Indian Railways : ट्रेनों में बेखौफ सफर कर सकेंगे यात्री, “कवच” देगी सुरक्षा, रेलवे ने शुरू की तैयारी

रेलवे रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार अगले साल तक 2,000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क इस टक्कर-रोधी प्रणाली से जुड़ जायेगा. इसकी शुरुआत ग्रैंड कॉर्ड लाइन से हो रही है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, गया रेलवे स्टेशन व धनबाद स्टेशनों के बीच में कवच सिस्टम इंस्टॉल किया जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 27, 2022 3:04 PM

रोहित कुमार सिंह, गया: रेलवे अपने यात्रियों को एक से बढ़ कर एक सुविधा दे रहा है, ताकि रेल सफर करने में परेशानियों का सामना न करना पड़े. रेलवे सबसे पहले सभी रेलखंडों पर नन इंटरलॉकिंग का काम कर रेल पटरियों को दुरुस्त कर रहा है. इसके साथ अब रेलवे ने ट्रेन दुर्घटनाओं से बचाव के लिए बहुत बड़ी पहल शुरू कर दी है. अब रेलवे ने ट्रेनों को टक्कर से बचाने और दूसरी दुर्घटनाओं से सुरक्षित रखने के लिए ”कवच” सिस्टम लगाने की तैयारी शुरू कर दी है. इससे रेल हादसों से बेखौफ होकर रेलयात्री रेल सफर कर सकेंगे. कवच लगाने की तैयारी के लिए हर स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं.

सिस्टम लगाने का टेंडर शुरू

सबसे पहले कवच सिस्टम इंस्टॉल करने के लिए टेंडर जारी कर दिया गया है. टेंडर खत्म होते ही कवच सिस्टम इंस्टॉल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. रेलवे रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, अगले साल तक 2,000 किलोमीटर का रेलवे नेटवर्क इस टक्कर-रोधी प्रणाली से जुड़ जायेगा. इसकी शुरुआत ग्रैंड कॉर्ड लाइन से हो रही है और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, गया रेलवे स्टेशन व धनबाद स्टेशनों के बीच में कवच सिस्टम इंस्टॉल किया जायेगा. रेलवे की यह अत्याधुनिक और स्वदेशी तकनीक भविष्य में भारतीय रेलवे को जीरो दुर्घटना वाले लक्ष्य को हासिल करने का बड़ा हथियार साबित होने वाली है.

क्या है कवच सिस्टम

हाजीपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) वीरेंद्र कुमार ने बताया कि कवच सिस्टम रेलवे को ट्रैक पर जीरो दुर्घटना के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा. यह सिस्टम ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, माइक्रो प्रोसेसिंग और रेडियो संचार के तालमेल पर आधारित है. यह सिस्टम इंजन की केबिन में रहेगा. इससे स्टेशनों, सिग्नल सिस्टम, रेलवे फाटक सभी रेडियो संचार के जरिए आपस में जुड़े होंगे. यह सिस्टम उसी ट्रैक पर खड़ी या आ रही ट्रेनों का पता लगाकर फॉरन अलर्ट करता है. अगर निश्चित समय पर ब्रेक नहीं लग पाया, तो यह स्वचालित ब्रेक लगाने में भी सक्षम है और इस तरह से हादसे से सुरक्षा मिलती है. यह सिस्टम आगे या पीछे से होने वाले किसी भी संभावित टक्कर को रोकने में कारगर है. जिसे रिसर्च डिजाइन और स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन ने डेवलप किया है.

पहले फेज में 408 किलोमीटर रेल रूट पर ”कवच” होगा इंस्टॉल

सीपीआरओ ने बताया कि है कि 408 किलोमीटर लंबा पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन, गया रेलवे स्टेशन व धनबाद ग्रैंड कॉर्ड रूट अपने देश का एक महत्वपूर्ण और व्यस्ततम रेलवे रूट है. इसके तहत 77 स्टेशन और 79 लेवल क्रॉसिंग गेट आते हैं. इस डिविजन में 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार की अनुमति है. आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2022-23 के दौरान रेलवे की सुरक्षा और क्षमता वृद्धि के मद्देनजर विश्व-स्तरीय स्वदेशी तकनीक वाले ”कवच” के दायरे में रेलवे के 2,000 किलोमीटर लंबे नेटवर्क को लाया जाना है.

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इन ट्रेनों में सबसे पहले लगाया जायेगा कवच सिस्टम

एक रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, कवच सिस्टम का टेंडर खत्म होने के बाद सबसे पहले महाबोधि एक्सप्रेस ट्रेन, पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन सहित राजधानी एक्सप्रेस ट्रेनों में लगाने पर विचार-विमर्श किया गया है. हालांकि, अभी तक रेलवे अधिकारियों की ओर से कुछ नहीं बताया गया है. लेकिन, जानकारी मिली है कि सबसे पहले महत्वपूर्ण ट्रेनों में कवच सिस्टम लगाया जायेगा. कवच सिस्टम लग जाने के बाद रेल दुर्घटना में काफी कमी आयेगी और रेलयात्री बेखौफ होकर रेल सफर कर सकेंगे.

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