा
गुठनी. नववर्ष का आगमन हो रहा है, लेकिन डाक विभाग में पहले जैसी हलचल नहीं है. यही वह समय होता था जब करीब 25-30 साल पहले तक लिफाफे में बंद ‘नया साल’ लिए डाकिया घरों के दरवाजे पर दस्तक देते थे. मित्रों, सगे-संबंधियों से शुभकामना का यह पत्र न्यू इयर ग्रीटिंग्स कार्ड होता था. इसके अंदर चंद सुंदर पंक्तियों में भावनाएं पिरोई होती थीं जो रिश्तों को अलग एहसास दे जाती थीं. लेकिन नोटिफिकेशन, डिजिटल स्टीकर और मीम्स के इस दौर में अब कार्ड्स की दुनिया वीरान हो गई तो डाक विभाग में
ग्रीटिंग्स वाले पोस्ट भी इक्के-दुक्के रह गए.
डाकपाल मुन्ना पांडेय की माने तो उस दौर में डाक विभाग की व्यस्तता बढ़ जाती थी. काफी लोग पोस्ट बॉक्स में ग्रीटिंग्स ड्रॉप करते थे और उसको समय-समय पर खाली करना पड़ता था. उतनी ही मात्रा में बाहर से आने वाले ग्रीटिंग्स पोस्ट का वितरण भी होता था. अब ऐसे पोस्ट की संख्या बहुत कम रह गई है. उन्होंने बताया कि उस दौर में एक-एक दिन में 10-10 हजार ग्रीटिंग्स कार्ड का पोस्ट मेल में इकट्ठे होते थे. वहीं डाक विभाग के एक पुराने कर्मचारी कहते हैं कि जब ग्रीटिंग्स कार्ड लेकर डाकिया लोगों के घरों पर दस्तक देते थे तो लोगों के चेहरे पर खुशियां दिखती थीं. आमतौर पर पार्सल और टेलीफोन बिल पहुंचाने वाले डाकिया के लिए यह अलग अनुभूति होती थी.रात 12 बजे से आने लगता है नोटिफिकेशन
मैरीटार निवासी उदय प्रताप सिंह बताते हैं कि अब तो 31 दिसंबर की रात 12 बजे से ही व्हाट्सएप मैसेज आने लगता है. कुछ लोग कॉल भी करते हैं. लेकिन ग्रीटिंग्स कार्ड जैसी खुशियां नहीं होती. उन्होंने बताया कि उन्हें याद है बचपन में बड़े भाई और बहनों के भेजे ग्रीटिंग्स को लेकर स्कूल में दोस्तों को दिखाते थे. शिक्षिका संगीता कुमारी बताती हैं कार्ड्स में भी कई रेंज होते थे. 2 रुपये से लेकर 250 रुपये तक के कार्ड्स आम दुकानों में मिलते थे. कुछ ब्रांड्स की गैलरी होती थी जिसमें और महंगे कार्ड होते थे. बाद के दिनों में म्यूजिकल कार्ड्स भी आए. डॉ राहुल मिश्रा बताते हैं कि पटेल चौक कुछ कार्ड्स गैलरी थी. लेकिन जब बिक्री बंद हो गई तो इसमें कपड़े और गिफ्ट की दुकानें खुल गईं.दिलचस्प है ग्रीटिंग्स कार्ड का सफर
11 सौ साल पहले बनाया गया था ग्रीटिंग्स कार्ड का सफर भी दिलचस्प है. प्राचीन चीन और मिस्र से शुरू होकर, यूरोप में 1400 के दशक में वुडकट्स (लकड़ी की नक्काशी) से बने शुभकामना पत्र के रूप में ग्रीटिंग्स कार्ड का ईजाद हुआ. खासकर नए साल और वैलेंटाइन डे के लिए.1843 में सर हेनरी कोल ने पहला व्यावसायिक क्रिसमस कार्ड बनाया, जिससे यह आम लोगों तक पहुंचा और नववर्ष के लिए भी इस कार्ड का इस्तेमाल शुरू हुआ. डाक टिकटों के आने से कार्ड भेजना आसान हुआ और नववर्ष के अलावा जन्मदिन, क्रिसमस, वैलेंटाइन डे के लिए कार्डों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
