गजलों की लोकप्रियता ने उर्दू को दी नयी पहचान : डीएम
SASARAM NEWS.आजाद भारत में समस्त भारतीय भाषाओं के बीच उर्दू का अपना एक अलग स्थान है. गजलें, जो कि उर्दू साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, ने न केवल उर्दू भाषा को समृद्ध किया है, बल्कि इसे एक नयी पहचान भी दी है.
मल्टीपर्पस हॉल में फरोग-ए-उर्दू सेमिनार-सह-मुशायरा व कार्यशाला का आयोजन, शायरों की शायरी से झूम उठे श्रोता
प्रतिनिधि, सासाराम ऑफिस.
आजाद भारत में समस्त भारतीय भाषाओं के बीच उर्दू का अपना एक अलग स्थान है. गजलें, जो कि उर्दू साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, ने न केवल उर्दू भाषा को समृद्ध किया है, बल्कि इसे एक नयी पहचान भी दी है. या यूं कहें कि उर्दू गजलों की लोकप्रियता ने उर्दू भाषा को एक नया मोड़ और नया बल दिया है. उक्त बातें जिलाधिकारी उदिता सिंह ने बुधवार को जिला उर्दू भाषा कोषांग की ओर से मल्टीपर्पस हॉल में आयोजित फरोग-ए-उर्दू सेमिनार-सह-मुशायरा व कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि यह भाषा साहित्य, संगीत और सिनेमा जगत में आज भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाये हुए है. उर्दू भाषा का विकास सतत प्रक्रिया है और यह आज भी जन-जन के बीच प्रभावशाली भूमिका निभा रही है. वहीं उप विकास आयुक्त विजय कुमार पांडेय ने कहा कि उर्दू हिंदुस्तानी भाषा का मानकीकृत रूप है, जिसकी जड़ें संस्कृत तक जाती हैं. उन्होंने कहा कि उर्दू की मिठास ने इसे गीत और गजलों की प्रिय भाषा बना दिया है. कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ. पहले सत्र में विद्वानों ने उर्दू भाषा के विकास और इसके सांस्कृतिक महत्व पर अपने विचार रखे. डॉ एके अल्वी, डॉ एस. जमशेद आलम, डॉ फरजाना परवीन, डॉ गुरुचरण सिंह व मतीन सासारामी ने उर्दू की समृद्ध परंपरा और वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डाला.शायरी से श्रोताओं को झूमने पर कर दिया मजबूर
दूसरे सत्र में मुशायरे का आयोजन हुआ, जिसमें पटना के असर फरीदी, औरंगाबाद की अंजुम आरा, सरोज कुमार पंकज, तनवीर अख्तर, अख्तर इमाम अंजुम, आलम परवेज, शब्बीर सासारामी, बृजेश आरजू और शकील हासमी ने अपनी शायरी से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया. कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ गुरुचरण सिंह ने की, जबकि संचालन डॉ एस. जमशेद आलम और मतीन सासारामी ने किया. जिला उर्दू भाषा कोषांग के उच्च वर्गीय लिपिक मोहन कुमार करण ने अतिथियों का स्वागत किया, वहीं प्रभारी पदाधिकारी इजहार आलम ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा कि उर्दू की मिठास ने इसे तहजीब का प्रतीक बना दिया है. उन्होंने कहा कि शायरों की ज़ुबान मानी जाने वाली यह भाषा असल में मोहब्बतों की जुबान बन गयी है. कार्यक्रम में जिला शिक्षा पदाधिकारी मदन राय, अनुमंडल पदाधिकारी आशुतोष रंजन, अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी किशोर कुमार आनंद एवं प्रभारी डीपीआरओ आशीष रंजन सहित कई गणमान्य अधिकारी मौजूद रहे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
