Bihar Shelter Home: बिहार के इस शेल्टर होम में सेल्फ डिपेंडेंट बन रहे बेसहारा बच्चे, पढ़ाई-लिखाई के साथ ये फैसिलिटी भी…
Bihar Shelter Home: पटना के बिहटा में संचालित आश्रय गृह बेसहारा बच्चों के जीवन को नई दिशा दे रहा है. गृह में रहने वाले बच्चों को न केवल पढ़ाई की सुविधा मिल रही है बल्कि उन्हें कौशल ट्रेनिंग भी दिया जा रहा है. यहां बच्चों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.
Bihar Shelter Home: (मोनु कुमार मिश्रा, बिहटा) जहां बचपन मुस्कुराए, वही असली आश्रय कहलाता है. इसी सोच को साकार कर रहा है समाज कल्याण विभाग की तरफ से बिहटा में संचालित आश्रय गृह, जो अनाथ और बेसहारा बच्चों के जीवन को नई दिशा दे रहा है. पटना के गायघाट से स्थानांतरित होकर अब बिहटा में आधुनिक स्वरूप में कार्यरत यह केंद्र 200 बच्चों के लिए सुरक्षित आवास उपलब्ध कराता है. यहां 100 लड़के और 100 लड़कियों के लिए अलग-अलग हॉस्टल, ट्रेनिंग सेंटर, स्टाफ क्वार्टर और प्रशासनिक भवन बनाए गए हैं.
28.21 करोड़ की लागत से भवन निर्माण
करीब 28.21 करोड़ की लागत से भवन निर्माण विभाग ने इस परियोजना को तैयार किया है. गृह में रहने वाले बच्चों को न केवल पढ़ाई की सुविधा मिल रही है बल्कि उन्हें कौशल ट्रेनिंग भी दिया जा रहा है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें. कंप्यूटर क्लास, डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, सिलाई, ब्यूटीशियन और अन्य स्किल ट्रेनिंग कार्यक्रम यहां नियमित रूप से चलाए जा रहे हैं. बच्चों का दिन योग से शुरू होता है और पढ़ाई, खेलकूद, सांस्कृतिक गतिविधियों और सामूहिक भोजन से भरा उनका रूटीन उन्हें परिवार जैसा माहौल देता है.
सुरक्षा और सुविधा का पूरा ध्यान
गृह में CCTV कैमरे, 15 फुट ऊंची परिधि दीवार, महिला और पुरुष सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, डॉक्टरों की उपलब्धता, OPD और इमरजेंसी सेवा जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं. बच्चों के लिए मेस, लाइब्रेरी और खेलकूद का मैदान भी मौजूद है.
बच्चों के लिए नई पाठशाला
आज यह आश्रय गृह केवल रहने और पढ़ाई का स्थान नहीं, बल्कि एक नई पाठशाला बन चुका है, जहां से अनाथ और बेसहारा बच्चों के सपनों को पंख मिल रहे हैं. जिन चेहरों पर कभी मायूसी और अकेलापन झलकता था, वहीं अब आत्मविश्वास और मुस्कान दिखाई देती है. यह पहल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बच्चों के प्रति संवेदनशीलता और उज्ज्वल भविष्य की प्रतिबद्धता को दर्शाती है. बेशक, यह आश्रय गृह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणादायी संदेश है कि सही दिशा और सहारा मिले तो हर बच्चा अपने भविष्य को नई उड़ान दे सकता है.
सभी बच्चे मेरे लिए परिवार जैसे…
अधीक्षिका रेनू कुमारी और अधीक्षक हर्षवर्धन हेमंत के साथ विवेक रंजन झा मिलकर इस आश्रय गृह को और व्यवस्थित तरीके से संचालित कर रहे हैं. अधीक्षिका रेनू कुमारी कहती हैं कि आश्रय गृह के सभी बच्चे मेरे लिए परिवार जैसे हैं. मैं उन्हें अपने बच्चों की तरह ही देखभाल और स्नेह देने की कोशिश करती हूं. उनका भविष्य संवारना ही मेरा सबसे बड़ा लक्ष्य है और उनकी मुस्कान ही मेरी सबसे बड़ी खुशी.
Also Read: Bihar Kisan Yojana: कश्मीर वाला फल उगाकर अब बिहार में होइए मालामाल! पैसे भी देगी नीतीश सरकार
