कालेधन और काली ताकतों के खिलाफ काफी कारगर है सरकार का नोटबंदी अभियान : सुरेंद्र किशोर
सुरेंद्र किशोर, राजनीतिक विश्लेषक... प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद शुरू में तो ऐसा नहीं लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे नोटबंदी का यह अभियान आगे बढ़ा, तो लगने लगा कि यह तो मिनी युद्ध है़. काले धन की काली ताकत के खिलाफ सरकार का युद्ध काफी ताकतवर साबित हो रही हैं. ये […]
सुरेंद्र किशोर, राजनीतिक विश्लेषक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद शुरू में तो ऐसा नहीं लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे नोटबंदी का यह अभियान आगे बढ़ा, तो लगने लगा कि यह तो मिनी युद्ध है़. काले धन की काली ताकत के खिलाफ सरकार का युद्ध काफी ताकतवर साबित हो रही हैं. ये काली ताकतें इन शक्तियों को प्रभु वर्ग का पूरा समर्थन मिला हुआ है़ किसी तरह के युद्ध में दोतरफा क्षति होती ही है़ नोटबंदी में भी यही हो रहा है़ युद्ध में निर्दोष लोग भी मरते हैं और परेशान होते हैं. जब बेनामी संपत्ति पर सरकारी हमले शुरू होंगे तो युद्ध भीषण रूप धारण कर सकता है़ काली ताकतों की शक्ति तो देखिए! एक तरफ आम लोग कतारों में एक-दो हजार के लिए तरसते रहे तो दूसरी ओर काली ताकतों ने बैंकों के पिछले दरवाजों से करीब एक लाख करोड़ रुपये का काला धन सफेद बना लिया.
यह रकम और बढ़ेगी़ काले धन को सफेद करते हुए कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों के कुछ नेता भी स्टिंग ऑपरेशन में कैमरों पर धरे गये़ बैंकों के छोटे-बड़े कर्मचारियों की साठगांठ के बिना तो यह संभव ही नहीं था़ ऐसे ही बैंक अफसरों और नेताओं की साठगांठ से बैंकों के लाखों करोड़ रुपये एनपीए बना दिये गये हैं. रिजर्व बैंक ने बैंकों को निदेश दिया है कि वे सीसीटीवी रेकॉडिंग को संभाल कर रखें. इस निर्देष के बदले रिकॉर्डिंग को तत्काल जब्त करना चाहिए था़ क्योंकि जो बैंककर्मी काउंटर पर लगी कतार को तरसता छोड़ पिछले दरवाजे से काले धन को सफेद कर सकता है, वह अपने बचाव में सीसीटीवी की रिकॉडिंग को भी सफेद करा सकता है़
देश में भुखमरी के बीच भ्रष्टों की चांदी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भ्रष्टाचार ने देश के विकास को रोक रखा है़ यह आधा सच है़ पूरा सच है कि एक तरफ तो 40 प्रतिशत भोजन-अन्न बरबाद हो जाता है और दूसरी ओर करीब 20 करोड़ लोग हर शाम बिना भोजन के सो जाते हैं.अब भी एक-तिहाई लोग गरीब हैं. एड्स, मलेरिया और टीबी से कुल मिलाकर जितने लोग मरते हैं उतने लोग भूख और कुपोषण से मर जाते हैं. देश के अधिकतर प्राथमिक चिकित्सा केंद्रों में मरहम पट्टी तक के लिए रूई तक नहीं है. क्योंकि सरकारों के पास पैसे नहीं है़ जितने पैसे हैं भी, उनमें से अधिकांश बिचौलिये हड़प लेते हैं. जरूरत के अनुसार न तो स्कूल बन रहे हैं और न ही अस्पताल़ अदालत भवनों का भी यही हाल है़. प्रभावशाली लोगों ने सरकारी बैंकों से कर्ज लेकर करीब 7 लाख करोड़ रुपये पचा लिये हैं. उन लुटेरों के नाम तक जाहिर करने की हिम्मत किसी सरकार में नहीं है़ उसी ताकत पर नोटबंदी अभियान को विफल करने के काम में वे लगे हुए है़ ऐसे भ्रष्ट लोगों को अनेक नेताओं, सरकारी अफसरों और अन्य लोगों का समर्थन हासिल है़ नोटबंदी पर कुछ नेताओं की बौखलाहट उसी का प्रतीक है़.
भ्रष्टाचारी नेताओं में दिख रही बौखलाहट
जिस नेता पर भ्रष्टाचार के जितने गंभीर आरोप हैं, वे उतने ही अधिक बौखला गये हैं. वोहरा कमेटी ने देश के लुटेरा गिरोहों की उपस्थिति की ओर इशारा किया था़ इस गिरोह में अपराधी तत्व, माफिया सिंडिकेट, भ्रष्ट नेता और सरकारी अफसर तथा ड्रग कारोबारी और हवाला कारोबारी शामिल हैं. नीरा राडिया टेप पर भरोसा करें तो उसमें अब मीडिया के भी कुछ लोग शामिल हो चुके हैं.
