Madhubani News : बाढ़ विस्थापितों को दखल दिहानी कराने गए सीओ का लोगो ने किया विरोध

2019 में नरूआर उसराहा के बाढ़ विस्थापितों को दखल दिहानी में प्रखंड महकमा को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है.

By GAJENDRA KUMAR | May 23, 2025 10:26 PM

झंझारपुर.

2019 में नरूआर उसराहा के बाढ़ विस्थापितों को दखल दिहानी में प्रखंड महकमा को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. कभी कुमर पोखर तो कभी नरूआर पाठक टोला के समीप सरकारी जमीन का पर्चा दिया गया. नरूआर पाठक टोला में बाढ़ विस्थापितों को सीओ प्रशांत कुमार झा ने पर्चा देकर दखल दिलाने के लिए गुरुवार को पहुंचे. जहां ग्रामीण उस जमीन को अपना बताकर विरोध किया. सीओ ने कहा कि यह जमीन मेरे कार्यालय के रिकॉर्ड के मुताबिक सरकारी है. जिसे प्रावधान के मुताबिक विस्थापितों को पर्चा दिया जाना और दखल दिलाना है. उन्होंने कहा कि 55 विस्थापितों को पर्चा उपलब्ध कराने की योजना है. डाक से सभी लोगों को पर्चा भेजा गया है. जिसमें 20 लोगों ने ही पर्चा रिसीव किया है. इनमें से छह लोगों ने घर बनाने के लिए भवन निर्माण सामग्री जमीन पर गिराया. इस बीच कुछ ग्रामीणों ने उस जमीन को अपना बता कर विरोध जताया. मालूम हो कि इससे पूर्व भी नरूआर में ही दूसरी जमीन का पर्चा विस्थापितों को दिया गया था. दिये गए जमीन पर मिट्टी भी प्रशासन ने भरवा दी. लेकिन बाद में भूस्वामी ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और स्टे लगा हुआ है. विदित हो कि पहला पर्चा वर्ष 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के हाथों मधेपुर के एक गांव की सभा में दी गई थी. जहां आज तक विस्थापित बस नहीं पाए.

वर्ष 2019 में कमला बलान के रौद्र रूप ने नरूआर उसराहा टोल के 51 परिवार विस्थापित हो गए थे. उच्च विद्यालय नरूआर के नजदीक कलम गाछी को सरकारी भूमि मानकर 51 परिवारों को दखल दिहानी दिलाने गये सीओ प्रशांत कुमार झा एवं भैरवस्थान पुलिस को कुछ लोगों के विरोध के कारण वापस लौटना पड़ा. सीओ ने कहा कि अमरनाथ झा, भरत झा, धर्मनाथ झा, पवन झा, शंभुनाथ झा, अरूण झा, शोभाकांत झा, सुनील झा, आशीष झा, राकेश झा, चंद्रशेखर झा एवं उनके स्वजन नीलम देवी, मुंद्रिका देवी, सुधा देवी, क्षेमा देवी, कल्याणी झा, रेणु देवी ने इस जमीन को बंदोबस्ती से प्राप्त करने की बात कही. जबकि अंचल कार्यालय के मुताबिक नया सर्वे में बिहार सरकार है. विस्थापितों में कई आज भी बाढ नियंत्रण प्रमंडल के पुराने आईवी भवन के प्रांगण में रह रहे हैं. इसमें से कई अपने पुराने पुश्तैनी घर के नजदीक रह रहे हैं. सीओ ने कहा कि कागज के अनुसार बिहार सरकार की जमीन है. कुछ लोग इस मामले में कोर्ट में परिवाद दायर किया है.

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