जेल में यादवचंद्र ने किया था परंपरा और विद्रोह महाकाव्य का सृजन
जेल में यादवचंद्र ने किया था परंपरा और विद्रोह महाकाव्य का सृजन
मुजफ्फरपुर.
मालीघाट में अखिल भारतीय जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा विकल्प के संस्थापक यादवचंद्र का स्मृति दिवस मनाया गया. कार्यक्रम की शुरुआत मालीघाट इकाई के अध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद दिनेश ने उनके चित्र पर माल्यार्पण कर किया. विषय प्रवेश कराते हुए प्रो कृष्णनंदन ने कहा कि यादवचंद्र हमेशा शोषित-पीड़ित लोगों के लिए मसीहा थे. वह समाज में व्याप्त तमाम कुरीतियों को अपने सांस्कृतिक आंदोलन के द्वारा परास्त करने का काम करते रहे. कई बार उन्हें जेल की यातनाएं भी सहनी पड़ी, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और जेल से ही परंपरा और विद्रोह जैसे महाकाव्य की रचना की. प्रो मनोज कुमार ने कहा कि यादवचंद्र समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हर व्यक्ति की मुखर आवाज़ थे. उन्होंने शोषित-पीड़ितों की बेहतरी के लिए संघर्ष का रास्ता चुना था जिसकी बानगी उनके लेखन, काव्य रचना व नाटकों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. अरुण कुमार वर्मा ने कहा कि यादवचंद्र रंगमंच के एक बेहतरीन अभिनेता थे.चंद्रमोहन प्रसाद ने देश की वर्तमान परिस्थिति के मद्देनजर यादवचंद्र को याद किया. इस मौके पर दिवाकर घोष, नंद किशोर तिवारी, भूपनारायण सिंह, रंधीर, आनंद, पूनम, नीरज, दीनबंधु, अंजनी पाठक, अमन, तन्नू, पूजा व राजू कुमार ने भी अपने विचार रखे. दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी हुई, जिसमें महफूज अहमद आरिफ, उमेश राज, अभय शब्द, बैजू कुमार, अली अहमद मंजर ने कविता पाठ किया. अध्यक्षता डॉ कुमार विरल ने की. तीसरे सत्र में किसानों के जीवन संघर्ष पर केंद्रित नृत्य सब दुख भागल की प्रस्तुति की गयी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
