Banka: थकान नहीं, सपने ज़रूरी, दुल्हन की रस्मों के साथ संजना ने शादी के अगले दिन दी LLB की परीक्षा
Banka: बाबटोल मोहल्ले की संजना शमी ने अपनी लगन, हौसले और शिक्षा के प्रति समर्पण से समाज के लिए एक अनोखी मिसाल पेश की है. सोमवार की रात शादी करने के बाद संजना ने शादी के अगले दिन LLB की परीक्षा दी.
Banka: बांका के संजना और सत्य प्रकाश की ये कहानी सिर्फ खबर नहीं यह एक प्रेरणा है. जो पति-पत्नी के संबंधों को मजबूती भी देते हैं और शादी के मंडप से निकलकर सीधे परीक्षा हॉल पहुंचने की प्रेरणा भी. संजना और सत्य प्रकाश की कहानी आज लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुआ है. संजना और उसके पति ने ये साबित कर दिया है कि शादी सपनों को रोकती नहीं, बल्कि सपनों को पूरा करने में अपना योगदान भी देती है.
थकान नहीं, सपने जरूरी
बाबटोल मोहल्ले की संजना शमी ने वह कर दिखाया, जो अक्सर फिल्मों में देखने को मिलता है. सोमवार देर रात दुल्हन बनी संजना ने जैसे ही शादी की अंतिम रस्में पूरी कीं, वैसे ही उन्होंने जिंदगी की दूसरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी, पढ़ाई भी को आगे बढ़ाया. घरवालों ने थोड़ा आराम करने की सलाह दी, लेकिन संजना की नजरें तो अगले दिन होने वाली परीक्षा पर थीं. संजना मंडप से निकली और सीधे किताबों का रुख किया. दुल्हन बनी संजना ने शादी के अगले दिन LLB की परीक्षा दी.
सुबह 4 बजे मंडप से सीधा परीक्षा देने निकली दुल्हन
संजना अपने पति के साथ सीधे मुंगेर विश्वविद्यालय की एलएलबी सेमेस्टर-4 की परीक्षा देने पहुंच गई. जो मंगलवार सुबह 10 बजे होनी थी. संजना पूरी रात शादी की परंपराओं में व्यस्त रहीं, लेकिन जैसे ही विदाई की रस्में समाप्त हुईं, वह सुबह 4 बजे तैयार होकर सीधे सेंटर के लिए रवाना हो गई. शादी की थकान, रातभर का जागरण लेकिन पढ़ाई के लिए उनका जज्बा एक पल भी कम न हुआ.
परीक्षा केंद्र के बाहर खड़े रहे पति, दिया साथ
इस पूरी कहानी में संजना की सफलता का श्रेय अकेले उसी को नहीं जाता है. पति सत्य प्रकाश शमी जो पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं, ने संजना का पूरा साथ दिया. अगर वो संजना का साथ न देते तो आज शायद संजना बिहार और बांका के लिए मिसान न बन पाती. लेकिन पति के साथ ने शादी के पहले दिन ही उसे खास बना दिया. उसकी अलग पहचान बना दी. सत्य प्रकाश परीक्षा केंद्र के बाहर खड़े होकर उनका हौसला बढ़ाते रहे. संजना परीक्षा में बैठीं और सत्यप्रकाश बाहर इंतजार करते रहे. बाहर आते ही दोनों ने मुस्कुराकर एक-दूसरे को बधाई दी और फिर शाम के रिसेप्शन के लिए पटना की ओर निकल गए.
पिता बोले- हर बेटी को मिले ऐसा दामाद
संजना के पिता मनोज कुमार शमी, जो सार्वजनिक महाविद्यालय बांका में प्रोफेसर हैं ने कहा – मेरी बेटी ने दोनों जिम्मेदारियों को संतुलन से निभाया, शादी पढ़ाई में रुकावट नहीं, प्रेरणा बननी चाहिए.’ उन्होंने कहा, हर बेटी को ऐसा दामाद मिले जो अपनी पत्नी के सपनों को पंख दे. मां ललिता शमी भी बेटी के इस निर्णय से फूले नहीं समा रही हैं. संजना ने कहा, शादी सपनों को रोकती नहीं, आगे बढ़ाती है. वो कहती हैं मेरे लिए पढ़ाई प्राथमिकता है. शादी कोई रोक नहीं, बल्कि सपनों को आगे बढ़ाने की ताकत है.
विश्वविद्यालय में परीक्षा शांतिपूर्वक सम्पन्न
मुंगेर विश्वविद्यालय की ओर से आरडीएंडडीजे कॉलेज में एलएलबी सेमेस्टर-4 की कंपनी लॉ की परीक्षा मंगलवार को आयोजित की गई, जिसमें 174 परीक्षार्थी शामिल हुए. परीक्षा शांतिपूर्ण रही और किसी छात्र को निष्कासित नहीं किया गया. परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनोज कुमार मंडल ने बताया कि बुधवार को एलएलबी सेमेस्टर-2 और 6 की परीक्षा दो पाली में होगी.
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क्यों खास है संजना की कहानी?
इस दौर में जहां शादी के कारण कई लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं, वहीं संजना और उसके पति के समन्यवय ने दिखा दिया कि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कोई भी जिम्मेदारी में बाधा नहीं बन सकती. बांका का यह कपल अब प्रतीक बन चुका है. जिसने सपनों और समाज की उम्मीदों के बीच समन्यवय स्थापित कर शादी के पहले दिन ही मिसाल कायम किया.
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