परिवार नियोजन मेला: छोटा परिवार, सुखी परिवार
जनसंख्या नियंत्रण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुधार की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. परिवार नियोजन सेवाओं का उद्देश्य न केवल जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है.
आज सदर अस्पताल प्रांगण में लगेगा परिवार नियोजन मेलाकोचाधामन.जनसंख्या नियंत्रण और मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुधार की दिशा में स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. परिवार नियोजन सेवाओं का उद्देश्य न केवल जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, बल्कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करना भी है. अनियोजित गर्भधारण के कारण मातृ स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है और नवजात शिशु के स्वास्थ्य पर भी खतरा बढ़ जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, परिवार नियोजन सेवाएं उपलब्ध होने से मातृ मृत्यु दर में 30 प्रतिशत तक की कमी लाई जा सकती है. इस दृष्टिकोण से मिशन परिवार विकास अभियान एक महत्वपूर्ण प्रयास है. 17 मार्च से 29 मार्च 2025 तक “परिवार नियोजन सेवा पखवाड़ा ” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें समुदाय के लोगों को स्वास्थ्य केंद्रों पर बुलाकर उन्हें परिवार नियोजन सेवाएं जैसे- कॉपर टी, नसबंदी, अंतरा इंजेक्शन, कंडोम, माला-एन आदि के बारे में जानकारी देने के साथ-साथ उनकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी.इसी क्रम में मंगलवार को कोचाधामन प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिवार नियोजन मेला लगाया गया.मेले का उद्घाटन प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुंदन कुमार निखिल ने किया. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि परिवार नियोजन सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण का साधन नहीं, बल्कि एक स्वस्थ और खुशहाल परिवार की नींव भी है. परिवार नियोजन के साधन अपनाकर माता और शिशु को सुरक्षित रखा जा सकता है, साथ ही आर्थिक रूप से सशक्त समाज की ओर बढ़ा जा सकता है. सिविल सर्जन डॉ. मंजर आलम ने मेले के दौरान कहा कि “छोटा परिवार, सुखी परिवार ” की अवधारणा को अपनाने से जीवन स्तर में सुधार आता है और सामाजिक तथा आर्थिक संतुलन बना रहता है.
परिवार नियोजन अपनाना क्यों जरूरी?
सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम ने बताया कि अनियोजित गर्भधारण मातृ और शिशु मृत्यु दर को बढ़ाता है और कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देता है. उन्होंने कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति में कई सुरक्षित साधन उपलब्ध हैं, जिनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. उन्होंने महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि पहला बच्चा 20 वर्ष की उम्र के बाद ही होना चाहिए और दूसरे बच्चे के जन्म के बीच कम से कम तीन साल का अंतर होना चाहिए.
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