हिंदू दिखा, न मुसलमान, बस सिर्फ इनसान

दहशत भरे दिन : आपदा ने मिटायी लोगों में दूरियां, बढ़ाया आपसी प्रेम व भाईचारा विनोद कुमार गिरि दरभंगा : रविवार की रात ठीक दस बजे एक बार फिर भूकंप का तेज झटका लोगों ने महसूस किया. फिर क्या था. जो जहां थे, वहीं से भागकर बाहर आ गये. सड़कों पर लोगों का हुजूम जुट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2015 6:58 AM
दहशत भरे दिन : आपदा ने मिटायी लोगों में दूरियां, बढ़ाया आपसी प्रेम व भाईचारा
विनोद कुमार गिरि
दरभंगा : रविवार की रात ठीक दस बजे एक बार फिर भूकंप का तेज झटका लोगों ने महसूस किया. फिर क्या था. जो जहां थे, वहीं से भागकर बाहर आ गये. सड़कों पर लोगों का हुजूम जुट गया.
चाहे वह दरभंगा शहर का टावर चौक हो या फिर मिर्जापुर चौक. रहमगंज हो गया फिर मौलागंज. मिथिला क्षेत्रीय विद्युत बोर्ड कार्यालय परिसर तो मानो लालबाग मोहल्ले के लोगों का अस्थायी शरणस्थली बन गया है. भूकंप के झटक सुनते ही लोग इस मैदान में दौड़ पड़ते हैं.
आपदा के समय सबसे बड़ी चीज दिखी वह इंसानियत थी. ऐसी इंसानियत शायद ही सामान्य दिनों में देखने को मिलते हैं. पूनम सिनेमा के पास एक दुकान के बाहर दर्जनों लोग बैठे हुए थे. उसमें हिंदू भी थे, मुसलमान भी थे. यही नजारा रहमगंज और मौलागंज में भी दिखा. दरभंगा टावर पर तो खैर पहले से ही इस तरह का आपसी प्रेम व भाईचारा दिखता रहा है.
भूकंप के डर से लोग एक जगह पर रात काट रहे थे. कोई अल्लाह को याद कर रहा था तो कोई भगवान की प्रार्थना में लीन था. सबों की एक ही गुहार, भूकंप से रक्षा हो भगवान. दूसरी बात भूकंप के दौरान दिखी. घर से बाहर भागकर आने के दौरान बूढे बुजुर्ग को सहारा देकर लोग बाहर निकाल रहे थे. उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचा रहे थे. यहां भी न तो कोई जात-पात का भेद था और न ही मजहब की बंदिशें. सब एक इंसान की भांति एक दूसरे की मदद करने में जुटे थे.
यह अपनापन सहसा लोगों को खींच रहा था. मन में आपसी प्रेम एवं भाइचारे को मजबूत कर रहा था. नफरत और विद्वेष को तिलांजलि दे रहा था. यह एक उदाहरण बना. सोंचने पर विवश कर रहा था. काश ! ऐसा प्रेम हमेशा बना रहे.
डीएम व एसएसपी भी रात भर घूमते रहे सड़कों परदरभंगा के जिलाधिकारी कुमार रवि, एसएसपी मनु महाराज समेत अन्य अधिकारी भी रात भर शहर के विभिन्न सड़कों पर घूमते नजर आये.
दरभंगा टावर, मिर्जापुर चौक, विवि परिसर, आयकर चौक, स्टेशन रोड, लहेरियासराय, बेता, दोनार आदि सड़कों पर प्रशासनिक अधिकारियों की गाड़ियां घूमती रही.
अफवाह से बचने के लिए प्रशासन के द्वारा माइकिंग भी करायी जा रही थी. लोगों को धैर्य के साथ रहने की सलाह दी जा रही थी. भूकंप के दौरान बचने के उपाय भी बताये जा रहे थे.
रतजगा कर लोगों ने काटी रातें
भूकंप के भय से शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने भी रातभर जगकर किसी तरह समय बिताया. रात का समय काटने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने कीर्तन भजन का सहारा लिया. मंदिरों में कीर्तन भजन के बहाने लोग जुटकर रात काटते रहे. कहीं कहीं तो लोग टोली बनाकर गांव में रात भर घूमते रहे.
सड़कों पर रात लोगों को हुजूम इधर से उधर करते दिखा.
पीएचसी में दो भूकंप पीड़ितों का चल रहा इलाज
तारडीह : लगातार दो दिनों से आ रही भूकंप में यूं तो कई तरह के लोग मरीज बनकर इलाज करवा रहे हैं, पर पीएचसी तारडीह में मुख्य रूप से भूकंप में घायल दो लोगों का इलाज चिकित्सकों की देखरेख में चल रहा है. इसमें महिया गांव के कुशेश्वर पासवान जिनपर शनिवार को आयी भूकंप में दीवार गिर गया था तथा दूसरा भी उसी गांव के राधेश्याम पासवान के पुत्र श्रवण पासवान है. इन दोनों का इलाज अस्पताल विशेष देखरेख में चल रहा है. अस्पताल प्रभारी डॉ नवल किशोर प्रसाद ने बताया कि चक्कर आना, धड़कन तेज का मरीज, बुखार का भी आ रहे हैं. 10 अन्य मरीज भी हैं जिन्हें हल्की चोट मोच आयी है, उनका भी इलाज चल रहा है.