बिहार में अब संभव है मसालों की खेती, कीमत हीरे से भी होगी ज्यादा, जानें पूरी बात

मसाले, भारतीय खानों की पहचान है. भारत का भोजन मसालों के बिना अधूरा माना जाता है. वहीं मसालों का अपना इतिहास भी रहा है. मसाले सांस्कृतिक परंपराओं से लेकर दवा और आयुर्वेद से भी जुड़े है. यहां तक की लौंग का रामायण तक में उल्लेख मिलता है.

By Prabhat Khabar Print Desk | March 7, 2023 1:44 PM

मसाले, भारतीय खानों की पहचान है. भारत का भोजन मसालों के बिना अधूरा माना जाता है. वहीं मसालों का अपना इतिहास भी रहा है. मसाले सांस्कृतिक परंपराओं से लेकर दवा और आयुर्वेद से भी जुड़े है. यहां तक की लौंग का रामायण तक में उल्लेख मिलता है. ग्रीक यौर रोमन सभ्यताओं में सालों पहले मसालों व्यापार का मुख्य घटक तक था. भारत को मसालों का घर कहा जाता है. मसालों के प्रयोग से खाना में स्वाद आता है. यहां तक की स्वादिष्ट का मतलब ही मसाला माना जाता है. मगर अब इन मसालों की खेती बिहार में भी संभव है. इसके लिए केवल अपने नजदीकी केवीके (कृषि विज्ञान केंद्र) में संपर्क करने की जरूरत है.

रेड गोल्ड सबसे मंहगा मसाला

दुनिया के सबसे मंहगे मसाले के कई फायदे है. रेड गोल्ड दुनिया का सबसे महंगा मसाला है. यह बाजार में सोने के भाव में मिलता है. आपको बता दें कि रेड गोल्ड को केसर के नाम से भी जाना जाता है. इसे अगर किलोग्राम में खरीदा जाए तो इसकी कीमत ढाई लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक है. इसकी कीमत अधिक होने के कारण भी है. दरअसल, केसर के पौधे काफी महंगे होते है. वहीं इसके एक फूल से सिर्फ तीन केस निकलते है. सेहत के लिए भी बहुत अच्छा होना केसर के महंगे होने का कारण है. आयुर्वेदिक नुस्खों में केसर का खूब प्रयोग किया जाता है.

देव पूजा में भी प्रयोग

खाघ व्यंजनों से लेकर देव पूजा में इसका उपयोग होता है. लेकिन अब बाजार में बिकने वाले पान मसालों में भी इसका उपयोग होता है, जो सेहत के लिए हानिकारक होते है. इसकी खासियत है कि यह खाने का रंग बदल देती है. साथ ही इसका स्वाद भी बहुत बढ़िया होता है. बताया जाता है कि राजपूत राजाओं ने अपने किले में इसे उगाने के लिए केसर-क्यारी बनवाई थी. वहीं प्राचीन ग्रंथों में भी केसर की विशेषताओं का वर्णन है.

Published By: Sakshi Shiva

Next Article

Exit mobile version