क्यों है यह मिनी युद्ध
ऐसी ताकतवर काली जनद्रोही शक्तियों के खिलाफ जब कोई छोटी कार्रवाई भी होगी तो वे कितने बौखला जाएंगे! नोटबंदी छोटी कार्रवाई है़ शुरुआती कार्रवाई नारों से हटकर यदि इस देश के गरीबों को उनका हक दिलाना है तो काली शक्तियों के खिलाफ मिनी क्या पूर्ण युद्ध लड़ना होगा़. अभी केंद्र सरकार लड़ रही है़ वह हार जायेगी तो जनता लड़ेगी़ क्योंकि इस ‘युद्ध’ के सिलसिले में काली ताकतों के असली कारनामों का पता लोगों को लग जायेगा़ उनका गुस्सा बढ़ेगा़ वैसे पता लगना शुरू भी हो गया है़ इसलिए बैंकों और एटीएम के सामने लंबी और उबाऊ कतारों में घंटों खड़े होने के बावजूद कई लोग मीडिया को बता रहे हैं कि भले हमें तकलीफ हो रही है, पर नोटबंदी का फैसला सही है.
ऐसे-वैसे दलों के कैसे-कैसे नेता!
सपा ने अतीक अहमद को विधानसभा का उम्मीदवार घोषित किया है. इस बीच उन पर आरोप लगा है कि उन्होंने अपने हथियारबंद समर्थकों के साथ इलाहाबाद के एक शिक्षण संस्थान में घुसकर वहां के स्टॉफ के साथ मारपीट करवाई. अतीक पर डकैती का मुकदमा कायम हुआ है. उधर, मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक पर आरोप लगा है कि उन्होंने शराब के नशे में धुत्त होकर एक सामाजिक समारोह में अपने अग्नेयास्त्र से धुआंधार फायरिंग की. फायारिंग करते समय वे लड़खड़ा रहे थे.
इधर, बिहार भाजपा नेता सुशील मोदी ने आरोप लगाया कि फर्जीवाड़ा के आरोप में जदयू विधायक की पत्नी फरार हैं. उधर, जदयू के प्रवक्ता संजय सिंह का आरोप है कि भाजपा के 53 विधायकों में से 34 पर आपराधिक मुकदमे हैं. दिल्ली के एक वकील के यहां जब काला धन पकड़ा गया तो पता चला कि एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का भी उसमें हिस्सा है. कर्नाटका के आबकारी मंत्री को सेक्स स्कैंडल के आरोप में इस्तीफा देना पड़ा. रांची की अदालत ने झारखंड सरकार के एक पूर्व मंत्री को आय से अधिक संपत्ति एकत्र करने के आरोप में पांच साल की कैद की सजा सुनायी. नोटबंदी के दौरान तीन प्रमुख दलों के नेता भी काला धन को सफेद करते कैमरे पर पकड़े जा चुके हैं.
सूरत से भाजपा नेता पर ऐसे ही आरोप की खबर आयी है. केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजिजू आरोपों के घेरे में हैं तो भाजपा के अनुसार अगस्ता हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले में एक राजनीतिक परिवार को रिश्वत मिली है. राहुल गांधी ने आरोप दुहराया है कि यदि वह प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत भ्रष्टाचार का खुलासा कर दें तो भूकंप आ जायेगा. इस बीच नरेंद्र मोदी ने अपना यह संकल्प दुहराया है कि सिस्टम से भ्रष्टाचार मिटाना मेरी प्राथमिकता है. उपर्युक्त सारी खबरें इसी सप्ताह की हैं. ऐसी खबरें पहले भी आती रही हैं. इस देश में आखिर क्या हो रहा है? विभिन्न दलों के नेताओं के परस्पर विरोधी बयानों से साफ है कि सिस्टम पर जन विरोधी और लालची तत्व हावी हैं. ऐसे ही तत्व राजनीति और सत्तानीति को गहरे प्रभावित कर रहे हैं. ऐसे निहित स्वार्थियों से सिस्टम को मुक्त करने के लिए कुछ लोग ‘मिनी युद्ध’ की जरूरत महसूस कर रहे हैं.
सारे बैंककर्मी एक जैसे नहीं
यह सच है कि कुछ बैंककर्मियों की मदद से ही अनेक धंधेबाजों ने अपने काले धन सफेद किये़ साथ ही अधिकतर बैंककर्मियों ने तो रात-दिन ग्राहकों की सेवा की़ गांवों से मिल रही खबरों के अनुसार अनेक लोग नोटबंदी के फैसले के कारण पहले से ही केंद्र सरकार से खुश है.अब जब बारी-बारी से भ्रष्ट बैंककर्मियों की गिरफ्तारी हो रही है तो वे और खुश हैं. उन्हें समाज के और भी बड़े धन पशुओं की गिरफ्तारी का इंतजार है जिनके धन बैंककर्मी सफेद कर रहे हैं. उन गिरफ्तारियों के बाद तो आम लोग और भी गद्गद होंगे. लोग देख रहे हैं कि एक तरफ आम लोग हजार-दो हजार रुपये के लिए तरस रहे हैं तो दूसरी ओर इस देश के कुछ भ्रष्ट लोग करोड़ों-अरबों में खेल रहे हैं.
और अंत में…
ताजा खबर के अनुसार बिहार के मेडिकल कॉलेजों के एमबीबीएस के 145 छात्र फर्स्ट इयर की फाइनल परीक्षा में फेल कर गये़ कुछ साल पहले यह खबर आयी थी कि पटना मेडिकल कॉलेज के प्रथम वर्ष के आधे छात्र फाइनल परीक्षा में फेल कर गये थे़ ये खबरें यह साफ बता रही हैं कि मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं में व्यापक धांधली हो रही है़ कैसे-कैसे डॉक्टर तैयार कर रही है सरकार?
