Buxar News: अनुमंडलीय अस्पताल की कुव्यवस्था, इलाज कराने आए मरीज इधर से उधर भटकते रहे

अनुमंडल अस्पताल में गुरुवार को डाक्टर के अनुपस्थित रहने के कारण अस्पताल में आये मरीजों को इलाज कराने के लिए इधर से उधर भटकना पड़ा.

By RAVIRANJAN KUMAR SINGH | August 21, 2025 5:48 PM

‎डुमरांव: अनुमंडल अस्पताल में गुरुवार को डाक्टर के अनुपस्थित रहने के कारण अस्पताल में आये मरीजों को इलाज कराने के लिए इधर से उधर भटकना पड़ा. चिकित्सक के गायब रहने से हालात ऐसे बने कि अस्पताल में इलाज कराने आए लोग एक कमरे से दूसरे कमरे की परिक्रमा लगाते रहे, जैसे कोई तीर्थयात्रा पर गए हों. लेकिन यहां पर दर्शन डॉक्टरों के नहीं, बल्कि खाली कुर्सियों के ही हो रहे थे. सामान्य ओपीडी में गुरुवार को डॉ. सलोनी की ड्यूटी थी. लेकिन वो अवकाश पर चली गईं. डॉ. सलोनी की गैरहाजिरी में उनकी जगह डॉ. श्रुति प्रकाश को ड्यूटी संभालनी थी. लेकिन सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात यह रही कि एक ही दिन एक ही जगह पर उन्होने दो ओपीडी साथ चलाने की जिम्मेदारी ले ली. एक तरफ सामान्य ओपीडी तो दूसरी तरफ महिला विशेषज्ञ कक्ष. सुबह में उन्होंने सामान्य मरीजों को देखना शुरू किया तो महिलाओं की भीड़ काफी लग गई. महिलाओं को संभाला तो जनरल ओपीडी खाली रही. इस सिथ्ति में मरीज काफी परेशान रहे. ‎ ‎एक ही समय में दो ओपीडी क्यों? ‎ ‎गुरुवार को अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. गिरीश कुमार सिंह छुट्टी पर थे. किसी भी संस्थान के पदाधिकारी की गैरमौजूदगी में अक्सर उसके सहयोगी जिम्मेदारी संभालते हैं, लेकिन यहां तो सब कुछ उल्टे दिखे. अस्पताल के उपाधीक्षक के छुट्टी पर जाते ही अस्पताल का हालात खराब हो गया. अस्पताल का नजारा ऐसा लग रहा था मानो किसी ने बिना ड्राइवर के गाड़ी उंचाई पर से छोड़ दी हो. व्यवस्था का मजाक देखिए कि डॉ. श्रुति प्रकाश सामान्य ओपीडी छोड़कर महिला विशेषज्ञ कक्ष में मौजूद थीं. गुरुवार को 21 तारीख थी और पूर्व से तय है कि इस दिन एएनसी जांच (प्रसव पूर्व जांच) के लिए भारी संख्या में गर्भवती महिलाएं अनुमंडल अस्पताल पहुंचती हैं. उस कक्ष में महिलाओं की लंबी लाइन लगी थी और चिकित्सक का वहां होना भी जरूरी था. लेकिन सवाल ये है कि फिर उन्होंने सामान्य ओपीडी की जिम्मेदारी क्यों ले ली? ‎ ‎जेनरल ओपीडी में दंत चिकित्सक का इलाज ‎ ‎खाली पड़ी सामान्य ओपीडी में आखिरकार दंत चिकित्सक डॉ. जुनैद अख्तर को बैठना पड़ा. यानी जिनके पास दांत-मसुढो का इलाज करने का अनुभव है, वे मरीजों का बुखार सिरदर्द और मरीजों की टूटी हड्डियों के एक्सरे देख इलाज कर रहे थे. यह नजारा किसी व्यंग्य से कम नहीं था. जैसे दंत चिकित्सक को जनरल फिजिशिय बना दिया गया हो. दंत चिकित्सक डॉक्टर जुनैद जिस विशेषज्ञ कक्ष में सामान्य मरीजों को देख रहे थे, उस कक्ष के जनरल