कई दिग्गज इस बार रहेंगे चुनाव मैदान से बाहर

जिले की राजनीति में एनडीए के कई चेहरे ऐसे रहे हैं, जो लंबे समय से यहां के राजनीति के गेम चेंजर साबित होते रहे.ये पहली पर यहां विधानसभा चुनाव के पिक्चर से ही गायब हैं.जिले आठों सीट से एनडीए के उम्मीदवार घोषणा के बाद यह तस्वीर बन रही है.

By DEEPAK MISHRA | October 15, 2025 10:14 PM

संवाददाता,सीवान. जिले की राजनीति में एनडीए के कई चेहरे ऐसे रहे हैं, जो लंबे समय से यहां के राजनीति के गेम चेंजर साबित होते रहे.ये पहली पर यहां विधानसभा चुनाव के पिक्चर से ही गायब हैं.जिले आठों सीट से एनडीए के उम्मीदवार घोषणा के बाद यह तस्वीर बन रही है. ओमप्रकाश यादव:ऐसे चेहरों में भाजपा से बड़ा नाम है ओमप्रकाश यादव का.ओमप्रकाश ने डेढ़ दशक तक मो.शहाबुद्दीन के अभेद्य जैसा दिखनेवाला राजनीतिक किला को निर्दल चुनाव लड़कर ध्वस्त किया था.सजाफ्ता होने के बाद मो.शहाबुद्दीन की पत्नी हेना सहाब के वर्ष 2009 में लोकसभा चुनाव मैदान में उतरने पर ओमप्रकाश ने पराजित किया.इसके बाद भाजपा में शामिल होने पर 2014 का भी लोकसभा का चुनाव जीता. इसके बाद यह सीट जदयू कोटे में चले जाने पर ये 2019 के चुनाव में लड़ने से वंचित रहे. भाजपा ने उन्हें 2020 के चुनाव में सीवान विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया, लेकिन वे राजद के अवध बिहारी चौधरी से मामूली अंतर से हार गए.इस बार भाजपा ने अध्यक्ष मंगल पांडेय को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है. मनोज कुमार सिंह:सीवान सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मनोज कुमार सिंह इस बार चुनाव मैदान से बाहर नजर आ रहे हैं.भाजपा नेता मनोज कुमार सिंह ने पिछला चुनाव लोजपा से रघुनाथपुर सीट से लड़े थे.उनके राजनीतिक करियर में चुनाव लड़ने और विभिन्न पदों पर रहने का अनुभव शामिल है. 2015 में उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के रूप में रघुनाथपुर से चुनाव लड़ा था.मनोज कुमार सिंह रघुनाथपुर के भाजपा से जुड़े एक प्रमुख नेता रहे हैं, जिन्हें क्षेत्रीय राजनीतिक अनुभव के साथ बैंकिंग क्षेत्र में भी नेतृत्व का अनुभव है.इस बार वे एक बार फिर रघुनाथपुर सीट से भाजपा से दावेदारी कर रह रहे थे.लेकिन जदयू की परंपरागत सीट एक बार उसी के कोटे से बरकरार रहने के कारण चुनाव मैदान से मनोज सिंह बाहर नजर आ रहे हैं. डां कुमार देव रंजन सिंह :महाराजगंज विधानसभा से डा. कुमार देव रंजन सिंह तीन बार चुनावी मैदान में उतरे. जहां एक बार उपचुनाव बीजेपी से चुनाव में जीत दर्ज किए. 2020 में बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़े. 2025 के विधानसभा में भी एनडीए के तरफ से दावेदारी पेश किया. लेकिन पूर्व विधायक हेमनारायण शाह को टिकट मिल जाने से डा.कुमार देवरंजन इस बार चुनाव मैदान से बाहर हैं. जदयू से बगावत कर श्याम बहादुर ने निर्दलीय की दावेदारी बिहार की राजनीति में अपने रंगीन अंदाज़ के लिए काफी चर्चित रहे श्याम बहादुर सिंह इस बार चुनावी रणक्षेत्र में निर्दलीय उम्मीदवार हैं.जीरादेई से एक बार व बड़हरिया से दो बार श्याम बहादुर विधायक रहे.पिछला चुनाव ये राजद के बच्चा पांडे से हार गये.इस बार उनका टिकट काटकर पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष इंद्रदेव पटेल को नेतृत्व ने मौका दिया है.श्याम बहादुर की सरलता ही उनकी राजनीतिक ताकत रही है.साथ ही नीतीश कुमार के चंद करीबीयों में इनका भी नाम लिया जाता रहा है.इस बार टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में हैं

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