शहरी क्षेत्र के आसपास नदी में जगह-जगह लगे हैं कूड़े के ढेर

दरधा और जमुना नदी शहरी क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े से पटी है. शहरी इलाके से गुजरने वाली इन दोनों नदियों में जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं.

By AMLESH PRASAD | November 21, 2025 10:31 PM

जहानाबाद. दरधा और जमुना नदी शहरी क्षेत्र में जगह-जगह कूड़े से पटी है. शहरी इलाके से गुजरने वाली इन दोनों नदियों में जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आते हैं. शहरी क्षेत्र में खासकर इन नदियों के किनारे बसे मोहल्ले के आस पास जगह जगह वर्षो से कूड़े का अंबार लगा है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पहले पूरे नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाला कूड़ा नदी में ही फेंका जाता था. बाद में जब वभना के निकट भागीरथ बीघा के पास नगर परिषद को कूड़े की डंपिंग के लिए जगह दी गयी, तो इसके बाद से पूरे शहर से निकलने वाला कूड़ा वहीं फेंका जाने लगा, लेकिन बाद में उक्त जगह के आसपास के मोहल्ले के लोगों के विरोध के बाद वहां कूड़े की डंपिंग बंद कर दी गयी. बावजूद इसके अभी तक वहां से कूड़े का ढ़ेर नहीं हटाया गया है. इसके बाद जहानाबाद घोसी पथ पर गोरखपुर गांव के निकट जिला प्रशासन ने नगर परिषद को 4.7 एकड़ जमीन कूड़े की डंपिंग के लिए आवंटित करायी. वहां के आसपास के ग्रामीणों के भारी विरोध के बाद वहां कूड़े की डंपिंग शुरू नहीं की जा सकी. इसके बाद से शहर में इधर-उधर विभिन्न सड़कों के किनारे कूड़े की डंपिंग की जा रही है. इसमें साईं मंदिर के पास का इलाका, इरकी ग्रिड के आगे और वभना में दोरूखीया के पास की जगह प्रमुख है. जब प्रभात खबर ने इस मुद्दे को जोर शोर से उठाया तो इसके बाद जिलाधिकारी अलंकृत पांडे खुद शहरी इलाके में नदियों में पड़े कूड़े के ढेर का निरीक्षण कर इसे नदी से हटाने का निर्देश दिया था, इसके लिए उन्होंने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को प्रत्येक सप्ताह में एक दिन नदी के किनारे से कूड़े हटाने का कार्य सौंपा था। बावजूद इसके अभी भी शहरी क्षेत्र में दोनों नदियों के विभिन्न जगहों पर कूड़े का अम्बार पड़ा हुआ है. जिलाधिकारी के निर्देश का कोई असर नहीं दिख रहा है. ज्ञात हो कि इससे पहले पिछले साल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम ने भी नदियों का निरीक्षण करने के बाद वहां से कूड़े के ढेर को हटाने का निर्देश दिया था. इसके बाद नदियों में एक दो जगह से कूड़े को हटाने की खानापूर्ति भी की गयी थी. इस सब के बावजूद न तो नगर परिषद के द्वारा शहरी क्षेत्र से गुजरने वाली नदियों से कूड़े के ढेर हटाये जा रहे हैं और न ही नदी नदी किनारे बसे मोहल्ले के लोग नदी में कूड़ा फेंकने से बाज आ रहे हैं, जिसके कारण शहर से गुजरने वाली दरधा नदी में जगह-जगह कूड़े का अंबार जस का तस लगा है. कूड़े का यह अंबार खासकर नदी किनारे बसे मोहल्लों के निकट ही ज्यादा नजर आता है.

