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बिहार में लोकसभा चुनाव से पहले महंगी हो सकती है बिजली, ट्रांसमिशन व ग्रिड कंपनी ने बढ़ाया 14 फीसदी तक बजट

इस जनसुनवाई में याचिका के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कराने वाले कई स्टेक होल्डर्स आयोग की बेंच के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे. जनसुनवाई के बाद विनियामक आयोग ऑर्डर रिजर्व कर लेगा. लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस साल फरवरी माह में ही नयी दर की घोषणा कर दिये जाने की पूरी उम्मीद है.

पटना. एक अप्रैल 2024 से तय होने वाली नयी बिजली दर को लेकर बिजली आपूर्ति कंपनियों की टैरिफ याचिका पर शुक्रवार को बिहार विद्युत विनियामक आयोग के कक्ष में अंतिम जनसुनवाई होगी. इस जनसुनवाई में याचिका के विरुद्ध आपत्ति दर्ज कराने वाले कई स्टेक होल्डर्स आयोग की बेंच के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रखेंगे. जनसुनवाई के बाद विनियामक आयोग ऑर्डर रिजर्व कर लेगा. लोकसभा चुनाव को देखते हुए इस साल फरवरी माह में ही नयी दर की घोषणा कर दिये जाने की पूरी उम्मीद है.

40 पैसे प्रति यूनिट तक शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव

बिजली आपूर्ति कंपनियों ने याचिका में समेकित रूप से 40 पैसे प्रति यूनिट तक खुदरा बिजली दर बढ़ाने का प्रस्ताव दिया है. हालांकि उपभोक्ता पक्ष के लोग दर बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. अधिकांश लोगों ने पिछली बार दोगुना बढ़ाये गये फिक्सड चार्ज को ही वापस लेने की मांग की है. कंपनी की याचिका पर आयोग ने मोतिहारी, पूर्णिया, बिहारशरीफ और सासाराम में शिविर लगा कर जनसुनवाई पूरी कर ली है. शुक्रवार को पटना में जनसुनवाई के बाद मिले सभी आपत्ति एवं सुझावों के आधार पर आयोग नयी दर तय कर उसकी घोषणा करेगा.

ट्रांसमिशन व ग्रिड कंपनी ने 14 फीसदी तक बढ़ाया बजट

बिहार में बिजली के दाम बढ़ने के पीछे का मुख्य कारण यह बताया जा रहा है कि बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने 2024-25 के लिए कुल 1858 करोड़ रुपये वार्षिक राजस्व की आवश्यकता जतायी है. यह 2023-24 में अनुमानित खर्च राशि 1627 करोड़ रुपये की तुलना में 14 फीसदी अधिक है. इसी तरह, बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड 2023-24 में खर्च 540 करोड़ रुपये के मुकाबले 2024-25 में 11.5 फीसदी अधिक यानि 603 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया है. बढ़ी हुई राशि बिजली आपूर्ति कंपनियों से ली जायेगी, जिसका बोझ अंतत: उपभोक्ताओं पर ही पड़ेगा. राजस्व मांग में इस बढ़ोतरी के चलते बिजली आपूर्ति कंपनियों पर प्रति यूनिट 70 पैसे का अतिरिक्त बोझ पड़ जायेगा.

सुनवाई के बाद ऑर्डर रिजर्व

गुरुवार को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लि, बिहार ग्रिड कंपनी लि और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर की 2024-25 के लिए कुल राजस्व आवश्यकता एवं ट्रांसमिशन व डिस्पैच शुल्क के निर्धारण एवं स्वीकृति संबंधित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई में बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, चैंबर ऑफ कॉमर्स सहित कई स्टेक होल्डर्स शामिल हुए. आयोग के सदस्य परशुराम सिंह यादव और अरुण कुमार सिन्हा ने सुनवाई करते हुए स्टेक होल्डर्स को पांच फरवरी तक आपत्तियां कंपनी को सौंपने का आदेश दिया. छह फरवरी को इन आपत्तियों पर कंपनी का पक्ष सुनने के बाद ऑर्डर रिजर्व कर लिया जायेगा.

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दूसरे राज्यों से ट्रांसमिशन शुल्क अधिक

आयोग के कोर्ट रूम में हुई सुनवाई में स्टेक होल्डर नंदजी शर्मा ने कहा कि बिहार में ट्रांसमिशन शुल्क दूसरे राज्यों के मुकाबले अधिक है. ट्रांसमिशन व ग्रिड की अलग-अलग कंपनी होने के बावजूद ट्रांसमिशन शुल्क घटने की बजाय बढ़ रहा है. इसके चलते उत्पादन इकाइयों से मिलने वाली बिजली और महंगी हो रही है. बीआइए के संजय भरतिया ने सलाह देते हुए कहा कि ग्रिड कंपनी की 600 करोड़ रुपये की पावरग्रिड की इक्विटी बिहार सरकार को खरीद लेनी चाहिए. इससे उनको सालाना 250 करोड़ रुपये की बचत होगी. इसके साथ ही बिना उपयोग की ट्रांसमिशन क्षमता का बोझ भी उपभोक्ताओं के कंधे पर न डाला जाये.

बेहतर कार्यप्रणाली के लिए राशि की जरूरत

ट्रांसमिशन व ग्रिड कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि ट्रांसमिशन की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बढ़ी हुई राशि की आवश्यकता है. इसमें 10.5 करोड़ रुपये साइबर सिक्यूरिटी एंड ऑपरेशंस, 10.27 करोड़ रुपये बेहतर शेड्यूलिंग व मैनेजमेंट तथा करीब 44 करोड़ रुपये ऑटोमैटिक सिस्टम बैलेंसिंग पर खर्च होंगे.

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