लंपी महामारी के समय जानवरों के लिए जीवन रक्षक बन रही एमवीयू

वर्तमान में चल रही लंपी महामारी में एमवीयू-1962 एक वरदान साबित हो रही है. सदर प्रखंड के ग्राम पंचायत-वरूना के निवासी टूनटून सिंह के द्वारा 1962 पर काल किया.

By AMLESH PRASAD | August 27, 2025 10:17 PM

बक्सर. वर्तमान में चल रही लंपी महामारी में एमवीयू-1962 एक वरदान साबित हो रही है. सदर प्रखंड के ग्राम पंचायत-वरूना के निवासी टूनटून सिंह के द्वारा 1962 पर काल किया, जिसे गंभीरता से लेते हुए एवीयू की टीम मौके पर जल्दी पहुंच कर, उनकी और गांव के कई लंपी से ग्रसित गायों का इलाज किया. जिला समन्वय अग्निवेश कुमार व डॉ अरुण कुमार, पैरावेट विकास कुमार व चालक अशोक कुमार टीम में शामिल रहे. जिला समन्वयक अग्निवेश कुमार पशु पालकों से काफी देर तक बातचीत की और उन्हें बताया कि हमारी ब्लॉक बक्सर एमवीयू 1962 एंबुलेंस टीम, न केवल समय पर प्रतिक्रिया दे रही है, बल्कि लगातार गांव जाकर उपचार किया जा रहा है. मेरी स्वयं इस महामारी के दौरान स्थिति पर नजर है, जिससे गांव के लोगों तथा चिकित्सक और उनकी टीम को हर संभव सहयोग दिया जा सकें. सभी पशुपालकों को चाहिए कि यदि पशुओं में किसी भी तरह की गंभीर बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत 1962 पर कॉल करें. यह सेवा एम्बुलेंस के माध्यम से आपके घर तक पहुंचती है और डाक्टर व उनकी टीम मौके पर इलाज करते है.बरुना, चुरामनपुर और जगदीशपुर आदि जैसे गांव इस बात की गवाही देते है कि ब्लॉक बक्सर एमवीयू 1962 एम्बुलेंस न केवल पशुओं को जीवनदान दे रही है, बल्कि पशुपालकों की आजीविका को भी सुरक्षित कर रही है.

लम्पी रोग का लक्षण

डॉ अरुण कुमार ने पशु पालकों से बातचीत के दौरान लम्पी रोग के बारे में जानकारी दिया बताया कि तेज बुखार, भूख कम होना, नाक व आंख से पानी आना, लार गिरना, लिम्फ नोड्स (गांठें) फूलना गर्दन और जांघ के पास ज्यादा स्पष्ट, पूरे शरीर पर सख्त, गोल और उभरी हुई गांठें आकार 2 से 5 सेमी, गांठें गर्दन, पीठ, थन, जननांग, चेहरा और पैरों पर ज्यादा दिखाई देती हैं, गांठें बाद में फटकर जख्म और पपड़ी बना लेती हैं, सूजन खासकर पैरों, गर्दन व जननांगों में दूध उत्पादन घट जाना सांस लेने में कठिनाई.

लंपी बीमारी का उपचार

लंपी त्वचा रोग का कोई खास दवा/इलाज उपलब्ध नहीं है, क्योंकि यह एक वायरल बीमारी है. इसका उपचार लाक्षणिक और सहायक होता है. बीमार पशु को अलग रखना ताकि संक्रमण न फैले. सहायक उपचार बुखार कम करने के लिए एन्टीपायरेटिक/एनाल्जेसि कमजोरी और भूख न लगने पर मल्टीविटामिन व मिनरल टॉनिक दिया जा रहा है.

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