जहानाबाद : डीआरडीए के खाते से 31 लाख की फर्जी निकासी, प्राथमिकी
जहानाबाद : डीआरडीए के आकस्मिकता मद (आईएवाई) के केनरा बैंक जहानाबाद में संधारित खाते से 31 लाख नौ हजार 480 रुपये की अवैध निकासी किये जाने का मामला उजागर हुआ है. इस संबंध में लेखा प्रशासन स्व नियोजन डीआरडीए के निदेशक महफूज आलम की शिकायत पर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसमें […]
जहानाबाद : डीआरडीए के आकस्मिकता मद (आईएवाई) के केनरा बैंक जहानाबाद में संधारित खाते से 31 लाख नौ हजार 480 रुपये की अवैध निकासी किये जाने का मामला उजागर हुआ है. इस संबंध में लेखा प्रशासन स्व नियोजन डीआरडीए के निदेशक महफूज आलम की शिकायत पर नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है, जिसमें केनरा बैंक जहानाबाद शाखा के वरीय प्रबंधक सहित अन्य कर्मियों को आरोपित किया गया है.
फर्जी 16 चेकों के माध्यम से रुपयों की निकासी की गयी है. अवैध निकासी के पूर्व खाते के रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ करते हुए फर्जी निकासी का षड्यंत्र किया गया और चेक के माध्यम से रुपये निकाल लिये गये. इस मामले का खुलासा 11 सितंबर, 2018 को तब हुआ जब पांच लाख 57 हजार 500 रुपये का चेक एसबीआई में संधारित डीआरडीए प्रशासन मद के खाते में जमा किया गया था, जिसे पर्याप्त राशि उपलब्ध नहीं रहने का हवाला देते हुए चेक को वापस कर दिया गया था, जबकि उक्त राशि से संबंधित चेक निर्गत करने के पूर्व केनरा बैंक के खाते में 32 लाख 41 हजार 633 रुपये उपलब्ध थे.
चेक वापस होते ही उसी दिन डीआरडीए के लेखापाल प्रकाश कुमार सिन्हा ने आकस्मिकता मद के खाते को जब अप-टू-डेट कराया तब खुलासा हुआ कि 26 जुलाई से 9 अगस्त, 2018 के बीच 15 फर्जी चेकों से और फिर एक और अवैध चेक से कुल 31 लाख नौ हजार 480 रुपये की निकासी की गयी है.
प्राथमिकी में कहा गया है कि उक्त राशि की निकासी के लिए डीआरडीए से कोई चेक निर्गत नहीं किया गया था. पासबुक में जिस चेक के द्वारा राशि की निकासी को दरसाया गया है, वह सभी मूल चेक डीआरडीए कार्यालय में भौतिक रूप से उपलब्ध हैं. एफआईआर में फर्जी चेकों का तिथिवार विवरण दरसाया गया है.
एसएमएस अलर्ट को किया गया था डिलीट
प्राथमिकी के अनुसार डीआरडीए जहानाबाद के केनरा बैंक में आईएवाई आकस्मिकता मद का खाता संख्या 3289101006793 संधारित है. जो 15 मार्च, 2014 को खोला गया था. यह खाता एसएमएस अलर्ट में डीडीसी जहानाबाद के मोबाइल नंबर 9431818352 से संबद्ध था.
21 जून, 2018 तक एसएमएस अलर्ट प्राप्त हुआ है. बैंक कर्मियों पर आरोप लगाया गया है कि उसके बाद साजिश के तहत एसएमएस अलर्ट को डिलीट किया गया, ताकि निकासी की गयी राशि की सूचना खाताधारक को नहीं हो सके और उसके बाद उक्त बड़ी राशि की फर्जी चेकों के माध्यम से निकासी कर ली गयी.
प्राथमिकी में यह भी उल्लेख है कि बैंक कर्मियों ने खाते में राशि वापस करने का लगातार आश्वासन दिया था. इस वजह से एफआईआर उस वक्त दर्ज नहीं करायी गयी, लेकिन तरह-तरह का बहाना बनाकर राशि वापस करने में आनाकानी की गयी तो एफआईआर दर्ज करायी गयी. पुलिस ने मामले का अनुसंधान शुरू कर दिया है.