बिहार SSC पेपर लीक के आरोपी को नीतीश कैबिनेट ने किया बर्खास्त, अब कहीं नहीं कर पाएंगे नौकरी
Bihar Cabinet Meeting: नीतीश कैबिनेट में मंगलवार को बड़ा फैसला लिया गया. भ्रष्टाचार पर राज्य सरकार की जीरो-टॉलरेंस नीति के तहत सुधीर कुमार को सेवा से बर्खास्त किया गया है. आइए बताते हैं आखिर सुधीर कुमार कौन हैं और उन्हे क्यों बर्खास्त किया गया है.
Bihar Cabinet Decision Today: 05 फरवरी 2017, बिहार के अलग-अलग केंद्रों पर बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) के उम्मीदवार परीक्षा केंद्रों पर पहुंचे थे. परीक्षा शुरू होने से पहले ही उनके WhatsApp, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लाटफॉर्म पर आंसर की दिखाई आने लगा. यानी पेपर लीक हो गया. छात्रों ने हंगामा किया. कुछ छात्रों ने परीक्षा दिया और कुछ ने परीक्षा ही छोड़ दी.
हुआ क्या था ?
शुरुआती रिपोर्टों से पता चला था कि लीक हुई आंसर की प्रति उम्मीदवार ₹1,000 से लेकर ₹5-6 लाख तक की कीमत पर बेची गई थी. मामले में BSSC के तत्कालीन अध्यक्ष और सीनियर IAS ऑफिसर सुधीर कुमार को उनके पांच रिश्तेदारों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया, जो कथित तौर पर परीक्षा दे रहे थे.
नीतीश सरकार ने लिया बड़ा निर्णय
मंगलवार को नीतीश कुमार की NDA सरकार ने मामले में दोषी पाए गए IAS अधिकारी सुधीर कुमार को बर्खास्त कर दिया है. ये निर्णय NDA की सरकार बनने के बाद तीसरी कैबिनेट बैठक में लिया गया. सरकार ने जीरो-टॉलरेंस नीति को अपनाते हुए ये निर्णय लिया है. सुधीर कुमार किसी भी सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य घोषित कर दिए गए हैं.
कैसे लीक हुआ था पेपर ?
शुरुआत में, सचिव और अध्यक्ष समेत BSSC के अधिकारियों ने लीक के आरोपों को अफवाह बताते हुए सिरे से इनकार किया. इस इनकार और वायरल सबूतों के बाद, छात्रों का व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया. इस दौरान गुस्साए छात्रों ने बीएसएससी सचिव परमेश्वर राम के साथ मारपीट की. हंगामे के बाद, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव और डीजीपी को उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए थे.
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जांच में सामने आया अपराध का अफसरसही से कनेक्शन
क्वेश्चन पेपर गुजरात के अहमदाबाद में मौजूद एक प्रिंटिंग प्रेस से लीक हुआ था, जिसके पास सवाल-पत्र छापने का सही लाइसेंस भी नहीं था. एक चालाक चीटिंग गैंग छात्रों को नकल कराने के लिए ब्लूटूथ, क्रेडिट कार्ड जैसे दिखने वाले डिवाइस और सिम कार्ड वाले इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल कर रहा था. मामले में सुधीर कुमार ने तीन साल से अधिक समय जुडीसीयल कस्टडी में बिताया, जांच पूरी होने और आरोप दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2020 में उन्हें जमानत दे दी.
