चुनावी बिगुल बजने से पहले ही नये क्षेत्र की तलाश में जुटे जिप व पंचायत प्रतिनिधि
पंचायत चुनाव से पहले राजनीति गरमायी, जनप्रतिनिधियों ने तेज किया जनसंपर्क
फोटो 5 भभुआ समाहरणालय = नव वर्ष के पहले मिलन समारोह व भोज की तैयारी, मतदाताओं को निमंत्रण पंचायत चुनाव से पहले राजनीति गरमायी, जनप्रतिनिधियों ने तेज किया जनसंपर्क भभुआ नगर. पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में निर्देश जारी किये जाने के बाद पंचायत से लेकर जिला स्तर तक की राजनीति में नयी हलचल देखने को मिल रही है. जनरल सीट पर जीत दर्ज कर चुके मुखिया, पंचायत समिति सदस्य व जिला पर्षद सदस्य अगले चुनाव की तैयारी में अभी से जुट गये हैं. चुनावी बिगुल औपचारिक रूप से बजने से पहले ही जनप्रतिनिधियों ने नये-नये क्षेत्रों में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है व मतदाताओं से सीधे संपर्क साधना शुरू कर दिया है. निर्देश जारी होते ही कई जनप्रतिनिधि अपने पारंपरिक क्षेत्रों से बाहर निकलकर उन इलाकों में पहुंच रहे हैं, जहां अब तक उनकी मौजूदगी कम रही है. इसका उद्देश्य समर्थन का दायरा बढ़ाना व आने वाले चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करना है, ताकि हार की कोई गुंजाइश न रहे और जीत सुनिश्चित हो सके. गांव-गांव व टोला-टोला भ्रमण कर लोगों की समस्याएं सुनना, स्थानीय लोगों से संवाद करना व विकास कार्यों को लेकर भरोसा दिलाना इस जनसंपर्क अभियान का अहम हिस्सा बन गया है. वहीं, नववर्ष के अवसर को भी राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिशें तेज हो गयी हैं. कई जनप्रतिनिधियों ने नववर्ष की शुभकामना के नाम पर पोस्टर, बैनर व पंपलेट्स छपवा लिये हैं, जिनमें उनके कार्यकाल के दौरान कराये गये विकास कार्यों का उल्लेख प्रमुखता से किया गया है. चौक-चौराहों, बाजारों व सार्वजनिक स्थलों पर लगाये गये इन पोस्टरों के जरिये वे अपनी पहचान को और मजबूत करने में जुट गये हैं. इतना ही नहीं, कुछ जनप्रतिनिधि नववर्ष के आगमन से पहले भोज व सामूहिक मिलन समारोह का आयोजन भी कर रहे हैं. इन आयोजनों में स्थानीय ग्रामीणों, समाजसेवियों व समर्थकों को आमंत्रित किया जा रहा है. भोज के बहाने जनप्रतिनिधि लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं, उनकी समस्याएं सुन रहे हैं व भावनात्मक जुड़ाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ऐसे सामाजिक आयोजनों का चुनावी दृष्टि से खास महत्व होता है. कुल मिलाकर चुनाव अभी दूर हो सकता है, लेकिन पंचायत व जिला स्तर की राजनीति में माहौल गरमाने लगा है. पंचायत चुनाव दिसंबर 2026 से होंगे पहले गौरतलब है कि पंचायत आम चुनाव दिसंबर 2026 से पहले कराये जायेंगे. राज्य निर्वाचन आयोग ने इसे लेकर स्थिति स्पष्ट कर दी है. आयोग के संयुक्त निर्वाचन आयुक्त ने जिला निर्वाचन पदाधिकारी को जारी निर्देश में बताया है कि आगामी पंचायत चुनाव नये सिरे से आरक्षण निर्धारण के बाद ही आयोजित किये जायेंगे. सभी पदों के लिए आरक्षण की प्रक्रिया समय पर पूरी कर ली जायेगी, ताकि चुनाव के दौरान किसी प्रकार का भ्रम या देरी न हो. वर्ष 2021 में हुआ था पिछला पंचायत चुनाव गौरतलब है कि राज्य में पिछला पंचायत आम चुनाव वर्ष 2021 में संपन्न हुआ था. चुनाव के बाद निर्वाचित मुखिया, पंचायत समिति सदस्य व जिला पर्षद सदस्य सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने दिसंबर 2021 के अंतिम सप्ताह से जनवरी 2022 के पहले सप्ताह के बीच शपथ ग्रहण किया था. पंचायती राज अधिनियम के अनुसार कार्यकाल समाप्त होने से पहले पंचायत चुनाव कराना अनिवार्य है. इसी प्रावधान के तहत आयोग ने स्पष्ट किया है कि मौजूदा पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल दिसंबर 2026 में पूरा होने से पहले ही राज्य में पंचायत आम चुनाव करा लिये जायेंगे. चुनाव से पहले तय होगी आरक्षण निर्धारण की प्रक्रिया निर्वाचन से पहले जिला पर्षद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, ग्राम पंचायत व ग्राम कचहरी के पदों का आरक्षण बिहार पंचायत अधिनियम 2006 की धारा 13, 38, 65 व 91 के तहत किया जायेगा. इसमें ग्राम पंचायत मुखिया व सदस्य, पंचायत समिति व जिला पर्षद सदस्य तथा ग्राम कचहरी सरपंच व पंच सहित सभी पद शामिल होंगे. इधर राज्य निर्वाचन आयोग ने जिलों व प्रखंडों को चुनावी तैयारियां समय पर पूरी करने के निर्देश दिये हैं, जिनमें मतदाता सूची अद्यतन, चुनाव कर्मियों की तैनाती व सुरक्षा व्यवस्था शामिल है.
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