पैतृक गांव में पंचतत्व में विलीन हुए शरद यादव, मुकेश सहनी भी अंतिम संस्कार में हुए शामिल

समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव शनिवार को अपने पैतृक गांव मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पैतृक गांव आंखमउ में पंचतत्व में विलीन हो गये. उनके पुत्र और पुत्री ने मुखाग्नि दी. इस मौके पर बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता और उनके चाहने वाले मौजूद रहे.

By Prabhat Khabar Print Desk | January 14, 2023 9:35 PM

समाजवादी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव शनिवार को अपने पैतृक गांव मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के पैतृक गांव आंखमउ में पंचतत्व में विलीन हो गये. उनके पुत्र और पुत्री ने मुखाग्नि दी. इस मौके पर बड़ी संख्या में राजनीतिक व सामाजिक कार्यकर्ता और उनके चाहने वाले मौजूद रहे. अंतिम संस्कार के दौरान बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी भी उपस्थित रहे. बिहार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी शनिवार को महान समाजवादी नेता दिवंगत शरद यादव की अंतिम यात्रा में भी शामिल हुए उन्हें अंतिम विदाई दी. दिवंगत नेता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद श्री सहनी ने शरद यादव के साथ काम करने के दौर को याद करते हुए कहा कि उनके बताए गए संघर्ष के रास्ते पर आज भी उनकी पार्टी चल रही है और आगे भी चलेगी. सहनी ने कहा कि दिवंगत नेता राजनीति की पुस्तक थे. उनके द्वारा पढ़ाया गया पाठ राजनीति के क्षेत्र में हर कदम पर मार्गदर्शन करता है.

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इसके पहले नयी दिल्ली से विशेष विमान से उनका पार्थिव शरीर भोपाल लाया गया. इस दौरान दिल्ली स्थित आवास पर अन्य लोगों के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी और नरेंद्र नारायण यादव ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. बता दें कि परिजन दोपहर करीब 3:30 बजे शरद यादव का पार्थिव शरीर लेकर ग्राम आंखमऊ पहुंचे. शरद यादव का पार्थिव शरीर जैसे ही उनके गांव पहुंचा लोगों में शोक की लहर छा गयी. शाम पांच बजे के आसपास घर के पास बने खलिहान में धार्मिक रीति रिवाज से उनका अंतिम संस्कार किया गया. शरद यादव का बचपन ग्राम आंखमऊ में बीता है और प्रारंभिक पढ़ाई भी उनकी गांव में ही रह कर हुई. गांव में उनके परिजनों ने बताया कि वो जब भी गांव आया करते थे कि काफी समय खलिहान में बिताया करते थे. उनकी इच्छा थी कि खलिहान में ही उन्हें विधा किया जाए और उनकी अंतिम इच्छा के अनुरुप खलिहान में उन्हें अंतिम विदाई दी गई. अंतिम संस्कार के वक्त प्रशासन के द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सशस्त्र सलामी देते हुए गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया. इस दौरान आला अधिकारी और बड़ी संख्या में ग्रामीण और उनके समर्थक मौजूद थे.

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