सर्जन डॉ. लोकेश कुमार भी नहीं थे. सूचना मिली कि वे सिमरी में परिवार नियोजन मेला की मीटिंग में शामिल होने चले गए थे. डॉ लोकेश की सेवा को इतनी बेहतरीन माना जाता है कि उन्हें ज्यादातर अनुमंडल अस्पताल से बाहर की ही ड्यूटी मिलती है. डॉ लोकेश उसे बखूबी निभाते भी है. अस्पताल में सर्जन नाम की सुविधा सिर्फ कागज पर ही है. हालांकि इसमें डॉक्टर की क्या गलती? ‎ ‎मरीज परेशान, इलाज भगवान भरोसे ‎ ‎मामला तूल पकड़ने लगा और मरीजों में हल्ला-हंगामा मच गया, तो प्रभात खबर की टीम ने उपाधीक्षक के जगह पर चार्ज लिए चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सुमित सौरव से बात की. सवाल किया गया कि आखिर डॉक्टर तय रोस्टर के बावजूद ड्यूटी पर क्यों गायब हैं? और मरीजों का इलाज कौन करेगा? डॉ. सौरव ने जवाब दिया कि जो डॉक्टर गायब हैं, उन पर सिविल सर्जन कार्यालय में रिपोर्ट भेज दी गई है. यानी जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली का नतीजा मरीज भुगतें और समाधान सिर्फ रिपोर्ट तक सीमित रहे. हालात बिगड़ते देख डॉ. सुमित सौरव को खुद सामान्य ओपीडी में बैठकर मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिये. इस तस्वीर से एक ओर जहां राहत की बात थी तो, वहीं दूसरी ओर पूरे सिस्टम की पोल खोल रही थी. सवाल उठता है कि जब इनचार्ज को खुद ही इलाज करना पड़ा, तो बाकी डॉक्टरों की जिम्मेदारी कहां गई, और क्या इंचार्ज डॉ सुमित सौरभ भी हल्ला हंगामा का इंतजार कर रहे थे? उन्होंने सुबह से ही कमान क्यों न सम्हाली. ‎ ‎स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल ‎ ‎गुरुवार का यह दृश्य यह साबित करने के लिए काफी है कि डुमरांव अनुमंडल अस्पताल में व्यवस्था भगवान भरोसे ही चल रही है. कभी डॉक्टर छुट्टी पर, कभी एक ही डॉक्टर पर दोहरी ड्यूटी का बोझ, कभी दंत चिकित्सक से जनरल ओपीडी चलवाना, तो कभी सर्जन की ड्यूटी अपने अस्पताल को छोड़कर दूसरे अस्पताल में रहना. अगर यही हाल रहा तो मरीजों को अस्पताल आने से पहले यह सोचना पड़ेगा कि यहां इलाज मिलेगा या सिर्फ खाली कमरों की भ्रमण करना है. मामले में अस्पताल उपाधीक्षक डॉकम गिरीश कुमार सिंह से इस पर वार्ता की गई. उन्होंने बताया कि अपना इलाज कराने के लिए हम शहर से बाहर छुट्टी पर हैं. उन्होंने कहा कि जितने भी लापरवाह स्वास्थ्य कर्मी हैं, किसी को बख्शा नहीं जाएगा. अब देखने वाली बात है कि इस तरह की व्यवस्था पर सिविल सर्जन और अन्य वरीय अधिकारी क्या करवाई कर रहे हैं. ‎ ‎ कहते हैं उपाधीक्षक ‎ मैं निजी कार्य से बाहर आया हूं. सूचना मिली है कि रोस्टर के अनुसार कुछ चिकित्सक अपनी ड्यूटी पर नहीं है. इस मामले में उचित कार्रवाई की जायेगी. दोषीयों को बख्शा नहीं जायेगा. ‎ डॉ गिरीश कुमार सिंह, उपाधीक्षक, अनुमंडल अस्पताल डुमरांव ‎

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