बीज वितरण मामले में बक्सर सूबे में रहा दूसरे स्थान पर, तो डीसीएस में तीसरे पर
विभागीय आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 की रवि फसल के लिए बीज वितरण में बक्सर जिला पूरे राज्य में दूसरे स्थान पर रहा , जबकि डीसीएस लक्ष्य की प्राप्ति में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है.
बक्सर. जिले में कृषि क्षेत्र के लिए यह वर्ष चुनौतियों और उपलब्धियों भरा रहा. एक ओर जहां मौसम की प्रतिकूलता के कारण धान की कटनी और गेहूं की बुआई तय समय पर पूरी नहीं हो सकी, वहीं दूसरी ओर कृषि विभाग की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से बीज वितरण और डीसीएस में जिले ने पूरे बिहार में उल्लेखनीय स्थान हासिल किया है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2025-26 की रवि फसल के लिए बीज वितरण में बक्सर जिला पूरे राज्य में दूसरे स्थान पर रहा , जबकि डीसीएस लक्ष्य की प्राप्ति में तीसरा स्थान प्राप्त हुआ है. मौसम ने नहीं दिया साथ, पिछड़ी गेहूं की बोआई : कृषि विभाग की मानें तो इस वर्ष जिले में मौसम किसानों के अनुकूल नहीं रहा. सामान्यत: जिले में 25 दिसंबर तक गेहूं की बुआई का कार्य लगभग पूरा हो जाता है. वर्ष 2024 में भी इसी अवधि तक बुआई शत-प्रतिशत के करीब पहुंच चुकी थी, लेकिन इस साल स्थिति बिल्कुल अलग रही. 28 दिसंबर के बाद भी जिले में मात्र 52.84 प्रतिशत क्षेत्र में ही गेहूं की बुआई हो पाई है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण धान की कटनी का समय पर पूरा न होना बताया जा रहा है. मेंथा तूफान और लगातार बदलते मौसम के कारण खेतों में खड़ी धान की फसल प्रभावित हुई. नमी अधिक होने से कई स्थानों पर धान की कटाई में देरी हुई, जिससे गेहूं की बुआई भी पिछड़ गयी. धान की कटनी भी अधूरी : जिले में धान की कटनी अब तक मात्र 74.51 प्रतिशत ही हो सकी है. कृषि विभाग के अनुसार कई किसानों की धान की फसल खेतों में ही गिर गई या अत्यधिक नमी के कारण कटाई में परेशानी हुई. ऐसे में किसान किसी तरह खेत खाली करने की जद्दोजहद में लगे हैं ताकि गेहूं की बुआई की जा सकें. विभाग का कहना है कि जैसे-जैसे खेत खाली होंगे, बोआई की रफ्तार तेज होगी, लेकिन देर से बुआई होने का सीधा असर उत्पादन पर पड़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. बीज वितरण में शानदार प्रदर्शन : इन चुनौतियों के बावजूद कृषि विभाग ने बीज वितरण के मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया है. वित्तीय वर्ष 2025-26 की रवि फसल के लिए किए गए बीज वितरण में बक्सर जिला पूरे बिहार में दूसरे स्थान पर रहा इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय स्तर पर तैयारी और वितरण व्यवस्था मजबूत रही है. वहीं डीसीएस के तहत जिले को 6 लाख 1 हजार 738 का लक्ष्य दिया गया था. इस लक्ष्य को हासिल करने में जिला पूरे बिहार में तीसरे स्थान पर रहा. जिला कृषि पदाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने कहां कहना कि किसानों की बढ़ती भागीदारी और विभागीय कर्मचारियों की सक्रियता के कारण यह उपलब्धि संभव हो पायी है. कृषि यांत्रिक योजना के तहत 269 किसानों ने खरीदा कृषि यंत्र : कृषि यांत्रिक योजना से किसानों को राहत खेती को आधुनिक और श्रम-सुलभ बनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा कृषि यांत्रिक योजना के तहत अनुदानित दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं. इस योजना के अंतर्गत वित्तीय सहायता वर्ष 25-26 में जिले के 269 किसानों ने विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र खरीदे हैं .इसके अलावा स्पेशल हायरिंग सेंटर योजना के तहत 14 किसानों को लाभ मिला है, जबकि कस्टम हायरिंग सेंटर योजना के अंतर्गत दो किसानों को अनुदान प्रदान किया गया है. इन योजनाओं का उद्देश्य यह है कि छोटे और सीमांत किसान भी आधुनिक मशीनों का उपयोग कर सकें, जिससे खेती की लागत कम हो और समय की बचत हो. खुलेगा फार्मर मशीनरी बैंक : जिले के किसानों के लिए कृषि विभाग द्वारा जिले में एक फार्मर मशीनरी बैंक खोलने की योजना बनायी गयी है. इस योजना के तहत जो भी किसान या किसान समूह फार्मर मशीनरी बैंक खोलेगा, उसे विभाग की ओर से 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जायेगा. इस बैंक के माध्यम से किसानों को ट्रैक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेशर सहित अन्य कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध कराए जायेंगे. इससे उन किसानों को विशेष लाभ मिलेगा जो महंगे यंत्र खरीदने में सक्षम नहीं हैं. उर्वरक की उपलब्धता और खपत : रवि फसल के लिए जिले में उर्वरकों की मांग और आपूर्ति को लेकर भी विभाग ने स्थिति स्पष्ट की है. कृषि विभाग के अनुसार जिले में रवि फसल के दौरान कुल 36 हजार मीट्रिक टन यूरिया, 9 हजार 500 मीट्रिक टन डीएपी और 8 हजार मीट्रिक टन एनपीके की आवश्यकता है. अब तक जिले को 13 हजार 952 मीट्रिक टन यूरिया, 6 हजार 791 मीट्रिक टन डीएपी और 5 हजार 547 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध कराया जा चुका है. विभाग का कहना है कि शेष उर्वरकों की आपूर्ति भी चरणबद्ध तरीके से की जा रही है, ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी न हो. कुल मिलाकर मौसम की मार से किसान चिंतित हैं, लेकिन विभागीय योजनाओं और सहायता से उन्हें राहत भी मिल रही है. बीज, उर्वरक और कृषि यंत्रों की उपलब्धता से किसानों को यह उम्मीद है कि देर से सही, लेकिन गेहूं की बोआई पूरी कर ली जायेगी.
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