सिस्टम असमर्थ पर दिव्यांग शिक्षक ने हौसले से बाढ़ की धार को किया पार, लाचार शरीर को भी जोखिम में डालना बनी मजबूरी

बिहार में बाढ़ के हालात के बीच एक तस्वीर सामने आई है. जिसमें बाढ़ संकट के बीच हौसले का संदेश है. हालांकि इस तसवीर से दूसरा संदेश प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा करता है. दरअसल पूरा मामला किशनगंज जिले का है. किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड के दोगिरजा घाट पर कनकई मरिया धार में अचानक पानी बढ़ जाता है. इस बीच एक दिव्यांग शिक्षक को सपरिवार इसे पार करना होता है और अपने लाचार शरीर से ही उन्होंने इसे पार किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2021 8:40 PM

बिहार में बाढ़ के हालात के बीच एक तस्वीर सामने आई है. जिसमें बाढ़ संकट के बीच हौसले का संदेश है. हालांकि इस तसवीर से दूसरा संदेश प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल भी खड़ा करता है. दरअसल पूरा मामला किशनगंज जिले का है. किशनगंज जिले के दिघलबैंक प्रखंड के दोगिरजा घाट पर कनकई मरिया धार में अचानक पानी बढ़ जाता है. इस बीच एक दिव्यांग शिक्षक को सपरिवार इसे पार करना होता है और अपने लाचार शरीर से ही उन्होंने इसे पार किया.

दिव्यांग शिक्षक को अपने परिवार के साथ धार पार करने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी. वो चलने में असमर्थ थे लेकिन किसी तरह धार में घिसट-घिसटकर उन्होंने पार किया व किनारे पर आकर राहत की सांस ली. हालांकि जब शिक्षक अपने बच्चों को पार कराने के लिए चिंतित थे तो एक नेक दिल ग्रामीण ने मानवता की मिशाल कायम करते हुए उनकी मदद की और आगे आए. उन्होंने दिव्यांग शिक्षक के दोनों बच्चों को गोद में उठाकर पानी के धार को पार कराया.

दिव्यांग शिक्षक अताउर रहमान ठाकुरगंज भोलाभिट्ठा से अपने संबंधी के घर दिघलबैंक प्रखंड के लक्षमीपुर गांव जा रहे थे. आस-पास के लोगों ने दिव्यांग शिक्षक के कठिन प्रयास के बाद धार पार कर लेने की भूरि-भूरि प्रशंसा की है.

दरअसल, दिघलबैंक प्रखंड के पश्चिम क्षेत्र लौहागाड़ा, सिंघीमारी, लक्ष्मीपुर और सतकौआ पंचायत में लोगों को बरसात के दिनों में आने-जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. अन्य मौसम में तो चचरी पुल के सहारे वे नदी और धार पार कर लेते है लेकिन बरसात के दिनों में चचरी पुल के बह जाने से लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. जान जोखिम में डालकर वो नदी पार करते है.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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