एक साल पहले पुल के पास से हटाया गया था कूड़ा : एक साल पहले पिछले वर्ष फरवरी के महीने में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम ने जहानाबाद जिले का दौरा किया था इसके आने के पहले दरधा नदी में एक दो जगहों से नगर परिषद के द्वारा कचड़ा हटाया गया था. खासकर पटना गया राष्ट्रीय राजमार्ग पर दरधा नदी पर बने पुल के आसपास से कूड़े को हटाया गया था. बाद में लोगों ने फिर कचरा फेंकना शुरू कर दिया और फिर से कूड़े का ढेर लग गया किंतु नदी के अन्य क्षेत्रों में कचडे का अंबार जस का तस पड़ा है.

पहले नदी में ही फेंका जाता था कचरा : भागीरथ बिहार में डंपिंग स्थल मिलने से पहले दशकों से शहर से निकलने वाला पूरा कचड़ा इसी दरधा और जमुना नदी में डंप किया जाता था. नगर परिषद क्षेत्र से निकलने वाला पूरा कूड़ा नदी में ही डंप किए जाने का यह सिलसिला दशकों तक जारी रहा. नगर परिषद के ट्रैक्टर पूरे शहर से कचरा उठाकर नदी में डाल देते थे बाद में एनजीटी के द्वारा इस पर रोक लगाए जाने के बाद ट्रैक्टर द्वारा कूड़े की डंपिंग बंद हो गई जिसे शहर के आसपास के इलाके में सड़क किनारे डंप किया जाने लगा. बाद में भागीरथ बीघा में जमीन मिली तो वहां कूड़ा डंप किया जाने लगा किंतु अभी भी हाल यह है कि नदी किनारे बसे मोहल्लों के लोग और जब कभी नदी किनारे बसे मोहल्ला से निकलने वाला कूड़ा सफाईकर्मी भी नदी में ही डाल देते हैं हालांकि डीएम के दौरे के बाद इस मामले में सफाई कर्मियों को कड़ा निर्देश दिया गया है. नगर परिषद में कई बार इसको लेकर सवाल उठाया गया इसके बाद कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा नदी से कूड़ा हटाने का आश्वासन तो दिया गया किंतु अभी तक इस पर पुरी तरह अमल नहीं किया गया है.

नदी में पुल के पास कूड़े के ढेर में लग चुकी है आग : गत वर्ष चार मई को दरधा नदी पुल के निकट कूड़े में आग लग गयी थी. आग ने भयानक रूप भी अख्तियार कर लिया था. वह तो समय पर फायर ब्रिगेड की गाड़ी ने मौके पर पहुंच कर आग पर काबू पा लिया वरना बड़ा हादसा हो सकता था. यही आग अगर मोहल्लों के निकट फेंके गये कूड़े में लग गई तो वहां दमकल की गाड़ी भी नहीं पहुंच पाएगी और आग बुझाना मुश्किल हो जायेगा. बगैर दमकल के आग पर काबू पाना आसान नहीं है ऐसे में कोई बड़ी घटना भी घट सकती है.

घरों से कूड़ा लेने नहीं आते सफाई कर्मी : नगर परिषद द्वारा घर-घर से सफाई कर्मियों के द्वारा कूड़ा उठाने की व्यवस्था शुरू की गयी थी. जिसके बाद उनके सफाईकामी कुछ समय तक घरों से कूड़ा लेने जाते थे. घरों से कूड़ा कलेक्ट किए जाने के बाद उसे लेकर विभिन्न स्थानों पर फेंका जाता है। बाद में यह परंपरा बंद कर दी गयी. पहले यह कूड़ा बभना के निकट बने डंपिंग जोन में फेंका जाता था किंतु मोहल्ले वासियों के विरोध के कारण वहां पर इसे फेंकना बंद कर दिया गया है. अब शहर से निकलने वाले कूड़े को फिर से जहां-तहां खाली जगह पर फेंका जा रहा है. कुछ वर्ष पहले सफाई कर्मियों के द्वारा घरों से कूड़ा लिया जाता था, इसके लिए नगर परिषद में लाखों खर्च कर हजारों की संख्या में महंगी बाल्टी की खरीद की गयी थी. बाल्टी की खरीद में बड़े घोटाले का भी आरोप लगा था. एक बाल्टी 575 रुपए में खरीदी गयी थी. बाद में यह मामला आया गया होकर रह गया.

