Success Story: लोग कहते थे ‘देखो छक्का जा रहा है’, आज कह रहे हैं सैल्यूट मैडम…पढ़िए ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा की कहानी

Success Story: बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा 2024 में जहां हजारों उम्मीदवारों ने सफलता पाई, वहीं गोपालगंज की ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा की कहानी सबसे अलग और प्रेरणादायक रही. ढाई साल की कठिन तैयारी और सामाजिक तानों के बीच दिव्या ने न सिर्फ परीक्षा पास की, बल्कि समाज को यह दिखा दिया कि हौसले के आगे कोई पहचान, कोई बाधा मायने नहीं रखती.

By Abhinandan Pandey | May 10, 2025 12:22 PM

Success Story: बिहार पुलिस में सिपाही बनने का सपना देख रहे लाखों युवाओं में से 21,391 उम्मीदवारों ने इस बार अपनी मेहनत का फल पाया है. लेकिन इन सभी में सबसे खास नाम है दिव्या ओझा का जो एक ट्रांसजेंडर है और जिनकी सफलता लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बन गया है. गोपालगंज की रहने वाली दिव्या ने तमाम सामाजिक तानों, उपेक्षा और मानसिक दबाव के बावजूद बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा 2024 में सफलता हासिल कर ली है.

ढाई साल की तैयारी, अब मिली नई पहचान

दिव्या पिछले ढाई साल से पटना में रहकर तैयारी कर रही थीं. वह एक प्राइवेट कोचिंग संस्था में पढ़ाई करती थी. शिक्षकों से मिले मार्गदर्शन को बखूबी फॉलो करती थी. रिजल्ट आने के बाद वह सबसे पहले अपने सर से मिलने पहुंचीं और भावुक होते हुए कहा, “आज मेरी मेहनत रंग लाई है. मैंने अपने जीवन और पहचान के लिए बहुत संघर्ष किया है. लोग ताने मारते थे. सड़क पर चलती थी तो लोग बोलते थे ‘देखो छक्का जा रहा है.’ लेकिन मैंने हार नहीं मानी.”

दिव्या ने आगे कहा, “अब मैं समाज को दिखा सकी हूं कि ट्रांसजेंडर भी मेहनत करके आगे बढ़ सकते हैं. मैं सभी ट्रांसजेंडर साथियों से अपील करती हूं कि घरों से निकलें, मेहनत करें, संघर्ष करें और जीवन में कुछ बनकर दिखाएं.”

ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए नई उम्मीद

इस बार बिहार सिपाही भर्ती परीक्षा में 8 ट्रांसजेंडर अभ्यर्थी सफल हुए हैं. जो एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जा रही है. यह सफलता दिखाती है कि धीरे-धीरे ही सही, लेकिन समाज में स्वीकार्यता बढ़ रही है और हाशिए पर खड़े लोगों को भी मुख्यधारा में आने का अवसर मिल रहा है.

परीक्षा का आंकड़ा

  • कुल रजिस्ट्रेशन: 17,87,720
  • रिटन एग्जाम में शामिल: 11,95,101
  • PET के लिए शॉर्टलिस्ट: 1,07,079
  • PET में शामिल: 86,539
  • मेल: 53,960
  • फीमेल: 32,569
  • ट्रांसजेंडर: 10
  • चयनित कुल अभ्यर्थी: 21,391
  • बिहार पुलिस में: 19,958
  • विशेष सशस्त्र पुलिस में: 1,433

सामाजिक सोच में बदलाव की जरूरत

दिव्या की कहानी सिर्फ एक सफलता की गाथा नहीं, बल्कि समाज के सोच को आईना दिखाने वाली मिसाल है. यह दिखाता है कि जज्बा और मेहनत हो, तो कोई भी दीवार बहुत ऊंची नहीं होती. इसीलिए समाज में किसी को नीचे दिखाने की वाजाए लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दें. ताकि समाज में एक नया बदलाव आ सके.

Also Read: देख रहा है विनोद… से कान्स फिल्म फेस्टिवल तक, सीवान के अशोक पाठक की कहानी रुला भी देती है और हौसला भी देती है