स्वामी विवेकानंद अद्वैत वेदांत के थे प्रबल समर्थक- पूर्व कुलपति
स्वामी विवेकानंद अद्वैत वेदांत के थे प्रबल समर्थक- पूर्व कुलपति
स्वामी विवेकानंद का दर्शन विषय पर संवाद आयोजित
मधेपुरा.
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के तत्वावधान में शनिवार को विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग, शैक्षणिक परिसर में विवेकानंद का दर्शन विषय पर संवाद का आयोजन किया. भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित इस संवाद के मुख्य वक्ता बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो ज्ञानंजय द्विवेदी थे. उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन वेदांत दर्शन पर आधारित है. उनका दर्शन मानवता की सेवा, आत्म-ज्ञान व सार्वभौमिक भाईचारे के महत्व पर केंद्रित है. उन्होंने वेदों व योग को पश्चिमी दुनिया में लोकप्रिय बनाया व शिक्षा, चरित्र निर्माण व सामाजिक सुधारों पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि विवेकानंद अद्वैत वेदांत के प्रबल समर्थक थे, जो मानता है कि ब्रह्म ही सत्य है और सभी चीजें उसी का प्रकटीकरण हैं. उन्होंने आत्मज्ञान को जीवन का अंतिम लक्ष्य माना और कहा कि मनुष्य को अपनी वास्तविक प्रकृति (आत्मा) को जानना चाहिये.उन्होंने कहा कि विवेकानंद ने वेदांता की व्यावहारिक व्याख्या की और इसे आमलोगों तक पहुंचाया. विवेकानंद ने सभी धर्मों व संस्कृतियों के बीच एकता व भाईचारे की वकालत की. उन्होंने सभी धर्मों को समान रूप से महत्व दिया और धार्मिक सहिष्णुता का समर्थन किया. अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष देव प्रसाद मिश्र ने कहा कि विवेकानंद ने शिक्षा को व्यक्ति व राष्ट्र के विकास के लिए आवश्यक माना. उनका मानना था कि शिक्षा से चरित्र निर्माण होता है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाए जा सकते हैं. कार्यक्रम का संचालन असिस्टेंट प्रो डॉ सुधांशु शेखर तथा धन्यवाद ज्ञापन असिस्टेंट प्रो डॉ प्रत्यक्षा राज ने किया. इस अवसर पर असिस्टेंट प्रो अभिलाषा कुमारी, डॉ धीरेंद्र कुमार, डॉ कुमार ऋषभ, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, शक्ति सागर, सुमन कुमार आदि उपस्थित थे.
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