कोविड जांच के लिए जरूरी कोबास मशीन की खरीदारी का ऑर्डर क्यों किया गया रद्द : तेजस्वी

पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के बीच कॉन्फ्रेन्स वॉर चरम पर है. दोनों नेताओं की जुबानी जंग शुक्रवार को फिर तेज हो गयी. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन बुलाकर हमला बोला कि कोबास-8800 की खरीद की बात की जा रही है. उसकी खरीद पांच महीने बाद भी क्यों नहीं हुई? इससे संबंधित 24 जून को परचेज ऑर्डर को क्यों निरस्त करना पड़ा? हेल्थ इमरजेंसी में तत्परता क्यों नहीं दिखाई जा रही है?

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 14, 2020 4:19 PM

पटना : नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के बीच कॉन्फ्रेन्स वॉर चरम पर है. दोनों नेताओं की जुबानी जंग शुक्रवार को फिर तेज हो गयी. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन बुलाकर हमला बोला कि कोबास-8800 की खरीद की बात की जा रही है. उसकी खरीद पांच महीने बाद भी क्यों नहीं हुई? इससे संबंधित 24 जून को परचेज आर्डर को क्यों निरस्त करना पड़ा? हेल्थ इमरजेंसी में तत्परता क्यों नहीं दिखाई जा रही है?

उन्होंने कहा कि मंत्री जवाब दें कि आखिर संक्रमण का फैलाव क्यों नहीं रुक रहा? आखिर अभी तक पर्याप्त ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और वेंटिलेटर की खरीद क्यों नहीं की जा रही है. संभव है कि बाद में यह स्थिति बने कि यह कहावत चरितार्थ हो जाये कि ”अब पछताय होत का, जब चिड़िया चुग गयी खेत”.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री जिस तरह मेरी बातों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वह चौंकानेवाली हैं. उम्मीद तो यह थी कि वे मेरे दिये सुझावों पर बोलते. पूछे गये सवालों का तथ्यपरक जवाब देते. लेकिन, उन्होंने इन मुद्दों पर कुछ नहीं बोला.

साथ ही कहा कि मेरे तथ्यों और आंकड़ों से स्वास्थ्य मंत्री को इतनी बेचैनी और पीड़ा पहुंची है कि शाम को उन्हें लीपापोती करनी पड़ी. स्वास्थ्य मंत्री की खीज से पता चलता है कि उनकी खीज और झुंझलाहट का मतलब क्या है? यह सब जान गये हैं. एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते मेरा कर्तव्य बनता है की सरकार की कमियों और खामियों को उजागर करूं.

कोरोना से 12 करोड़ से अधिक लोगों का जीवन खतरे में हैं, लिहाजा सवाल तो किये ही जायेंगे. मैं चुप नहीं बैठ सकता हूं. राजद नेता ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कोरोना चिंता का विषय बनता जा रहा है. इसके मरीजों की संख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गयी है.

उन्होंने कहा कि मैंने जो भी एंटीजन टेस्ट, ट्रूनेट और आरटी-पीसीआर जांच के आंकड़े दिये थे, उन पर मैं आज भी कायम हूं. फैक्ट रखना गलत कैसे हो सकता है? तथ्य यथावत रखने से कौन-सा भ्रम पैदा हुआ? फिलहाल बिहार में सबकुछ भगवान भरोसे है. मैं अब भी पूछना चाहता हूं कि आखिर पांच महीनों में सरकार ने क्या किया?

Posted By : Kaushal Kishor

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