Bihar Land Survey: बिहार में फर्जी दस्तावेज़ों पर हो रहा है दाखिल-खारिज, ठाकुरगंज की सीओ सस्पेंड

Bihar Land Survey: निलंबन के साथ-साथ सुचिता कुमारी को जीवन-निर्वाह भत्ता दिया जाएगा, जैसा कि सेवा शर्तों में प्रावधान है. साथ ही, उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही के लिए अलग से प्रस्ताव तैयार कर उसे क्रियान्वित करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.

By Ashish Jha | June 20, 2025 7:06 AM

Bihar Land Survey: किशनगंज: बिहार सरकार ने राजस्व कार्यों में घोर लापरवाही और नियमों की अवहेलना के गंभीर आरोपों के चलते ठाकुरगंज की अंचलाधिकारी(सीओ) सुचिता कुमारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई एक शिकायत की जांच के बाद की गई है, जिसमें उन्हें फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर अवैध नामांतरण (दाखिल-खारिज) की मंजूरी देने का दोषी पाया गया है. इस आदेश को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार सरकार ने राज्यपाल की अनुमति के बाद जारी किया है. निलंबन अवधि के दौरान सुचिता कुमारी का मुख्यालय पूर्णिया आयुक्त कार्यालय निर्धारित किया गया है, जहां उन्हें निवास करना अनिवार्य होगा. वे बिना पूर्व अनुमति मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगी.

आपत्ति पत्र और अन्य साक्ष्य को किया नजरअंदाज

किशनगंज के ठाकुरगंज भातगांव ग्राम पंचायत स्थित नेगराडूबा गांव निवासी मोहम्मद कसमुद्दीन द्वारा दर्ज की गई शिकायत के आधार यह कार्रवाई की गई. शिकायतकर्ता ने यह आरोप लगाया कि सीओ सुचिता कुमारी ने एक जाली केवाला (फर्जी रजिस्ट्री दस्तावेज) के आधार पर अवैध नामांतरण की स्वीकृति दे दी, जबकि दस्तावेज़ की वैधता पर आपत्ति जताते हुए कसमुद्दीन ने आपत्ति पत्र और अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए थे. इसके बावजूद अंचलाधिकारी द्वारा न तो आपत्ति पत्र को गंभीरता से लिया गया और न ही संबंधित रजिस्ट्री कार्यालय से दस्तावेजों की सत्यता की पुष्टि कराई गई.

जांच में सामने आईं गंभीर लापरवाही

मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने 7 अप्रैल 2025 को किशनगंज जिलाधिकारी को इस शिकायत की निष्पक्ष जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. किशनगंज के जिलाधिकारी द्वारा कराई गई जांच रिपोर्ट दिनांक 29 अप्रैल 2025 को विभाग को सौंपी गई, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया कि सीओ ने दस्तावेज़ों की सत्यता की पुष्टि नहीं करवाई. आपत्ति पत्र को जानबूझकर नजरअंदाज किया गया. मांगे जाने पर उन्होंने संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि सुचिता कुमारी का व्यवहार कर्तव्य के प्रति अत्यंत गंभीर उदासीनता को दर्शाता है, जिससे उनकी भूमिका पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है.

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