नदी में पड़े कूड़े से निकल रही है बदबू : पूर्व के वर्षो में बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आती थी. पहाड़ी इलाकों में घनघोर बारिश होने और बिहार की नदियां उफनने पर उसका पानी दरघा नदी में भी आता था. पिछले कई वर्षों से नदी में उतना पानी नहीं आ रहा था. हालांकि इस वर्ष बरसात में नदी में अच्छा खासा पानी आया था लेकिन बाढ़ के पानी में नदी में डंप किया गया पूरा कूड़ा कचरा नहीं बह सका. हालांकि नदी के बीच में फेंके गये कूड़े बाढ़ के पानी में जरूर बह गये किंतु नदी के किनारों में फेंका गया कूड़ा अभी भी नदी में ही पड़ा है. नदी के अडाड़ों पर फेंके गए कूड़े को बाढ़ का पानी भी बहा कर ले जाने में असफल रहता है, जिसके कारण शहर की नदियों की समस्या जस की तस बनी रह गयी है. वर्तमान समय में नदी में फेंके गये कूड़े से बदबू निकलती है. इस बदबू से नदी किनारे रहने वाले लोग परेशान रहते हैं। बरसात के दिनों दोनों में तो कूड़े के आसपास रहने वाले घरों के लोगों को वहां रहना मुश्किल हो जाता है.

शहर के नालों का पानी गिरता है नदी में : पूरे नगर परिषद क्षेत्र में बसे घर और मोहल्लों से निकलने वाला गंदा पानी नदी में ही गिरता है. सभी मोहल्लों की नालियां अलगना पइन से मिलाई गयी हैं. अलगान पइन को ले जाकर नदी में गिरा दिया गया है. इससे भी शहर की दरधा और जमुना नदी दूषित हो रही है. शहर में बड़ी संख्या में कसाई खाने हैं। उन कसाईखानों से भी निकलने वाला बायोकचरा भी नदी में ही डाल दिया जाता है। शहर में ना तो सीवेज सिस्टम बनाया गया है और नहीं सीवेज वाटर मैनेजमेंट का कोई प्लांट लगाया गया है जिसके कारण पूरे शहर से निकलने वाला नाले का गंदा पानी नदी में ही गिराया जाता है.

अवैध नर्सिंग होम का कचड़ा भी फेंका जाता है नदी में : शहर में बहुत सारे अवैध नर्सिंग होम खुले हैं जिनका बायो कचरा भी नदी में ही फेंका जाता है हालांकि स्वास्थ्य विभाग द्वारा बायो कचरा के निपटारे के लिए सभी क्लिनिकों को बायो कचरा निपटान वाली एजेंसी से निबंधन कराने का आदेश दिया है. इन एजेंसी के द्वारा बायो कचरा उठाकर उसे गया जिले में ले जाकर उसका निपटारा किया जाता है किंतु बड़ी संख्या में अवैध नर्सिंग होम निबंधन कराने से बचे हुए हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाती है. कई बार अस्पताल के आसपास भी बायो कचरा फेंका हुआ मिला है. पिछले ही दिनों सदर अस्पताल कैंपस के भीतर ओपीडी के आसपास पैथोलॉजी में इस्तेमाल किये गये पैथोलॉजिकल वेस्ट फेंके हुए पाये गये थे. पिछले वर्ष ही अवैध नर्सिंग होम में छापे के दौरान उसके अवैध ऑपरेशन थिएटर में मानव कचरा पड़ा हुआ मिला था.

क्या कहते हैं मुख्य पार्षद

शहरी क्षेत्र में नदी में पड़े कचरे के ढेर को हटाने के निर्देश कार्यपालक पदाधिकारी और सफाई एजेंसी को दिया गया था. उन्हें फिर से निर्देशित किया जायेगा. रूपा देवी, मुख्य पार्षद, नगर परिषद, जहानाबाद

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है