नगर क्षेत्र में आवासीय व्यवसायिक निर्माण के लिए नक्शा पास करना है अनिवार्य

नगरीय निकाय क्षेत्र में नियम-कायदों को ताक पर रखकर सैकडों आवासीय एवं व्यावसायिक भवन निर्माण कार्य बिना परमिशन व नक्शा स्वीकृत कराये धड़ल्ले से हो रहा है.

By AMLESH PRASAD | April 19, 2025 11:29 PM

अरवल. नगरीय निकाय क्षेत्र में नियम-कायदों को ताक पर रखकर सैकडों आवासीय एवं व्यावसायिक भवन निर्माण कार्य बिना परमिशन व नक्शा स्वीकृत कराये धड़ल्ले से हो रहा है. जिससे जहां एक तरफ नपा प्रशासन को हर साल लाखों रुपए का राजस्व का घाटा उठाना पड रहा है, वहीं दूसरी तरफ अनियोजित बसाहट के कारण कस्बे की सूरत बिगड़ने के साथ ही आमजन की परेशानियां बढ़ती जा रही है. गौर करने वाली बात यह है कि नगर परिषद के जिम्मेदार अधिकारी खुद स्थिति से वाकिफ होने के बावजूद साल में एक बार मुनादी कराकर कर्तव्य से पल्ला झाड़ लेते हैं. पिछले कई साल से ऐसा ही चल रहा है. नगर परिषद क्षेत्र में शहर कि बसावट आने वाले दिन में बहुत ही सघन हो जाएगी. ऐसे परिस्थिति में अभी जितने भी भवन का निर्माण हो रही है वहा रास्ता गली के लिए समस्या आ रही है. पैसे बचाने की लालच में लोग बिना नक्शा के बना रहे घर : खुद का मकान हर व्यक्ति का सपना होता है. मकान बनाने से पहले काफी तैयारी करता है. वह प्राइवेट इंजीनियर से नक्शा भी बनवाता है. नियमानुसार नक्शे को नगर परिषद से स्वीकृत कराना अनिवार्य होता है. लेकिन पैसे बचाने के लालच में लोग बनवाए गए नक्शे को पास नहीं करवाते हैं. बिना परमिशन मनमर्जी से भवन निर्माण कराते हैं. जो लोग नक्शा पास करवाते हैं तो नक्शे के अनुसार काम नहीं करवाते हैं. स्वीकृत नक्शे के बजाय निर्माण का दायरा बढ़ाकर सड़क व आसपास की खाली जमीन पर भी मकान खड़े किये जा रहे हैं. ऐसे में नक्शा पास कराना और नहीं कराना बराबर हो जाता है.

जिला बनने के बाद अरवल का विस्तार तेजी से हो रहा है. बीते 24 साल में कस्बा करीब 3 किलोमीटर दायरे में बस गया है. वर्तमान में कस्बे का विस्तार मोथा, जिनपुरा, अहियापुर बैदराबाद ओझा बिगहा अहियापुर से आगे भी भवन निर्माण कार्य जोरों पर चल रहे हैं. नगर क्षेत्र में हर साल सैकडों की संख्या में नए मकान और व्यावसायिक परिसर बन रहे हैं. मकान बनाने से पूर्व नियमानुसार नगर परिषद से अनुमति और नक्शा पास कराना जरूरी है. लेकिन कस्बे में 65 फीसदी से भी ज्यादातर लोग भवन निर्माण से पहले नगर परिषद से परमिशन और नक्शा पास नहीं करवाते हैं. दरअसल अनुमति शुल्क जमा कराने के बाद भवन पंजीकृत हो जाता है. जिससे संपत्तिकर की वसूली होने लगती है. यही वजह है कि नक्शा पास कराने की शुल्क और संपत्तिकर को बचाने के चक्कर में ज्यादातर बिना परमिशन मनमाफिक तरीके से मकान निर्माण करा लेते हैं.

नगर परिषद को राजस्व का हो रहा नुकसान : अरवल में 65 प्रतिशत भवन बिना अनुमति के बनाए जा रहे हैं. लोग नगर परिषद से नक्शा पास कराना ही जरूर नहीं समझते हैं. नगर क्षेत्र में होने वाले निर्माण कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी नगर परिषद के सब इंजीनियरों की है. लेकिन सब इंजीनियर इस दिशा में सक्रिय रवैया नहीं अपनाते हैं. इस वजह से हर साल नपा को लाखों रुपये का राजस्व घाटा उठाना पड़ता है.

नक्शा पास कराने के लिए करना पड़ता है भाग-दौड़ : भवन निर्माण करा रहे लोगों का कहना है कि नगर परिषद से मकान की परमिशन आसानी से नहीं मिलती है. आवेदकों को अधिकारी -कर्मचारी कार्यालय के कई चक्कर कटवाते हैं. इसी झंझट के चलते लोग भवन बनाने से पहले अनुमति लेने से बचते हैं. यह भी शिकायत है कि बिना परमिशन भवन निर्माण के मामलों में कार्रवाई के नाम पर संबंधित कर्मचारी सुविधा शुल्क लेकर खामोश हो जाते हैं.

अग्निश्मन से भी लेना होगा एनओसी : नगर परिषद क्षेत्र में नियमानुसार घर या आलीशान बिल्डिंग बनाने के लिए अग्निश्मन विभाग से भी एनओसी लेना अनिवार्य है. क्योंकि शहर के बसावट को देखते हुए ऐसा कही भी नहीं दीखता कि कोई भी व्यक्ति जो बड़े बड़े बिल्डिंग संकीर्ण गलियों में ऊंचे ऊंचे घर बना ले रहे है वे अग्निश्मन से एनओसी लिए होंगे. कई जगह पर तो ऐसे ऐसे गलियों में घर बन गए है जहां पर अग्निश्मन कि गाड़िया भी नहीं पहुंच पायेंगी. जहां पर मुश्किल से दो पहिये गाड़ी जा पाती है.

क्या कहते हैं अधिकारी

घर बनाने से पूर्व नक्शा पास कराना अनिवार्य है. कुछ घर बिना नक्शा के बन रहे हैं, उन पर कड़ाई की जायेगी.

जगनाथ यादव, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, अरवल

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