Buxar News: होल्डिंग टैक्स वसूली करने वाली कंपनी स्पॅारो पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर
इसके साथ ही लाखों की अनियमितता को छुपाने के लिए आनन-फानन में नगर परिषद बोर्ड एवं वर्तमान पदाधिकारी के द्धारा स्पॉरो कंपनी का एग्रीमेंट को रद्द कर दिया गया
बक्सर
. नगर परिषद बक्सर एवं स्पॉरो सोफ्टेक प्रालि. पर उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर किया गया है. रिट याचिका टैक्स वसूलने वाली कंपनी स्पॅारो एवं नगर परिषद बक्सर पर सांठ-गांठ कर सरकारी राशि का सुनियोजित तरीके से गबन करने का आरोप लगाया गया है. इस संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता आकाश कुमार सिंह उर्फ रामजी सिंह ने बतायाकि नगर परिषद बक्सर एवं होल्डिंग टैक्स वसूलने वाली कंपनी के सांठ-गांठ से जनता की मोटी राशि लुटी जा रही है. इसके साथ ही लाखों की अनियमितता को छुपाने के लिए आनन-फानन में नगर परिषद बोर्ड एवं वर्तमान पदाधिकारी के द्धारा स्पॉरो कंपनी का एग्रीमेंट को रद्द कर दिया गया है. वहीं टैक्स वसूली एवं अन्य कार्य को समाप्त कर दिया गया है. इसके साथ ही नये सिरे से गोपनीय ढंग से दूसरी एजेंसी से एकरारनामा किया गया है. जो नगर परिषद की कहीं न कहीं गड़बड़ी काे दर्शाता है. स्पॅारो कंपनी के साथ नगर परिषद का पांच साल का एकरारनामा था. जिसे नगर परिषद ने किस मजबूरी में दो साल में ही एकरारनामा को रद्द कर दिया. इससे साफ जाहीर है कि स्पॉरो कंपनी नगर परिषद के एकरारनामा के अनुसार कार्य नहीं किया है. जिसके कारण उसे हटाया गया. ऐसी स्थिति में उसपर विभागीय कारवाई होनी चाहिए जो अभी तक नगर परिषद से नहीं हुई है. जब स्पॉरो से एग्रीमेंट हुआ तो उस समय 8 लाख का सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन तैयार करने के लिए नगर परिषद द्वारा खर्च किया गया था. इस एप्लीकेशन के माध्यम से स्थाई रूप से कार्य करना था. लेकिन नई एजेंसी के बदलने के बाद सॉफ्टवेयर के नाम पर नगर परिषद द्वारा 15 से 20 लाख के आसपास खर्च करने की बात सामने आ रही है. सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा यह आरोप लगाया गया है कि एक ही कार्य के लिए दो बार पेमेंट कहीं ना कहीं सरकारी राशि का दुरुपयोग है. वहीं बताया कि विभाग द्वारा आदेश है कि 4 प्रतिशत कम कमीशन पर रही टैक्स वसूली करना है, लेकिन स्पॉराे को 9.8 प्रतिशत पर रखा गया है. वहीं यह हवाला दिया गया है कि कुछ कार्यों में बढ़ोतरी किया गया है. सर्वे करके डिमांड तैयार करना, होल्डिंग देना समेत अन्य कार्य दर्शाया गया है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा है कि 2013 से वर्ग फीट के अनुसार टैक्स वसूल किया जाना है लेकिन कंपनी के अनुसार 2013 से पहले का भी जिसका टैक्स बकाया है उसका भी वर्ग फीट के अनुसार ही टैक्स काटा गया, जो सीधे-सीधे आम जनता के पैकेट पर डाका डालने के बराबर है. टैक्स वसूली के लिए बिहार नगर पालिका अधिनियम 2007 के अनुसार रोड का वर्गीकरण तीन श्रेणियां में बांटा गया है, लेकिन नगर परिषद एवं कंपनी के द्वारा बिना विभाग के अनुमोदन कराए ही खुद के विवेक के अनुसार श्रेणियां तय कर दिया गया है. वहीं सामाजिक कार्यकर्ता आकाश कुमार सिंह उर्फ़ रामजी सिंह ने बताया कि उनके द्वारा लगातार पत्राचार कर स्पॉरो कंपनी की गलतियों को विभाग के समक्ष रखा जा रहा था. जिसके कारण व्याप्त भ्रष्टाचार पर लीपा पोती करने एवं जांच से बचने के लिए आनन-फानन में इस कंपनी के बदले दूसरी कंपनी के साथ एग्रीमेंट किया गया. स्पॉरो कंपनी के पास 8:30 लाख की संपत्ति नगर परिषद का सॉफ्टवेयर है तथा वसूली का सभी डाटा है. जिसे प्राप्त करने के लिए नगर परिषद द्वारा कोई कोशिश नहीं की गई. वहीं पुन: एक नया सॉफ्टवेयर के लिए नई कंपनी को लाखों रुपए खर्च किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस शहर के आम नागरिक होने के कारण जनता के साथ हो रहे इस लूट खसोट के खिलाफ उच्च न्यायालय में उनके द्वारा याचिका रिट किया गया है. वहीं इस संबंध में नगर परिषद कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष गुप्ता ने बताया कि कंपनी के द्धारा क्यूआर काेड से लोगों को जोड़ने में शिथिलता बरती जा रही थी. वहीं विभाग के निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा था. अपने कर्मियों को वेतन भुगतान भी नहीं किया जा रहा था. वहीं उसके भुगतान को नगर परिषद ने होल्ड कर दिया है. इसके साथ ही एक अप्रैल से नई एजेंसी ने कार्य शुरू कयर दिया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
