पोर्टल पर डाले गये 60 निजी स्कूलों के क्लेम की जांच 10 महीनों में नहीं, प्रतिपूर्ति राशि अटकी
मामला निजी विद्यालयों द्वारा 25 फीसदी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के एवज में सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रतिपूर्ति की राशि से जुड़ा हुआ है
मनीष गिरि. यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि लालफीताशाही के भंवर जाल में जिले के 140 निजी विद्यालय के संचालक फंस कर रह गये हैं. जिला पदाधिकारी स्तर से गठित 70 सदस्यीय जांच कमेटी को 140 निजी विद्यालयों की जांच करने में आठ महीने भी कम पड़ गये हैं. मामला निजी विद्यालयों द्वारा 25 फीसदी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के एवज में सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली प्रतिपूर्ति की राशि से जुड़ा हुआ है. यह राशि वित्तीय वर्ष 2019-20 से लेकर अबतक बकाया है. इस मामले में तत्कालीन डीएम मुकुल कुमार गुप्ता ने 20 फरवरी 2025 को जिला स्तरीय पदाधिकारियों की 70 सदस्यीय जांच कमेटी गठित करते हुए तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब किया था. पूर्व डीएम डॉ आदित्य प्रकाश के कार्यकाल में भी जांच पूरी नहीं हुई. 60 विद्यालयों की जांच अभी भी लंबित हैं. वहीं शिक्षा विभाग जांच पूरी होने तक अपना हाथ खड़ा कर दिया है.
ज्ञानदीप पोर्टल पर निजी विद्यालयों ने किया था क्लेम
बताते चलें कि निजी विद्यालयों द्वारा प्रतिपूर्ति राशि को लेकर ज्ञानदीप पोर्टल पर क्लेम किया था. इस मामले में 18 दिसंबर 2024 को शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने निजी विद्यालयों द्वारा ज्ञानदीप पोर्टल पर क्लेम के आरोप में जिला स्तरीय पदाधिकारी से जांच कराने का निर्देश दिया गया था. कुछ विद्यालयों द्वारा वर्ष 2019-20 में ज्ञानदीप पोर्टल पर प्रविष्टि किये गये आंकड़ों की समीक्षा के क्रम में यह पाया गया था कि कुछ निजी विद्यालयों द्वारा मात्र ट्यूशन फीस का दावा किया गया है, परंतु अधिकांश निजी विद्यालयों द्वारा ट्यूशन फीस के साथ-साथ नामांकित बच्चों के निःशुल्क पोशाक एवं निःशुल्क पाठ्य पुस्तक उपलब्ध कराने से संबंधित राशि की प्रतिपूर्ति का भी दावा किया गया था. प्रतिपूर्ति राशि के लिए जिन 140 विद्यालयों ने दावा किया है, उसमें बच्चों की कुल संख्या 6531 है. सरकार अधिकतम प्रति छात्र 11 हजार रूपये देती है. स्कूलों ने प्रतिपूर्ति राशि का दावा 8500 सौ लेकर 12 हजार तक किया है. यह समिति फैसला करेगी कि किस विद्यालय को कितनी राशि दी जानी है.डीएम के समक्ष पेश करनी थी जांच रिपोर्ट
ज्ञानदीप पोर्टल पर निजी विद्यालयों द्वारा दर्ज की गयी सूचनाओं के आधार पर उनके दावे की जांच जिला स्तरीय पदाधिकारी को करनी थी. जितनी प्रतिपूर्ति राशि का दावा विद्यालयों ने किया है उसी को आधार मानकर जिला स्तरीय समिति विचार करेगी तथा सत्रवार प्रत्येक विद्यालय के लिए प्रति वर्ग प्रति छात्र अनुमान्य प्रतिपूर्ति राशि की भुगतान हेतु अनुशंसा करेगी. प्रतिपूर्ति राशि की कटौती व बढ़ोतरी का अधिकार गठित समिति के पास है. समिति नामांकित छात्रों व उनके अभिभावकों से भी यह पूछ-ताछ करेगी कि कही उनसे ट्यूशन फीस की राशि ली गई है अथवा नहीं. उन्हें निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक उपलब्ध कराया गया है अथवा नहीं. उन्हें निःशुल्क पोशाक दिया गया है अथवा नहीं. सभी रिपोर्ट को समेकित करते हुए समिति डीएम के समक्ष पेश करेगी. जहां जिला स्तरीय समिति अंतिम फैसला लेते हुए रिपोर्ट प्राथमिक शिक्षा निदेशालय को सौंपनी है. जिसके बाद प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान होगा. जिला स्तरीय समिति के अध्यक्ष जिला पदाधिकारी है, जबकि सदस्य डीडीसी, डीइओ व जिला लेखा पदाधिकारी है. वहीं डीपीओ एसएसए सचिव हैं. प्राइवेट स्कूल एंड चिल्ड्रेन एसोसियेशन के अध्यक्ष प्रभात चंद्रा व सचिव शिवजी प्रसाद ने डीएम से मामले में हस्तक्षेप करने की मांंग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
