पशुओं के लिए जीवनदायनी साबित हो रही एमवीयू 1962 एंबुलेंस

डुमरांव अनुमंडल क्षेत्र के चौकिया व ढकाईच में अचानक बकरियों में महामारी फैलने से बकरी पशुपालन करने वाले लोगों के बीच हाहाकार मच गया.

By AMLESH PRASAD | August 27, 2025 10:39 PM

डुमरांव. डुमरांव अनुमंडल क्षेत्र के चौकिया व ढकाईच में अचानक बकरियों में महामारी फैलने से बकरी पशुपालन करने वाले लोगों के बीच हाहाकार मच गया. कई बकरियां बीमारियों के चपेट में आकर लगातार असमय काल के गाल में समा रही थीं, जिसके कारण गांव के लोग बेहद परेशान हो गए थे. हालात ऐसे बन गए थे कि ग्रामीणों ने लगभग उम्मीद ही छोड़ दी थी, क्योंकि उनके लिए बकरी न केवल आजीविका का साधन है बल्कि रोज़ी-रोटी का भी एक अहम आधार है. बीमार बकरियों में तेज बुखार, दस्त, खांसी-जुकाम, आंख और नाक से पानी बहना तथा मुंह में छाले जैसे लक्षण देखे जा रहे थे. लगातार बकरियों की मौतों से गांव का माहौल भय और चिंताजनक हो गया था. स्थिति की जानकारी मिलते ही सिमरी एमवीयू 1962 एम्बुलेंस की टीम तुरंत सक्रिय हुई और मौके पर गांव में पहुंची. टीम का नेतृत्व चिकित्सक पीयूष यादव ने किया, जिनके साथ दिनेश कुमार व राहुल रंजन भी जुड़े रहे. चिकित्सक और उनकी टीम के द्वारा बारिश और कठिन परिस्थितियों के बावजूद हार नहीं मानी और कई बार गांव में जाकर बकरियों का इलाज किया. इलाज और दवाइयों के निरंतर प्रयास से धीरे-धीरे बकरियों की हालात सुधरने लगी और दर्जनों बेजुबान जानवरों की जानें बच गईं. इसके साथ ही टीम ने ग्रामीणों को बीमारी की रोकथाम, आइसोलेशन और पशुपालन में स्वच्छता के महत्व को भी लोगों के बीच जानकारियां दी गयी. इसके बाद गांव के लोगों ने राहत की सांस ली. ढकाईच गांव के एक ग्रामीण ने बताया कि अगर 1962 एम्बुलेंस समय पर नहीं आती तो हमारी सारी बकरियां खत्म हो जातीं. हम सभी उम्मीदें खो चुके थे, लेकिन चिकित्सक और उनकी टीम ने हम सबकी बकरियों को बचाकर नई जिंदगियां प्रदान कर दी. वहीं चौकिया गांव की एक महिला पशुपालक सुमन देवी ने भावुक होकर कहा कि बकरियां ही हमारी आजीविका का सहारा हैं. चिकित्सक और उनकी टीम ने कई बार बारिश के बावजूद भी आकर हमारी बकरियों का इलाज किया, नहीं तो हम लोग बर्बाद हो गये होते. जिला समन्वयक अग्निवेश कुमार ने बताया कि एमवीयू 1962 एंबुलेंस टीम ने न केवल समय पर प्रतिक्रिया दी, बल्कि लगातार गांव में जाकर उपचार भी किया. मैंने पूरी महामारी के दौरान स्थिति पर नजर बनाये रखी और गांव के लोगों ने चिकित्सकों और उनकी टीमों को हर संभव सहयोग किया, ताकि इलाज पूरी तरह सफल हो सके. उन्होंने आगे कहा कि सभी पशुपालकों को चाहिए कि यदि पशुओं में किसी भी तरह की गंभीर बीमारी के लक्षण दिखें तो तुरंत 1962 पर कॉल करें. यह सेवा एम्बुलेंस के माध्यम से आपके घर तक बिलकुल निशुल्क पहुंचती है और विशेषज्ञों के टीम मौके पर पहुंचकर इलाज करती है. चौकिया और ढकाईच गांव की यह घटना इस बात की गवाही देती है कि एमवीयू 1962 एम्बुलेंस न केवल पशुओं को जीवनदान दे रही है, बल्कि पशुपालकों की आजीविका को भी सुरक्षित कर रही है.

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