केके पाठक की सख्त कार्रवाई, सभी जिलों के DEO-DPO का रोका वेतन, जानें पूरा मामला

बिहार के सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारी और कार्यक्रम पदाधिकारी का अप्रैल का वेतन रोक दिया गया था. इसके साथ ही कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.

By Anand Shekhar | April 30, 2024 7:43 PM

बिहार लोक सेवा आयोग के प्रथम एवं द्वितीय चरण में चयनित स्कूली शिक्षकों का वेतन भुगतान जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) कार्यालय के स्तर से लंबित है. समीक्षा के दौरान इस बात की जानकारी सामने आई है. जिसके बाद शिक्षा विभाग ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) और जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है. साथ ही इन सभी अधिकारियों का अप्रैल का वेतन भुगतान भी स्थगित करने का आदेश जारी किया गया है. अपर मुख्य सचिव केके पाठक के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है.

24 घंटे के अंदर मांगा जवाब

प्रशासन निदेशक सुबोध कुमार चौधरी की तरफ से इस संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है. जिसका जवाब 24 घंटे के अंदर देने को कहा गया है. इस तरह एक मई की शाम तक जवाब मांगा गया है. पत्र में साफ कर दिया गया है कि शिक्षा पदाधिकारियों की तरफ से दिये गये स्पष्टीकरण पर निर्णय होने तक अप्रैल तका वेतन नहीं दिया जायेगा.

केके पाठक ने की थी समीक्षा

आधिकारिक जानकारी के अनुसार, 29 अप्रैल को अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा अनुशंसित स्कूली शिक्षकों के वेतन भुगतान की समीक्षा की. इस समीक्षा में पाया गया कि बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित स्कूली शिक्षकों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया जिला शिक्षा पदाधिकारियों के स्तर पर रुकी हुई है.

केके पाठक ने दे रखा है वेतन भुगतान का निर्देश

मालूम हो कि इन सभी शिक्षकों के वेतन भुगतान का आदेश अपर मुख्य सचिव पहले ही दे चुके हैं. केके पाठक द्वारा की गयी समीक्षा में यह भी पाया गया कि सभी नियोजित शिक्षकों के मार्च के वेतन का भुगतान अब तक नहीं किया गया है. अपर मुख्य सचिव पाठक ने पहले भी इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारियों को वेतन भुगतान करने को कहा था. इसके बावजूद प्रथम व द्वितीय चरण के स्कूली शिक्षकों को वेतन भुगतान नहीं किया गया.

शिक्षा विभाग ने क्यों उठाया कदम

प्रशासन निदेशक सुबोध कुमार चौधरी ने अपने पत्र में साफ तौर पर लिखा है कि इन पृष्ठभूमि में विभागीय कार्य को प्रभावित करने, कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही, स्वेच्छाचारिता, एवं वरीय पदाधिकारियों के आदेश की अहेवलना पर विभाग ने यह सख्त कदम उठाया है.

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